आयुर्वेद में ऐसे तमाम फूल, पौधे और पेड़ हैं, जिनके बारे में हमें शायद ही जानकारी होगी। क्या आपने कभी सप्तपर्णी के बारे में सुना है या इसका इस्तेमाल किया है? अगर नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको सप्तपर्णी के कुछ फायदों से अवगत कराएंगे। दरअसल सप्तपर्णी एक सामान्य कद का पौधा है। जो भारत में आसानी से कई जगहों पर पाया जाता है। सप्तपर्णी कई स्वास्थ्य समस्याओं में काम आता है। आयुर्वेद में इसे विषेश महत्तव दिया गया है। सप्तपर्णी की छाल और इसके फूल भी कई समस्याओं का इलाज हैं। इसी विषय पर अधिक जानकारी लेने के लिए हमने हरियाणा के सिरसा जिले के आयुर्वेदाचार्य डॉ. श्रेय शर्मा (Dr. Shrey Sharma, Ayurvedacharya, Sirsa) से बातचीत की। चलिए जानते हैं सप्तपर्णी के कुछ फायदों के बारे में।
1. बुखार का इलाज करने में सहायक
आयुर्वेदाचार्य डॉ. श्रेय शर्मा के मुताबिक सप्तपर्णी बुखार में अहम भूमिका निभाता है। बुखार होने पर तुरंत दवा ना खाकर अगर किसी जड़ी बूटी का इस्तेमाल करें तो ज्यादा बेहतर रहता है। बुखार ठीक करने के लिए सप्तपर्णी की छाल को पीसकर इसका चूर्ण बनाया जाता है और इसका सेवन किया जाता है। ऐसे में इसके चूर्ण का काढ़ा बनाना एक बेहतर विकल्प होगा। इसके लिए इस चूर्ण का इस्तेमाल केवल 2 ग्राम से 8 ग्राम तक ही करें। सप्तपर्णी के सेवन से आम बुखार के साथ ही मलेरिया आदि भी ठीक हो सकते हैं।
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2. चर्म रोग ठीक करने में मददगार
सप्तपर्णी आपके चर्म रोगों को भी ठीक करने में मददगार मानी जाती है। सप्तपर्णी का प्रयोग एलर्जिक चर्म रोग में बहुत कारगर होता है। इसका इस्तेमाल दाद खाज और खुजली में बहुत फायदेमंद होता है। सप्तपर्णी की छाल का लेप और रस दोनों ही चर्म रोग ठीक करते हैं। आप चाहें तो इसकी छाल का लेप बनाकर प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं। इससे चर्म रोग में आराम मिलता है। एक शोध में यह भी पाया गया है कि सप्तपर्णी एंटी एजिंग की तरह काम करती है। यह त्वचा पर कोलेजन बढ़ाकर रिंकल्स आने से भी रोकती है।
3. दस्त से दिलाए राहत
दस्त की समस्या में भी सप्तकर्णी काफी सहायक होती है। अगर आप दस्त से परेशान हैं या फिर आपको पाचन संबंधी समस्या है तो आपके लिए सप्तपर्णी एक फायदेमंद जड़ी बूटी है। आयुर्वेद में दस्त के इलाज के लिए सप्तपरणी का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ सेवन किया जाता है। इसके अलावा सप्तपर्णी का काढ़ा बनाकर पीने से भी दस्त में लाभ मिलता है। इससे आपके दस्त को जल्द ही आराम मिलेगा और पेट हल्का और स्वस्थ महसूस होगा।
4. दर्द से दिलाए राहत
सप्तपर्णी का प्रयोग किसी भी तरह के दर्द से आराम दिलाता है। यह एक एंटी इन्फ्लेमेटरी पौधा होता है। इसकी छाल का काढ़ा पीने से बदन दर्द में आराम मिलता है। इसके साथ ही सप्तपर्णी के पेड़ से प्राप्त दूध को तेल के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इसे इस्तेमाल करने से पहले एक बार अपने आयुर्वेदाचार्य से जरूर सलाह लें। शरीर में हो रही सूजन या फिर दर्द में आप गरम पानी के साथ इसके चूर्ण का सेवन करें। इससे आपको आराम मिलेगा।
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5. ज़ख्म ठीक करे
डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार सप्तपर्णी पुराने ज़ख्मों को ठीक करती है। सप्तपर्णी की हीलिंग प्रॉपर्टीज किसी भी तरह के घाव को भर देती है। ऐसा शोध में पाया गया है की सप्तपर्णी घाव भरने में काफी कारगर होती है। इसके लिए आप सप्तपर्णी की छाल का लेप बनाकर घाव पर लगाएं। कुछ दिनों तक इस लेप को रोजाना प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे आपके जख्म जल्दी भरने लगेंगे। इस समस्या में भी आप इसका काढ़ा या फिर चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपका घाव जल्दी भरने लगेगा।
यह लेख आयुर्वेदाचार्य द्वारा प्रमाणित है। लेख में दिए गए तरीकों से आप सप्तपर्णी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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