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शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में आती हैं खून से जुड़ी ये 3 बीमारियां, जानें इनके बारे में

शरीर में खून की कमी और खून से जुड़ी कुछ अन्य बीमारियां शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में आती हैं, आइये जानते हैं इन समस्याओं के बारे में।
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शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में आती हैं खून से जुड़ी ये 3 बीमारियां, जानें इनके बारे में

दुनियाभर में विकलांग व्यक्तियों की गरिमा उनके अधिकार और कल्याण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से अभियान चलाया जाता है। विकलांगता के मुद्दे पर लोगों में जानकारी की कमी की वजह से कई बार इससे ग्रसित व्यक्तियों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दिव्यांग व्यक्ति के कल्याण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा कई और संगठन काम करते हैं। इसके साथ ही सरकार भी ऐसे व्यक्तियों के कल्याण के लिए समय-समय योजनाएं लेकर आती है। शारीरिक रूप से अक्षम होने का मतलब यह नहीं है कि आप शरीर के अंगों को देखकर उसे पहचान सकें। कई बार कुछ ऐसी दिव्यांगता से जुड़ी समस्याएं होती हैं जिन्हें आप बाहर से नहीं देख सकते हैं। शरीर में खून से जुड़ी कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो विकलांगता की श्रेणी में आती हैं। आइये विस्तार से जानते हैं इनके बारे में।

खून से जुड़ी ये समस्याएं आती हैं शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में (Blood Disorders Recognized As Disability)

Blood-Disorders

शरीर में खून की कमी की समस्या को सामान्य रूप से एनीमिया के नाम से जाना जाता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में खून नहीं होने से आपके शरीर में कमजोरी, काम करने में असमर्थता और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। खून से जुड़े कुछ दुर्लभ डिसऑर्डर भी शारीरिक अक्षमता का कारण हो सकते हैं। खून से जुड़ी इन समस्याओं को शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में रखा गया है। इन समस्याओं को भारत की संसद द्वारा पारित विकलांग लोगों के अधिकार विधेयक में शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में शामिल किया गया था। लखनऊ स्थित अवध हॉस्पिटल के हेमेटोलॉजिस्ट एस के सेठ के मुताबिक शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में शामिल ये समस्याएं खून से जुड़ी हुई हैं और बहुत कम लोगों में देखी जाती हैं। लेकिन इन समस्याओं का सटीक इलाज और लोगों में इनके बारे में सही जानकारी न होने के कारण ये बहुत गंभीर हो जाती हैं। आइये जानते हैं इन 3 समस्याओं के बारे में।

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1.  थैलेसीमिया (Thalassemia)

हमारे देश में थैलेसेमिया की समस्या से ग्रसित बच्चों की संख्या ज्यादा है और एक आंकड़े के मुताबिक यह समस्या तेजी से फैल भी रही है। करीब एक से डेढ़ लाख बच्चे इस जन्मजात बीमारी से पीड़ित होते हैं और करीब दस से पंद्रह हजार बच्चे गंभीर थैलेसीमिया से पीड़ित होते हैं। थैलेसीमिया रक्त से संबंधित बीमारी है, जिसकी वजह से शरीर असामान्य तरीके का हीमोग्लोबिन पैदा करने लगता है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का नाश होता है और संबंधित व्यक्ति में खून की कमी होने लगती है। यह एक वंशानुगत बीमारी भी है।

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2. सिक्कल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia)

आमतौर पर लोग शरीर में खून की कमी को एनीमिया मान लेते हैं लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। एनीमिया की समस्या में शरीर में खून की कमी के साथ-साथ कई अन्य चीजों की कमी भी होती है। सिक्कल सेल एनीमिया भी खून से जुड़ी एक गंभीर समस्या है जिसे शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में रखा गया है। सिक्कल सेल एनीमिया दरअसल एक ऐसी स्थिति है जब लाल रक्त कोशिकाएं हीमोग्लोबिन में गड़बड़ी के कारण चांद या अन्य टेढ़े-मेढ़े अकार की हो जाती हैं और कठोर हो जाती हैं। इसकी वजह से शरीर में खून का प्रवाह भी रुक जाता है। यह समस्या भी एक प्रमुख आनुवांशिक समस्या है जिसमें यदि माता पिता दोनों इसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो 25 फीसदी सम्भावना है कि होने वाले शिशु को भी यह होगा। और यदि दोनों में से कोई एक इस बीमारी से पीड़ित है तो शिशु के स्वस्थ होने की कुछ हद तक सम्भावना तो है लेकिन वह इसका वाहक भी हो सकता है। 

3. हीमोफीलिया (Hemophilia)

खून के धक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करने की बीमारी को हीमोफीलिया कहते हैं। हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है। यह बहुत ही दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है। यह भी एक गंभीर ब्लड डिसऑर्डर है जिसमें ब्लड का ठीक से थक्का नहीं बन पाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर अगर चोट लगता है, तो खून बहना नहीं रुकता है। भारत में इस तरह के करीब 2 लाख मामले हैं। भारत में इस बीमारी के रोगी कम हैं। हीमोफीलिया के रोगियों को जरा सी भी चोट लगना खतरनाक साबित हो सकता है। यह बीमारी विरासत में मिलती है। एक आंकड़े के मुताबिक, प्रत्येक 5,000 पुरुष में 1 पुरुष इस समस्या का शिकार होता है।

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थैलेसेमिया, सिक्कल सेल एनीमिया और हीमोफीलिया जैसी समस्याएं भले ही खून से जुड़ी दुर्लभ और गंभीर समस्या है लेकिन यह शारीरिक विकलांगता की श्रेणी में आती है। भारत को तो थैलेसेमिया की राजधानी भी कहा जाता है। इन समस्याओं से बचाव के लिए आपको हमेशा एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। 

(all image source - freepik.com)

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