बच्‍चों में क्‍या हैं अस्‍थमा के लक्षण : इन 5 तरीकों से करें उनकी देखभाल

अस्थमा एक बहुत ही सामान्य एलर्जी है जो संक्रमण के संचरण के कारण और अन्य कई कारकों के कारण भी होता है। इसमें सूजन वाले ब्रोन्कियल नलियों से सांस लेने की समस्या होती है। अतिरिक्त धूल और प्रदूषण के अलावा जीन प्रमुख कारक हैं। यहां कुछ संकेत दिए गए हैं जो बताते हैं कि बच्चे को अस्थमा है।
  • SHARE
  • FOLLOW
बच्‍चों में क्‍या हैं अस्‍थमा के लक्षण : इन 5 तरीकों से करें उनकी देखभाल

जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो मां को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। मां की हर क्रिया और यहां तक कि आहार बच्चे को प्रभावित करता है। बच्चों को अक्सर अपने माता-पिता से कुछ संक्रमण जीन में ही मिल जाता है। इससे शिशुओं में लंबे समय तक गंभीर विकार उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार, एक मां को हमेशा सावधान रहना चाहिए कि वह क्या खाती है और क्या करती है। अस्थमा एक बहुत ही सामान्य एलर्जी है जो संक्रमण के संचरण के कारण और अन्य कई कारकों के कारण भी होता है। इसमें सूजन वाले ब्रोन्कियल नलियों से सांस लेने की समस्या होती है। अतिरिक्त धूल और प्रदूषण के अलावा जीन प्रमुख कारक हैं। यहां कुछ संकेत दिए गए हैं जो बताते हैं कि बच्चे को अस्थमा है।

 

सांस लेने में परेशानी 

कभी-कभी आप देखेंगे कि आपके बच्चे को सांस लेने में मुश्किल हो रही है। बहुत अधिक प्रयास करते हुए भी, वह ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है और पेट बहुत ज्यादा हिल रहा है। यह शिशु में अस्थमा के शुरुआती संकेत हैं।

घरघराहट की आवाज 

जब शिशु सांस लेते हुए बहुत तेज आवाज करता है तो उसे घरघराहट के तौर पर जाना जाता है। आपको इस स्थिति को अनदेखा नहीं करना चाहिए और जल्द ही डॉक्टर से मिलना चाहिए।

कफ की अधिकता 

अत्यधिक और लगातार खांसी बच्चे में अस्थमा के स्पष्ट संकेतक हैं। यह इंगित करता है कि ऐसा कुछ है जो बच्चे के वायुमार्ग को अवरुद्ध कर रहा है और सूजन पैदा कर रहा है। नतीजतन, बच्चा ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है।

खाना खाने में परेशानी

कई बार अस्थमा के कारण बच्चा ठीक से खाना नहीं खा पाता है। वास्तव में, शिशु को मां का दूध पीना मुश्किल लगता है। यह बच्चे को ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण है। यदि यह बार-बार हो रहा है, तो आपको जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। 

इसे भी पढ़ें:  ये 5 लक्षण बच्‍चों के पेट में कीड़े होने के हैं संकेत

क्‍या करें 

अगर आपका बच्चे लंबे समय से खांसी के परेशान है तो उसकी अस्थमा की जांच जरूर करायें। अस्थमा से फेफडों को नुकसान पहुंचता है, इसलिए दवा ऐसी होनी चाहिए, जिसे फेफडे आसानी से खींच पाएं। जिस तरह से त्वचा पर संक्रमण होने पर क्रीम लगाने को दी जाती है, वैसे ही अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए इनहेलर जरूरी है। हर व्यक्ति में लक्षण एक समान नहीं होते हैं, लेकिन अस्थमा का सामना कर रहे लोगों में हल्के से गंभीर लक्षणों के उतार चढ़ाव दिख सकते है। कुछ लोगों को लंबे समय के अंतराल के बाद अस्थना के लक्षण दिख सकते है और अस्थमा का अटैक आ सकता है।

इसे भी पढ़ें: बच्‍चों में जन्‍मजात हो सकता है ह्रदय रोग का खतरा, जानें लक्षण और बचाव

अस्‍थमा से बचाव 

1 अस्थमा होने पर बच्‍चों को कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए ताकि वे सामान्य जिंदगी व्यतीत कर सकें। जिन चीजों से एलर्जी हो उनसे दूर रहें, जैसे कुछ बच्‍चो को पुरानी किताबों की गंध, परफ्यूम, अगरबत्ती, धूप, कॉकरोच, पालतू जानवरों आदि से एलर्जी होती है। 

2 अस्थमा की वजह गलत खानपान भी है। तला हुआ खाना अस्थमा को बढ़ाता है। जंक फूड न खाएं इससे एलर्जिक अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। गाजर, शिमला मिर्च, पालक और दूसरे गहरे रंग के फलों और सब्जियों को डाइट में शामिल करें, क्योंकि इनमें बीटा कैरोटीन होता है।

3 अगर आपके बच्‍चे को मौसमी परेशानी हो तो उसे मौसम के शुरू होने से पहले डॉक्टर की सलाह से प्रिवैंटिव इनहेलर दे सकते हैं। हालांकि ये नवजात शिशुओं के लिए नहीं है। 

4 रात को देर से खाना खाकर सो जाने से अस्थमैटिक बच्‍चों के लिए नुकसान होता है। इसलिए बच्‍चों को सोने से कम से कम 2 घंटे पहले डिनर करवा दें। अगर नवजात शिशु में इस प्रकार की समस्‍या है तो तुरंत डॉक्‍टर की सलाह लें।

5 सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि गर्भावस्‍था के दौरान मां को किसी भी संक्रमण से खुद को बचाना चाहिए। खानपान अच्‍छा होना चाहिए। इससे शिशु रोगमुक्‍त और सेहतमंद होगा।  

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Children Health In Hindi

Read Next

बच्‍चों में जन्‍मजात हो सकता है ह्रदय रोग का खतरा, जानें लक्षण और बचाव

Disclaimer