डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो कि लाइफस्टाइल से जुड़ जाती है और जीवन भर के लिए परेशान करती है। ऐसे में आपको अपने हर खाने-पीने की चीज के बारे में सोचना पड़ता है और शुगर कैलकुलेट करना होता है। लेकिन बच्चों में क्या? क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चों का शुगर लेवल कितना होना चाहिए? नहीं ना तो, आपको इस बारे में सोचना चाहिए क्योंकि आज कल हमारे बच्चों में डायबिटीज का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसलिए अगर आपके बच्चों में डायबिटीज के लक्षण नजर आते हैं तो आपको उनमें बढ़ते-घटते शुगर लेवल के बारे में जानना चाहिए। लेकिए इस बारे में डॉक्टर की क्या राय है? आइए जानते हैं।
बच्चों में डायबिटीज-Diabetes in children in hindi
डॉ. अमित गुप्ता, सलाहकार, बाल रोग, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद की मानें, तो बच्चों में मधुमेह मेलेटस मोटे तौर पर दो प्रकार के हो सकते हैं:
टाइप 1 डायबिटीज: टाइप 1 डायबिटीज जो कि जीवन के शुरुआती वर्षों में अधिक आम है और कम इंसुलिन के स्तर के कारण इंसुलिन सप्लीमेंट के साथ उपचार की जरूरत होती है।
टाइप 2 डायबिटीज: टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन का प्रोडक्शन बहुत लो रहता है ये बड़ों में होने वाले डायबिटीज जैसा ही होता है। इस तरह के डायबिटीज में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक प्रमुख भूमिका निभाते हैं जिसमें वायरल इंफेक्शन, कुछ दवाएं और विषाक्त पदार्थ शामिल हैं जो पैनक्रियाज की इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही कई बार कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण भी ये समस्या हो जाती है।
हालांकि, पारिवारिक और आनुवंशिक डायबिटीज होने जैसी स्थितियों को सीधे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, कुछ परिवर्तनशील कारक भी हैं जैसे कि तेजी से वजन बढ़ना आदि। लेकिन इस दौरान हमें बच्चों में डायबिटीज के कारणों के बारे में जानना होगा तभी हम इसे कंट्रोल कर सकते हैं। जिसमें कि शामिल है जन्म के समय कम वजन होना और अब तेजी वजन बढ़ना। हालांकि, जन्म के समय बच्चे को स्तनपान करवाना इसे कंट्रोल करने में मदद करती है। इसके अलावा, हाई कैलोरी वाले फूड्स का सेवन और शारीरिक गतिविधि में कमी, जिन्हें टाइप 2 मधुमेह के विकास से जुड़ा माना जाता है, ये भी बच्चों में डायबिटीज के खतरे को बढ़ावा देता है।
बच्चों का शुगर लेवल कितना होना चाहिए-Blood sugar levels in children?
डॉ. अमित गुप्ता, सलाहकार, बाल रोग, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल फरीदाबाद की मानें तो, बच्चों में तब तक शुगर लेवल चेक ना करें जब कि ऐसा कोई कारण ना हो। अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को डायबिटीज है या फिर हो तो फिर आप उसका शुगर लेवल चेक कर सकते हैं। बच्चों में फास्टिंग ब्लड शुगर 80-180 के बीच और खाने के बाद 90 से 180 के बीच होना चाहिए।
डॉ. अमित गुप्ता कहते हैं कि अगर शुगल लेवल 60 मिलीग्राम / डीएल से नीचे हो जाता है तो, आपके बच्चों में लो ब्लड शुगर के लक्षण (low blood sugar in child symptoms) नजर आ सकते हैं।
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बच्चों में लो ब्लड शुगर लेवल के लक्षण-Low blood sugar symptoms in child
- -बच्चों का ज्याजा चिड़चिड़ा हो जाना
- -चिंतित या भ्रमित रहना
- - उनके व्यवहार में बदलाव
- -सिरदर्द या चक्कर आना
- -कई बार बहुत सुस्त हो जाना।
तो, बच्चों में हाई ब्लड शुगर लेवल के लक्षणों के रूप में आप ये पा सकते हैं कि बच्चों का बार-बार पेशाब करने जाना, बहुत प्यास लगना और बहुत भूख लगना इत्यादि।
बच्चों को डायबिटीज कंट्रोल करने के तरीके-How to manage diabetes in child
1. ब्लड शुगर मॉनिटरिंग
चूंकि, टाइप 1 मधुमेह की कुछ जटिलताएं गंभीर और जीवन के लिए खतरा हैं, इसलिए आपको अपने बच्चों में शुगर मॉनिटरिंग करनी चाहिए। ताकि, शुगर लेवल कम हो या ज्यादा आपको इस बारे में पता हो।
2. दवाओं का ध्यान रखें
डायबिटीज से पीड़ित बच्चों में इंसुलिन के प्रोडक्शन और शुगर को मैनेज करने वाली दवाइयां दी जाती हैं। ऐसे में आपको बच्चों में इस बात का ध्यान रखना है कि उन्हें समय-समय पर दवा दें।
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3. स्वस्थ भोजन दें
डायबिटीज में हेल्दी भोजन लेना बेहद जरूरी है। टाइप 1 डायबिटीज वाले बच्चे को पोषक आहार की आवश्यकता होती है, जिसमें फल, सब्जियां, अनाज और उच्च फाइबर शामिल रखें। केवल एक चीज जिस पर ध्यान देने की जरूरत है कि कार्बोहाइड्रेट और फैट का सेवन कम करें।
साथ ही ध्यान रखें कि अपने बच्चे को खेलने या किसी अन्य प्रकार के शारीरिक व्यायाम को करने की प्रेरित करें। आपको केवल एक ही सावधानी बरतने की जरूरत है कि गतिविधि के दौरान ग्लूकोज के स्तर की जांच करें क्योंकि व्यायाम करने से शरीर में ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है, जिससे लो ब्लड शुगर से कई समस्याएं और आ सकती हैं।
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