
आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों के मौसम में वात दोष का असंतुलन होना आम बात है, खासतौर पर उन लोगों में जो पहले से वात दोष से प्रभावित रहते हैं। वात दोष का असंतुलन शरीर में कई समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे त्वचा का रुखापन, जोड़ों का दर्द, मानसिक अशांति और अपच। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के तीन मुख्य दोष - वात, पित्त और कफ शरीर की सभी प्रक्रियाओं को कंट्रोल करते हैं। सर्दियों में बढ़ा हुआ वात दोष विशेष रूप से थकान, जोड़ों में दर्द, बेचैनी और ऊर्जा की कमी का कारण बनता है। वात दोष को संतुलित करने के लिए आयुर्वेदिक आहार और जीवनशैली का पालन करना जरूरी होता है, जिसमें गर्म और पौष्टिक भोजन, मसालों का सेवन और नियमित मालिश (अभ्यंग) शामिल है। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा कुछ फूड्स और मसाले बता रहे हैं जो सर्दियों में आपके शरीर को गर्म रखेंगे और वात दोष को संतुलित करने में भी सहायक होते हैं।
सर्दियों में वात दोष को संतुलित करने के लिए आयुर्वेदिक फूड्स
1. गाय का घी
गाय का घी आयुर्वेद में बेहद पौष्टिक और वात दोष को संतुलित करने के लिए उत्तम माना गया है। इसका नियमित सेवन शरीर को एनर्जी और गर्माहट प्रदान करता है। घी में पाए जाने वाले गुण ड्राईनेस को कम करते हैं और नमी को बनाए रखते हैं। भोजन में एक चम्मच घी का सेवन दिन में दो बार करने से पाचन भी बेहतर होता है।
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2. अदरक
अदरक सर्दियों में आपके शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। इसका सेवन वात दोष को कंट्रोल करता है और पाचन में सुधार लाता है। अदरक की चाय या सूप बनाकर इसका सेवन करना सर्दियों में फायदेमंद होता है। यह सूजन को भी कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
3. हल्दी वाला दूध
हल्दी वाला दूध सर्दियों में बेहद लाभकारी माना जाता है। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो वात दोष को संतुलित करते हैं। सर्दियों में हल्दी का दूध पीने से शरीर में गर्माहट आती है और यह सर्दी-जुकाम से भी बचाव करता है। रात को सोने से पहले एक गिलास हल्दी वाला दूध पीना सर्दियों के लिए एक अच्छा उपाय है।
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4. तिल
तिल वात दोष को संतुलित करने के लिए सबसे पुराने और प्रभावी उपायों में से एक है। सर्दियों में तिल के तेल का इस्तेमाल या तिल का सेवन शरीर को अंदर से गर्म रखता है। तिल में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर की गर्माहट बनाए रखने और हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होते हैं। तिल का लड्डू या तिल के तेल से अभ्यंग करना विशेष रूप से सर्दियों में लाभकारी होता है।
5. दालचीनी
दालचीनी शरीर की गर्माहट बढ़ाने के साथ-साथ वात दोष को संतुलित करने में मददगार होती है। इसे चाय, दूध या खाने में मिलाकर सेवन करने से शरीर की ठंडक कम होती है। दालचीनी का नियमित सेवन शरीर में सूजन को कम करता है और हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद में सर्दियों में वात दोष को संतुलित करने के लिए डाइट का विशेष महत्व है। घी, अदरक, तिल, दालचीनी और हल्दी का सेवन वात दोष को संतुलित करने के साथ शरीर को अंदर से गर्म रखने में मदद करता है।
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