नीली रोशनी में रहने से ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा कम: अध्ययन

यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेन्टिव कॉर्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बताया गया है कि ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए नीली रोशनी में रहना फायदेमंद हो सकता है।
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नीली रोशनी में रहने से ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा कम: अध्ययन


भारत में ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या करोड़ों में है। हाल में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि नीली रोशनी के संपर्क में रहने से ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेन्टिव कॉर्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बताया गया है कि ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए नीली रोशनी में रहना फायदेमंद हो सकता है। नीली रोशनी की किरणें मरीज के शरीर में उसी प्रकार असर करती हैं, जैसे सूरज की पराबैगनी किरणें। इस अध्ययन के मुताबिक शोध में भाग लेने वाले मरीजों के शरीर को 30 मिनट तक करीब 450 नैनोमीटर पर नीली रोशनी के संपर्क में रखा गया। जिसके बाद प्रतिभागियों का रक्तचाप, धमनियों का कड़ापन, रक्त वाहिका का फैलाव और रक्त प्लाज्मा का स्तर मापा गया। अध्ययन में पाया गया कि पराबैगनी किरणों की तरह नीली किरणों में रहने से कोई खतरा नहीं है क्योंकि ये कैंसरकारी नहीं हैं।

कम हो गया मरीजों का ब्लड प्रेशर

ब्रिटेन के सरे विश्वविद्यालय और जर्मनी के हेनरिक हैनी विश्वविद्यालय डसेलडार्फ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि पूरे शरीर के नीली रोशनी के संपर्क में रहने के चलते प्रतिभागियों के सिस्टोलिक (उच्च) रक्तचाप तकरीबन 8 एमएमएचजी कम हो गया जबकि सामान्य रोशनी पर इस तरह का कोर्इ प्रभाव नहीं पड़ा।

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दिल की बीमारियों का खतरा कम

शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान पाया कि नीली रोशनी के संपर्क में रहने से मरीजों के शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई है। ये तत्व दिल की बीमारियों के खतरे को कम करता है और कार्डियोवस्कुलर डिजीज से बचाता है। ऐसा माना जाता है कि नीली रोशनी त्वचा से सीधे रक्त में प्रवेश करती है और धमनियों को आराम देती है। इससे धमनियों में रक्त प्रवाह (ब्लड फ्लो) बढ़ता है और ब्लड प्रेशर कम होता है।

ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियां

हाई ब्लड प्रेशर में सबसे ज्यादा खतरा हृदय को होता है। जब ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी रक्त वाहिकाओं के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता तो सीने में दर्द हो सकता है और अगर खून का बहाव रुक जाए तो हार्ट-अटैक भी हो सकता है।

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45 की उम्र के बाद खतरा

कार्डियोलाजिस्ट डाक्टरों के अनुसार, अच्छे स्वास्थ्‍य के लिए रेगुलर चेकअप बहुत ही आवश्यक है। समय-समय पर ईसीजी और चेक अप कराने से किसी भी प्रकार की ब्लाकेज का पता लग जाता है। हमारी आज की निष्क्रीकय जीवनशैली के कारण पुरूषों में 45 वर्ष की उम्र के बाद और महिलाओं को 55 की उम्र के बाद दिल का दौरा पड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है। अगर आपका रक्तचाप नियंत्रित नहीं रहता तो आपको समय-समय पर चेक-अप कराते रहना चाहिए।

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