
मच्छर जनित जीका वायरस के प्रकोप के बाद अब येलो फीवर महामारी की तरह फैलने लगा है।येलो फीवर भी डेंगू, मलेरिया की तरह एक वायरल संक्रमण है। यह स्टैगोमिया नामक मच्छर के काटने से मनुष्य के शरीर में फैलता है। ये मच्छर दिन के समय काटता है। ह एर्बोवायरस से फैलता है और मच्छर के काटने से यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है।आमतौर पर इसमें पीलिया के लक्षण भी पाए जाते है। 
अमेरिका की वाशिंगटन स्थित जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से डेनियल लूसी और लॉरेंस गोस्टिन ने कहा कि सबूत बताते हैं कि वर्तमान में इस यलो फीवर का प्रकोप नवीनतम वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति बन सकता है। इस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से आपात बैठक बुलाकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का समन्वयन, टीका उत्पादन में वृद्धि और धन जुटाने का आग्रह किया है।
लूसी और गोस्टिन के मुताबिक, इबोला और जीका वायरस को लेकर डबल्यूएचओ द्वारा किए गए विलंब से लोगों की जिंदगियां प्रभावित हुईं थीं और इसे दोहराया नहीं जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यलो फीवर की महामारी पहली बार अंगोला में जनवरी महीने में सामने आई थी और चार मई तक देश में 2,149 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 277 लोगों की मौत हुई है।
चीन, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो और केन्या में अंगोला से आने वाले संक्रमित यात्रियों के द्वारा प्रसारित होने वाले मामलों की सूचना मिल रही है। यलो फीवर संक्रमित मच्छरों से फैलने वाला एक तीव्र वायरल रक्तस्रावी रोग है, जिसमें गंभीर रूप से प्रभावित और इलाज न मिलने की स्थिति में मौत होने की 50 प्रतिशत संभावना होती है।
अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मच्छर जनित रोग यलो फीवर को लेकर सावधानी बरतने का आग्रह किया है।
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