"इंडियाः हेल्थ ऑफ द नेशंस स्टेट्स" नामक आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार स्ट्रोक विश्व में मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा और विकलांगता का पांचवा सबसे बड़ा कारण है। इनमें दो तिहाई से अधिक मृत्यु विकासशील देशों में होती हैं। भारत में एक अध्ययन का आकलन है कि प्रति एक लाख की आबादी में 116 से 163 लोगों को स्ट्रोक होता है। स्ट्रोक के बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने इस पर जागरूकता और इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्राथमिकता मानने के महत्व पर जोर दिया है।
स्ट्रोक को समझें
स्ट्रोक, जिसे मस्तिष्क का दौरा भी कहते हैं। यह उस समय होता है, जब मस्तिष्क की बंद रक्त वाहिका (इस्केमिक स्ट्रोक) या मस्तिष्क में रक्त वाहिका के फटने (हेमरहैजिक स्ट्रोक) से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है। स्ट्रोक की गंभीरता और मस्तिष्क का कौन-सा भाग चोटिल हुआ है, इस आधार पर मस्तिष्क या शरीर कार्य करना बंद कर सकता है, या मृत्यु भी हो सकती है। मोटर फंक्शन, स्पीच और मैमोरी शरीर के ऐसे कार्य हैं, जो प्रभावित हो सकते हैं।
इस बारे में विस्तार से बताते हुए सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली में न्यूरो इंटरवेंशन यूनिट (इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी/एंडोवैस्कुलर न्यूरोसर्जरी) के निदेशक डॉक्टर मनीष चुघ कहते हैं, "उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, एट्रियल फिब्रिलेशन स्ट्रोक का जोखिम उत्पन्न करने वाले कुछ कारक हैं। चिकित्सकीय अवलोकन के अनुसार पुरूषों में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है और लिंगानुपात 60:40 है। प्रत्येक 6 में से 1 व्यक्ति को स्ट्रोक होता ही है। 40 वर्ष के लोगों को भी स्ट्रोक हो सकता है। आज IV tPA के अलावा खोजपरक चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी के कारण उपचार विकल्प उन्नत हुए हैं, जैसे मेकैनिकल थ्रोम्बेक्टोमी। यह चिकित्सा इतिहास की सबसे लाभप्रद विधियों में से एक है।"
स्ट्रोक से दुनिया खत्म नहीं होती है। दवाईयों और टेक्नोलॉजी में हालिया उन्नति से स्ट्रोक का प्रभावी नियंत्रण हो सकता है, उपचार और जीवनशैली में बदलाव लाना जरूरी है।
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डॉक्टर के पास कब जाएं?
- चेहरा एक ओर से लटकने पर।
- हाथ को पूरा नहीं उठा पाने पर।
- बोलने में लड़खड़हट, बार-बार बोलने, शराबी की तरह बोलने या भ्रमित वाणी होने पर।
- समय का महत्व है- हर मिनट में 2 मिलियन न्यूरन खत्म हो जाते हैं।
- उपचार के लिये स्ट्रोक रेडी अस्पताल में जल्दी जाएं।
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