त्वचा की देखभाल के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते। मेकअप करने से लेकर सर्जरी इत्यादि सब करवा लेते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं त्वचा के लिए आयुर्वेद को अपनाना बहुत फायदेमंद है। आयुर्वेद के नुस्खे अपनाकर आप अपनी त्वचा में नमी बरकरार रखते हुए इसे मुलायम और फ्रेश बना सकते हैं। त्वचा में निखार लाने वाले सौंदर्यवर्धन साधनों में आप चंदन और हल्दी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। आइए जानें त्वचा के लिए आयुर्वेंद के नुस्खों के बारे में।
आयुर्वेद में त्वचा के प्रकार
त्वचा की देखभाल के लिए आयुर्वेद के नुस्खे अपनाने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आपकी त्वचा का प्रकार क्या है। तभी आप आयुर्वेद के नुस्खों का सही लाभ उठा पाएंगे।आयुर्वेद में त्वचा के मुख्यतः तीन प्रकार माने गए हैं जिनमें वात, पित्त और कफ की अधिकता से दोष उत्पन्न हो जाता है।वात त्वचा यानी जिस त्वचा में वात की अधिकता है जिससे त्वचा रूखी हो जाती है, ठंड के समय त्वचा पर झुर्रियां पड़ जाती है और उम्र के साथ जल्दी ढलती जाती है।
पित्त त्वचा यानी जिसमें पित्त की अधिकता है जिससे त्वचा में लाल चकत्ते पड़ते हैं, मुहांसे होना, जल्दी-जल्दी सनबर्न होना। पित्त त्वचा बहुत ही संवेदनशील होती है, बहुत ही मुलायम तो होती है लेकिन उसमें हल्कापन होता है और गर्माहट होती है। इस तरह की त्वाचा पर रेशेज और एक्ने की समस्या अधिक होती है।कफ त्वचा यानी जिसमें कफ की मात्रा अधिक होती है। ऐसी त्वचा अधिक तैलीय, मोटी खाल, ठंडापन लिए होती है। ऐसी त्वचा मुलायम तो होती है लेकिन उसमें भारीपन बरकरार रहता है। ऐसी त्वचा पर अधिक गंदगी जमा होने की संभावना, मुंहासे की शिकायत अधिक रहती है।
आयुर्वेद में त्वचा के प्रकारों के उपाय
वात प्रभावी त्वचा शुष्क होती है और समय से पहले ही अपनी वसा खो देती है। ऐसी त्वचा की देखभाल ज़रूरी हो जाती है। खासतौर पर इस तरह की त्वचा को पौष्टिकता देने के लिए आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों और आयुर्वेदिक तेल के मिश्रण से मसाज करनी चाहिए। मसाज से त्वचा में नमी बरकरार रहेगी और शुष्कता दूर होगी। इसके अलावा भरपूर नींद लेनी चाहिए। त्वचा को संतुलित करने के लिए खानपान में भी पौष्टिक चीजों को शामिल करना चाहिए।
पित्त प्रभावी त्वचा पीली और संवेदनशील होने से सूरज की रोशनी में खासी प्रभावी होती है। ऐसी त्वचा की देखभाल के लिए कूलिंग और त्वचा को पौष्टिकता देने की आवश्यकता है। ये दोनों ही चीजें आयुर्वेद में टैनिंग ट्रीटमेंट और थेरेपी के माध्यम से दी जा सकती है। जो कि लंबे समय तक त्वचा की सही देखभाल करती है।कफ प्रभावित त्वचा की देखभाल के लिए त्वचा के विषैले तत्वों को दूर करने की आवश्यकता पड़ती है। विषैले पदार्थ के कारण ही त्वचा की चमक खत्म हो जाती है और त्वचा संक्रमण हो जाता है। ऐसे में त्वचा को अंदरूनी और बाहरी दोनों तरह से साफ रखना जरूरी है, अन्यथा त्वचा कुछ समय बाद फटने लगती है। इसके लिए खूब सारा पानी पीना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए। आयुर्वेद जड़ी बूटियों से बने सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करना चाहिए और समय-समय पर मुंह धोते रहना चाहिए। आयुर्वेद मसाज थेरेपी से त्वचा की सफाई की जाती है। मसाज से त्वचा के तैलीयपन को भी कम किया जा सकता है।
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