लिम्फोमा प्रतिरक्षा प्रणाली की लिम्फोसाइट्स में शुरू होने वाला कैंसर है तथा लिंफोइड कोशिकाओं का एक ठोस ट्यूमर के रूप में पाया जाता है। कीमोथेरेपी के साथ ही अन्य उपचार के माध्यम से इसका निदान संभव है। हालांकि समय रहते इसका पता लगना और इससे बचाव करना ही इसका उपचार है। इस लेख के जरिए जानें लिम्फोमा से बचाव के तरीकों के बारे में।कीमोथेरेपी और कुछ मामलों में रेडियोथेरेपी या अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण द्वारा लिम्फोमा का उपचार किया जा सकता है। यह रोग के ऊतक विज्ञान, प्रकार, और स्थिति पर निर्भर करता है। ये कोशिकाएं अक्सर लिम्फ नोड्स के आरंभ में नोड (एक ट्यूमर) की वृद्धि के रूप में होता है। लिम्फोमा करीबी तौर पर लिम्फोइड ल्यूकेमिया से संबंधित होते हैं। लिम्फोमा हिमेटोलोजिकल द्रोह या रक्त कैंसर का आम रूप है।
लिम्फोमा होने के कई कारण हो सकते हैं। हालांकि लिम्फोमा होने का कारण अभी तक पूरी तरह निर्धारित नहीं किया जा सका है। कुछ शोधों से पता चलता है कि लिम्फोमा वाले रोगियों में बढ़ें हुए लिम्फोमा जोखिम कारक नहीं पाए जाते हैं। अभी तक लिम्फोमा के कारण ज्ञात नहीं है, इसलिए इसे रोकने के लिए कोई सामान्य तरीका भी नहीं है।
लिम्फोमा से बचाव के तरीके
तंबाकू का सेवन न करें
विशेषज्ञ बताते हैं कि 22 फीसदी कैंसर तंबाकू के सेवन के कारण होता है, जिनमें से लिम्फोमा एक है। तंबाकू का सेवन न करने से तमाम तरह के कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है। वर्ष 2004 में 76 लाख कैंसर रोगियों में से 16 लाख को कैंसर तंबाकू का सेवन करने करने के कारण हुआ था। भारत में हर साल तंबाकू के सेवन से 10 लाख से ज्यादा मौत होती हैं। तंबाकू से लिम्फोमा के साथ ही अन्य कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा भी बढ़ता है। जैसे फेफड़े, सांस की नली, भोजन नली, ध्वनि यंत्र, मुंह, गुर्दे, पेशाब थैली, पैंक्रियास, पेंट और महिलाओं में सेरविक्स कैंसर आदि। फेफड़े के कैंसर के कुल मामलों में से 70 प्रतिशत मामले तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं।
शारीरिक परिश्रम
शारीरिक परिश्रम, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार लेने से भी लिम्फोमा का खतरा कम होता है। मोटापे और असंतुलित आहार का कैंसर से सीधा संबंध है, जैसे सांस नली, गुदा संबंधी, ब्रेस्ट, गुर्दे, आदि के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित आहार में फल और हरी सब्जियां भी अवश्य शामिल करनी चाहिए। उसी तरह से ‘रेड’ मांस का अत्यधिक सेवन भी नुकसानदेह हो सकता है। संतुलित आहार और शारीरिक परिश्रम से लिम्फोमा के साथ हृदय रोग होने का खतरा भी कम होता है।
स्वच्छ रहें
मेडिकल जर्नल लॉन्सेट ऑन्कोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उतरी अमेरिका में 25 में से एक मामले में रोगी को संक्रमण से कैंसर होता है। जबकि, विकासशील देशों में हर चार में से एक कैंसर पीड़ित को संक्रमण की वजह से कैंसर होता है। इसके पीछे की वजह साफ है कि विकासशील देशों में स्वच्छता को लेकर काफी लापरवाही बरती जाती है। लिम्फोमा से बचाव के लिए साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए और वातावरण में फैल रहे प्रदूषण से खुद को बचाने की कोशिश करनी चाहिए।
शराब से दूर रहें
शराब के सेवन से भी लिम्फोमा का खतरा बढ़ता है। शराब और धूम्रपान दोनों करने पर यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यही नहीं मुंह और श्वास नली के 22 फीसदी कैंसर शराब की वजह से होते हैं।
जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव
लिम्फोमा के खतरे को बढ़ाने वाली जीवनशैली से बचें। स्वस्थ्य जीवनशैली को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, साथ ही भरपूर नींद लें। आठ से 10 घंटे की नींद को पर्याप्त माना जाता है। जहां तक संभव हो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कम ही करें और हर समय इनके संपर्क में न रहें।
खान-पान का खयाल रखें
हरी पत्तेदार सब्जियां, चना और फल खाएं। सब्जियों और फलों में फाइबर मौजूद होता है जो रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है, खासतौर पर लिम्फोमा से। साथ ही यह कई प्रकार के कैंसर से भी लड़ने में मददगार होता है। फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, एवोकाडो, गाजर जैसे फल और सब्जियां अवश्य खाएं। शक्कर का सेवन कम ही करें। खाने के लिए तेल का चयन या उपयोग करने से पहले यह जांच लें कि आप जो तेल खाने जा रहे हैं वह स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है। ऑलिव ऑयल या कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल भोजन पकाने में कर सकते हैं। नमक का सेवन भी संतुलित मात्रा में ही करें।
हालांकि नॉन हाजकिन लिम्फोमा और हाजकिन लिम्फोमा से बचने का निश्चित तरीका नहीं है। कुछ सावधानियां बरतने से आप इस बीमारी के जोखिम को कम कर सकते हैं। एचआईवी जैसी संक्रामक बीमारियों से बचें और कुछ ऐसे रसायनों का उपयोग न करें, जिनसे लिम्फोमा का जोखिम बढ़ता है।
Read More Articles On Cancer in Hindi