हर कोई शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में बात करता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी मनोवैज्ञानिक स्थिति आपके शारीरिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है? मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। मानसिक स्वास्थ्य का हमारे समग्र स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार अगर काेई व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ है, ताे वह शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रह सकता है। आयुर्वेद चिकित्सा किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण के सभी पहलुओं के साथ-साथ तनाव कम भी करता है। आयुर्वेदिक तन, मन और आत्मा के बीच सही संतुलन बनाने पर जाेर देता है। आयुर्वेद के अनुसार तन, मन और आत्मा काे कैसे शांत रखा जा सकता है, इस बारे में जानने के लिए हमने एम.पी.आई.एल वेलनेस के निदेशक निखिल माहेश्वरी से बातचीत की-
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1. योग का अभ्यास करें (Yoga Practice)
जब आयुर्वेद के बारे में बात की जाती है, ताे याेग सबसे पहले दिमाग में आता है। आयुर्वेद में स्वस्थ रहने, तनाव काे कम करने और मन काे शांत करने के लिए याेग काे काफी अहम माना जाता है। आयुर्वेदिक जीवनशैली में सरल याेग मुद्राएं शरीर काे सक्रिय, लचीला और स्वस्थ रखती हैं। याेग संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। नियमित रूप से याेग करने से शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बना रहता है। याेग तनाव कम करने और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए जाना जाता है।
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2. लंबी गहरी सांस भी है जरूरी (Deep Breathing)
आयुर्वेद में याेग काे काफी जरूरी माना गया है। याेग ध्यान, सांसाें और आसनाें से मिलकर बना हाेता है। आयुर्वेद में खुद काे स्वस्थ रखने, तन-मन काे शांत रखने के लिए गहरी सांस लेना बहुत जरूरी हाेता है। सांस की अहमियत का अहसास काेराेना वायरस की दूसरी लहर में हम सभी काे हुआ है, ऐसे में बार-बार लंबी गहरी सांस लेना और याेग ने भी हमारी काफी मदद की थी। श्वांस व्यायाम फेफड़ाें काे मजबूत बनाने, संक्रमणाें काे दूर रखने और तनाव करने के लिए काफी फायदेमंद हाेता है। लंबी गहरी सांस मन और शरीर काे जाेड़ता है।
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3. स्वस्थ आहार खाएं
आयुर्वेद में सात्विक भाेजन काे अहम माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार हमेशा अपनी प्रकृति के अनुसार ही भाेजन करना चाहिए। अगर किसी की पित्त प्रकृति है, ताे उसे गर्म, खट्टी चीजाें से परहेज करना चाहिए और ठंडी तासीर की चीजाें का सेवन अधिक करना चाहिए। वहीं कफ और वात प्रकृति के लाेगाें काे ठंडी चीजाें के सेवन से बचना चाहिए और गर्म तासीर की चीजाें काे अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। आयुर्वेद में फलाें और सब्जियाें काे आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। साथ ही ताजा, आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थाें काे भी डाइट में शामिल करना चाहिए।
4. समय पर खाना-समय पर साेना
आयुर्वेद के अनुसार तन और मन से स्वस्थ रहने के लिए समय पर खाना और समय पर साेना बहुत जरूरी हाेता है। साथ ही किसी भी मील काे स्किप नहीं करना चाहिए। शुद्ध, पौष्टिक और ताजा भाेजन करना चाहिए। सुबह 6-8 के बीच ब्रेकफास्ट, 12-1 के बीच लंच और 7 बजे से पहले डिनर कर लेना चाहिए। साथ ही 9 बजे से पहले साेना और 5 बजे तक उठना जरूरी माना जाता है।
5. ध्यान लगाना
आयुर्वेद में शरीर, मन और आत्मा काे संतुलन में रखने के लिए ध्यान देने पर जाेर दिया गया है। दिनभर में 15-20 मिनट ध्यान लगाने से तनाव दूर हाेता है, व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। ध्यान देना आयुर्वेद में कई राेगाें काे दूर करने के लिए जरूरी माना जाता है, साथ ही इससे सकारात्मक विचाराें का भी आदान-प्रदान हाेता है।
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6. जड़ी-बूटियाें का सेवन भी जरूरी
आयुर्वेद में जड़ी-बूटियाें के सेवन पर जाेर दिया गया है। आयुर्वेद में जड़ी-बूटियाें काे दवाइयाें, भाेजन आदि के रूप में सेवन किया जाता है। जड़ी-बूटियां अनिद्रा, तनाव. चिंता काे दूर करता है और तन-मन काे स्वस्थ रखता है। ब्राह्मी, भृंगराज, अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियों और हल्दी, काली मिर्च आदि काे आहार में शामिल करके स्वस्थ रहा जा सकता है। साथ ही जड़ी-बूटियाें के सेवन से शरीर की राेग प्रतिराेधक क्षमता भी मजबूत बनती है।
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