सर्दी के मौसम में अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है और इस बीमारी में मरीज को किसी भी समय गंभीर समस्याएं हो सकती है। अस्थमा के मरीजों को सांस फूलना, खांसी और घबराहट की समस्या किसी भी समय हो सकती है। सर्दियों में अस्थमा के मरीजों को अस्थमा अटैक का खतरा भी ज्यादा रहता है। अस्थमा के रोगियों में अचानक सांस की नलिकाएं सिकुड़ने और इसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ के साथ दम फूलने की समस्या को अस्थमा अटैक कहते हैं। इसके अलावा कई बार ऐसी जगह पर जहां हवा का प्रवाह कम है वहां फंस जाते हैं तो बेचैनी, सांस लेने में तकलीफ और जकड़न की समस्या होती है और सीने में गंभीर दर्द शुरू हो जाता है। इसे भी अस्थमा अटैक कहा जाता है। अस्थमा के मरीजों के पास इन्हेलर होने पर वे इस स्थिति में उसका इस्तेमाल कर अपनी परेशानी कम कर सकते हैं। लेकिन सामान्य तौर पर अस्थमा के मरीजों में अस्थमा अटैक की समस्या कभी भी हो सकती है और कई बार ऐसी स्थिति में आपके पास कोई हेल्प ही नहीं होता है। अस्थमा अटैक के लक्षणों को पहले से पहचानकर आप इस समस्या से बचाव के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं। आइये जानते हैं अस्थमा अटैक की समस्या में दिखने वाले शुरूआती लक्षणों के बारे में और इससे बचाव के उपायों के बारे में।
क्या है अस्थमा अटैक की समस्या? (What Is Asthma Attack?)
अस्थमा जैसी सांस से जुड़ी समस्याओं में मरीज पहले से किसी समस्या के बारे में प्लान नहीं कर सकते हैं। लखनऊ के मशहूर पल्मोनोलॉजिस्ट और चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ आर के चौधरी के मुताबिक अस्थमा अटैक भी एक ऐसी ही समस्या है जो अलग-अलग कारणों से हो सकती है और मरीजों में यह कभी भी ट्रिगर हो सकती है। अस्थमा या दमा के अटैक के दौरान मरीजों की सांस नली जिसे वायुमार्ग भी कहते है में सूजन और सिकुड़न आ जाती है। सांस नली की मांसपेशियों में सूजन आने की वजह से ये मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और इसके आसपास बलगम की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसकी वजह से श्वास (ब्रोन्कियल) नलिकाएं भी सिकुड़ जाती हैं। इस वजह से मरीजों में सांस लेने में दिक्कत, सांस लेते समय घरघराहट और छाती में दर्द की समस्या होती है। सामान्य कारकों की वजह से होने वाला अस्थमा अटैक तो इन्हेलर के इस्तेमाल से अपने आप थोड़ी देर बाद ठीक हो जाता है लेकिन जब यह समस्या गंभीर होती है तो परेशानियां बढ़ जाती हैं।
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अस्थमा अटैक के लक्षण (Asthma Attack Symptoms)
किसी भी समस्या या बीमारी से बचने के लिए मरीजों को उसके लक्षणों के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए। अस्थमा अटैक की समस्या में आप जितनी जल्दी इसके लक्षणों को पहचान लेंगे इसके इलाज और बचाव में उतना ही फायदा मिलेगा। अस्थमा की समस्या में मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट, खांसी, सीने और छाती में दर्द और चलने या दौड़ने में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं। जब कुह कारणों से इसका प्रभाव मरीज पर अधिक हो जाता है तो अचानक अस्थमा अटैक हो सकता है। अस्थमा अटैक की समस्या में दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।
- अस्थमा अटैक में दिखने वाले सामान्य लक्षण
- सांस लेने में दिक्कत।
- सीने में जकड़न और दर्द।
- तेज खांसी।
- घरघराहट।
- चलने में दिक्कत।
- अस्थमा अटैक में दिखने वाले गंभीर लक्षण
- गंभीर रूप से खांसी की समस्या।
- सांस लेने में तकलीफ और तेजी से सांस चलने की समस्या।
- हार्टबीट (दिल की धड़कन) में बदलाव।
- सीने में गंभीर जकड़न।
- स्किन का रंग पीला या बैंगनी हो जाना।
- बोलने में दिक्कत।
- उलझन होना।
- गर्दन और छाती की मांसपेशियों में कसाव।
- चेहरे पर पसीना होना।
- होंठों का नीला होना।

क्यों होती है अस्थमा अटैक की समस्या? (What Causes Asthma Attack?)
