पूरे विश्व में दहशत फैलाकर पहेली बना जीका वायरस सबके लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस पर रिसर्च कर रहे शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि किस तरह से जीका वायरस गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे भ्रुण के दिमाग के विकास को रोक देता है। दरअशल जीका वायरस से प्रभावित भ्रुण असामान्य रूप से छोटे सिर वाला पैदा होता है जिसका मस्तिष्क कम विकसित होता है।
टीएलआर3 को कर देता है अतिसक्रिय
जीका वायरस से इपेक्टेड बच्चे की स्थिति को मेडिकल भाषा में माइक्रोसेफली के कहते हैं। इस पर रिसर्च कर शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि जीका वायरस भ्रुण के मस्तष्क में टीएलआर3 नाम की कोशिका को अतिसक्रिय कर देता है।
चिकित्सकों ने यह रिसर्च गर्भ के शुरू के तीन माह के मानव के दिमाग की मूल कोशिका यानी स्टेम सेल आधारित मॉडल का 3डी इस्तेमाल करके पता लगाया है। टीम ने पता लगाया कि जीका वायरस मस्तिष्क में टीएलआर3 को अतिसक्रिय कर देता है।
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विषाणुओं से बचाते हैं टीएलआर3
टीएलआर3 मानव की मस्तिषक की ऐसी कोशिकाओं के ऐसे कण(मोलेक्यूल) होते हैं, जो आम तौर पर मस्तिष्क को वायरस (विषाणुओं) के आक्रमण से बचाते हैं। फिर बहुत अधिक सक्रिय टीएलआर3 उन जीन को रोक देता है, जिनसे स्टेम सेल्स को मस्तिष्क कोशिकाओं को विशेषज्ञता प्राप्त होती है और उन जीन को सक्रिय कर देता है, जिससे कोशिकाएं तेजी से मरने लगती हैं। ऐसे में जब शोधकर्ताओं ने टीएलआर3 को रोका तो मस्तिष्क की कोशिकाओं को कम नुकसान होने लगा।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर तारिक राणा ने कहा, “हम सभी के पास स्वाभाविक रूप से प्रतिरक्षी प्रणाली होती है, जो विषाणुओं से लड़ती है और हमारी रक्षा करती है। लेकिन यहां यह वायरस इसी तरह का रक्षा तंत्र हमारे ही खिलाफ बना लेता है।”
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