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पीरियड्स-मेनोपॉज में मह‍िलाओं के ल‍िए नेचुरल टॉनिक है सत्तू, जानें कैसे करें इसे डाइट में शामिल

पीरियड्स-मेनोपॉज में सत्तू का सेवन करने से थकान, कमजोरी, पाचन और हॉर्मोनल असंतुलन जैसी समस्‍याएं दूर होती हैं और  शरीर को एनर्जी म‍िलती है।
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पीरियड्स-मेनोपॉज में मह‍िलाओं के ल‍िए नेचुरल टॉनिक है सत्तू, जानें कैसे करें इसे डाइट में शामिल


जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आने लगते हैं। खासतौर पर 40 की उम्र के बाद, जब मेनोपॉज नजदीक आने लगता है या शुरू हो चुका होता है, तब शरीर में थकान, हड्डियों में कमजोरी, पाचन की दिक्कतें, नींद की कमी और मूड स्विंग जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। वहीं, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पेट दर्द, ब्लोटिंग, कमजोरी और चिड़चिड़ापन भी महसूस होता है। इन सभी शारीरिक व मानसिक बदलावों से निपटने के लिए जरूरत होती है पोषण से भरपूर आहार की। ऐसे में सत्तू एक ऐसा देसी सुपरफूड है, जो महिलाओं के लिए एक नेचुरल टॉनिक की तरह काम करता है। यह न केवल शरीर को ठंडक देता है, बल्कि लंबे समय तक शरीर में एनर्जी भी बनाए रखता है। बाजार में मिलने वाले महंगे हेल्थ सप्लिमेंट्स की जगह अगर महिलाएं सत्तू को अपनी डाइट में शामिल क‍िया जाए, तो उन्हें कई तरह के फायदे मिल सकते हैं। खास बात यह है कि सत्तू, डाइजेशन के ल‍िए बेहतर होता है और इसके सेवन से शरीर को बिना साइड इफेक्ट्स के पूरा पोषण भी मिल जाता है। इस लेख में हम जानेंगे पीरियड्स-मेनोपॉज के दौरान सत्तू के फायदे और सेवन का सही तरीका। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के व‍िकास नगर में स्‍थ‍ित‍ न्‍यूट्र‍िवाइज क्‍लीन‍िक की न्‍यूट्र‍िशन‍िस्‍ट नेहा स‍िन्‍हा से बात की।

पीर‍ियड्स-मेनोपॉज में थकान और कमजोरी को दूर करता है सत्तू

सत्तू भुने हुए चने या कई बार जौ, मकई या बाजरा को पीसकर बनाया जाता है। यह पाउडर के फॉर्म में होता है और खासकर गर्मियों में इसकी ठंडक देने वाली क्षमता के कारण इसका सेवन बढ़ जाता है। सत्तू में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ होने वाली कमजोरी को कम करने में मदद करते हैं। पीर‍ियड्स और मेनोपॉज के दौरान होने वाली थकान और कमजोरी को दूर करने के ल‍िए भी सत्तू का सेवन फायेदमंद होता है

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पीरियड्स-मेनोपॉज में सत्तू खाने के फायदे- Benefits of Sattu in Periods and Menopause

  • सत्तू शरीर को तुरंत एनर्जी देता है और लंबे समय तक एक्टिव बनाए रखता है।
  • फाइबर से भरपूर होने के कारण यह पाचन को मजबूत करता है और पेट में गैस, ब्लोटिंग जैसी समस्याओं को कम करता है।
  • सत्तू शरीर को अंदर से ठंडक देता है, जिससे हार्मोनल बदलावों से होने वाली बेचैनी कम होती है।
  • सत्तू में मौजूद कैल्शियम और आयरन हड्डियों की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
  • सत्तू में मौजूद मैग्नीशियम शरीर को रिलैक्स करता है जिससे नींद अच्छी आती है।

सत्तू को डाइट में शामिल करने के आसान तरीके- How to Include Sattu in Diet

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  • सत्तू को शरबत के फॉर्म में प‍िएं। 2 चम्मच सत्तू, ठंडा पानी, थोड़ा काला नमक, भुना जीरा और नींबू मिलाकर एक हेल्दी ड्रिंक तैयार करें।
  • सत्तू पराठा खा सकते हैं। सत्तू में प्याज, हरी मिर्च, धनिया, नमक और नींबू मिलाकर पराठे की स्टफिंग बनाएं।
  • सत्तू के पौष्‍ट‍िक लड्डू तैयार करें। गुड़ और घी के साथ सत्तू मिलाकर लड्डू बनाएं, जो एनर्जी से भरपूर होते हैं।
  • सत्तू से बनी छाछ प‍िएं। सत्तू को छाछ में मिलाकर पिएं, ये पाचन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
  • सत्तू की स्मूदी बनाकर प‍िएं। सत्तू को केले, शहद और दूध के साथ मिलाकर एक पोषक स्मूदी तैयार करें।

सत्तू का सेवन कब करें?

  • सत्तू का सेवन सुबह या दोपहर में करना बेहतर होता है।
  • रात में सत्तू पीने से कुछ लोगों को पेट में गैस या भारीपन महसूस हो सकता है।
  • अगर किसी को चने से एलर्जी है, तो सत्तू का सेवन न करें।
  • सत्तू हमेशा ताजा और बिना मिलावट वाला ही खरीदें।

सत्तू न केवल शरीर को ठंडक देता है, बल्कि महिलाओं के लिए यह एक नेचुरल टॉनिक की तरह काम करता है। खासकर पीरियड्स और मेनोपॉज़ जैसी अवस्थाओं में यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

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FAQ

  • 1 चम्मच सत्तू में कितना प्रोटीन होता है?

    1 चम्मच (करीब 10 ग्राम) सत्तू में लगभग 2.5 से 3 ग्राम प्रोटीन होता है। यह एक अच्छा और सेहतमंद प्लांट-बेस्ड प्रोटीन है।
  • क्या सत्तू वजन बढ़ाता है?

    सत्तू को संतुलित मात्रा में लेने पर वजन नहीं बढ़ता, बल्कि लंबे समय तक पेट भरा रखता है और इसे खाने से ओवरइटिंग नहीं होती। लेक‍िन इसमें घी या गुड़ ज्‍यादा मिलाकर खाने पर वजन बढ़ सकता है।
  • सत्तू को कैसे खाना चाहिए?

    सत्तू को पानी, नमक, नींबू या गुड़ के साथ घोलकर शरबत की तरह पी सकते हैं। पराठे, लड्डू या स्मूदी के फॉर्म में भी इसे हेल्दी तरीके से खाया जा सकता है।

 

 

 

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