अस्थमा के मरीजों को किसी भी समस्या अस्थमा अटैक होने का खतरा रहता है। यह समस्या सर्दियों में बढ़ जाती है। ज्यादातर लोगों में अस्थमा अटैक होने का कारण मौसम में बदलाव, सर्दी-जुकाम, एलर्जी होता है। इसके अलावा जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली ज्यादा संवेदनशील होती है उनमें यह समस्या इन्फेक्शन आदि के कारण हो सकती है। कुछ ट्रिगर्स के संपर्क में आने से वायुमार्ग (ब्रोन्कियल ट्यूब) में सूजन बढ़ जाती है जिससे अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। हर व्यक्ति में अस्थमा अटैक के लक्षण और कारण अलग-अलग हो सकते हैं। अस्थमा अटैक की समस्या के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।
- पालतू जानवरों के बाल (एनिमल हेयर) के कारण।
- मोल्ड और धूल के कण के संपर्क में आने से।
- तंबाकू के धुएं के कारण।
- ठंडी हवाओं के कारण।
- गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) की वजह से।
- स्ट्रेस, चिंता और अन्य मानसिक समस्याओं की वजह से।
- कार्डियोवैस्कुलर या फेफड़ों की बीमारी।
- साइनस की समस्या के कारण।
जिन लोगों को पहले अस्थमा का अटैक आ चुका है ऐसे लोगों में ऊपर बताये गए कारणों से अस्थमा अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा कुछ शोध और अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि जो लोग इन्हेलर का बार-बार और ज्यादा इस्तेमाल करते हैं उनमें भी अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अस्थमा अटैक का इलाज और बचाव के टिप्स (Asthma Attack Treatment And Prevention Tips)
पहली बार या सामान्य अस्थमा अटैक की समस्या में मरीज इन्हेलर के इस्तेमाल से इस समस्या के दौरान होने वाली दिक्कतों से बच सकते हैं। शुरुआत में इसके लक्षणों को पहचानकर आप अस्थमा अटैक के कारणों से दूर रहकर भी इस समस्या से बचाव कर सकते हैं। जब अस्थमा अटैक की समस्या अधिक गंभीर हो या इसके लक्षण अधिक गंभीर हों तो तुरंत राहत पाने के लिए इन्हेलर का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन उसके तुरंत बाद चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए। कई बार अस्थमा अटैक की समस्या बहुत गंभीर होती है जिसकी वजह से मरीजों में क्यु गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क कर इलाज कराना बहुत जरूरी होता है। अस्थमा अटैक की समस्या से बचाव के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- एलर्जी, मौसमी पराग, जानवरों के बाल और धूल के कण से दूर रहें।
- जिन लोगों का इम्यून सिस्टम संवेदनशील है उन्हें सर्दी-जुकाम जैसी समस्या से बचना चाहिए।
- अधिक ठंड के मौसम में बाहर निकलने से बचें।
- फैक्ट्री में जाने से पहले मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।
- धुआं और परफ्यूम से भी दूरी बनाए रखें।
- तनाव, चिंता और अन्य मानसिक समस्याओं से बचाव के लिए मेडिटेशन करें।
- स्मोकिंग करने से बचें।
- हवा की गुणवत्ता खराब होने पर घर से बाहर निकलने से बचें।
- घर में धूल और गंदगी न जमा होने दें।
इसके अलावा अस्थमा अटैक की समस्या में अगर आपके पास इन्हेलर नहीं है तो घबराने के बजाय आप जहां हैं वहीं बैठ जाएं या खड़े हो जाएं। याद रहे अस्थमा अटैक आने पर आप लेटने की कोशिश न करें क्योंकि लेटने से आपकी समस्या और बढ़ सकती है। सांस की नलिकाओं के ब्लॉकेज को कम करने के लिए लंबी और गहरी सांस लें। इसके अलावा गुनगुना पानी पियें या चाय, कॉफी का सेवन करें। अस्थमा अटैक की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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