एनीमिया की बात करें तो यह बहुत आम है लेकिन लोगों में इसके प्रति जानकारी का बहुत आभाव है, साथ ही आम तौर पर शरीर में सिर्फ खून की कमी को ही एनीमिया मान लिया जाता है, जिसके प्रचलित उपायों में खूब नारियल पानी पीना, चुकंदर खाना जैसी सलाह दी जाती हैं ताकि शरीर में खून की कमी पूरी हो, लेकिन एनीमिया सिर्फ खून की कमी का नाम नहीं है। एनीमिया होने के बहुत से कारण हो सकते हैं जिसमे कई तरह के पोषण की कमी से लेकर जटिल अनुवांशिक विकार भी हो सकते हैं। इसलिए ये तो एक भ्रान्ति है कि एनीमिया सिर्फ खून की कमी नाम है।
नोएडा स्थित जेपी अस्पताल की एग्जीक्यूटिव कंसल्टेंट- हेमेटो ओन्कोलोजी डॉक्टर एशा कौल का कहना है कि गौर करें तो दुनिया में सैकड़ों तरह के एनीमिया पाए जाते हैं और हरेक एनीमिया की अपनी तरह की जटिलताएं होती हैं और अलग तरह के इलाज और सावधानी की ज़रूरत होती है। आकंड़ों के अनुसार दुनिया भर में लगभग 24.8 फ़ीसदी लोग एनीमिया की किसी न किसी किस्म से पीड़ित हैं, ऐसे में इसके प्रति जागरूकता का होना बहुत ज़रूरी है।
सिक्कल सेल एनीमिया इनमे से एक जोखिम भरा एनीमिया है। यह एक तरह का अनुवांशिक एनीमिया है। एक ऐसा जटिल प्रकार का एनीमिया जिसमें मरीज़ के शरीर के कई ऑर्गन प्रभावित होते हैं, यहां तक कि जीवनशैली और जीवन प्रत्याशा पर भी असर पड़ता है।
क्या है सिक्कल सेल एनीमिया
सिक्कल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक रोग है। यदि माता पिता दोनों इसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो 25 फीसदी सम्भावना है कि होने वाले शिशु को भी यह होगा। और यदि दोनों में से कोई एक इस बीमारी से पीड़ित है तो शिशु के स्वस्थ होने की कुछ हद तक सम्भावना तो है लेकिन वह इसका वाहक भी हो सकता है। सिक्कल सेल एनीमिया और उससे जुड़े जोखिम को ध्यान में रखते हुए, और जिन परिवारों में यह बीमारी पहले से मौजूद है उनमें शिशु के जन्म से पहले ही पता लगाया जाना सहायक होता है।
सामान्य रक्त कोशिकाएं डिस्क के आकार की होती हैं और लचीली होती हैं। सिक्कल सेल एनीमिया दरअसल एक ऐसी स्थिति है जब लाल रक्त कोशिकाएं हीमोग्लोबिन में गड़बड़ी के कारण चांद या अन्य टेढ़े-मेढ़े अकार की हो जाती हैं और कठोर हो जाती हैं। परिणामस्वरूप ये कोशिकाएं सामान्य रक्त प्रवाह की तरह नहीं बहतीं बल्कि एक दूसरे से चिपक कर खून का रास्ता जाम कर देती हैं। जिससे शरीर के अन्य ऑर्गन व कोशिकाओं में उपयुक्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती।
साथ ही ये कोशिकाएं आगे चलकर स्प्लीन में यानि ऐसी जगह जाकर अटक जातीं हैं जहां पुरानी रक्त कोशिकाएं नष्ट होतीं हैं। इन विकृत कोशिकाओं की वजह से यह प्रक्रिया नहीं हो पाती, जिससे नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण सामान्य गति से नहीं हो पाता, और एनीमिया हो जाता है।
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सिक्कल सेल एनीमिया के लक्षण
- हाथों और पैरों में सूजन
- जोड़ों के दर्द
- ब्लड क्लॉट
- कोशिकाओं में सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुँचने की वजह से लम्बे समय तक रहने वाले दर्द
- जोखिम भरे इन्फेक्शन्स
डायग्नोसिस और इलाज
एक सामान्य स्वस्थ व्यस्क में सबसे अधिक परसेंटेज हीमोग्लोबिन ए की होती है. सिक्कल सेल एनीमिया की स्थिति में विकृत हीमोग्लोबिन यानि हीमोग्लोबिन एस की संख्या ज्यादा होने की वजह से इसके लक्षण नज़र आने लगते हैं।
इलाज की यदि बात करें तो सिक्कल सेल एनीमिया में ब्लड ट्रांसफ्यूज़न, हाइड्रेशन और रोगी को तरह तरह के इन्फेक्शन से बचाया जाना शामिल हैं। इसके अलावा विटामिन सप्प्लिमेट्स जैसे फोलिक एसिड, बी12 हीमोग्लोबिन मेन्टेन करने में सहायक तो हैं लेकिन किसी किसी मरीज़ में ब्लड ट्रांस्फ्यूशन ही एकमात्र उपचार बचता है। छोटे मोटे दर्द को खाने वाली दवाओं से ठीक किया जा सकता है, लेकिन तेज़ या असहनीय पीड़ा में अस्पताल लेजाना ही एकमात्र समाधान होता है।
ब्लड काउंट को लगातार चेक करते रहना, लिवर, किडनी, ह्रदय की गति आदि की जांच लगातार करते रहने से आने वाले जोखिम से बचा जा सकता है, और जीवनशैली में सुधार लाया जा सकता है।
सिक्कल सेल एनीमिया के इलाज की यदि बात करें तो बोन मेरो ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय बताया जाता है, लेकिन इसके भी अपने अलग जोखिम होते हैं, मगर इसके सफल होने की भी दर अच्छी खासी है। साथ ही यह जितनी कम उम्र में यह किया जाय उतना ही ठीक होता है। बोन मेरो मरीज़ के असंक्रमित भाई बहन या रजिस्टर्ड डोनर के ज़रिये लिया जा सकता है।
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डॉक्टर एशा कौल का कहना है कि सिक्कल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बहुत कष्टदायी होता है। लेकिन यह भी समझना होगा कि सही डायग्नोसिस, और इलाज के साथ स्थिति को कुछ हद तक बेहतर किया जा सकता है। जो मरीज़ बोन मरो ट्रांसप्लांट के लिए सही हैं उनकी ज़िन्दगी ही पूरी तरह बदल भी सकती है। असहनीय पीड़ा, लगातार मेडिकेशन पर रहना, नियमित हॉस्पिटल जाते रहना, कमजोरी रहना आदि की वजह से कई बार हिम्मत टूटने लगती है, अवसाद होने लगता है, और कई बार उनमे व्यवहारिक बदलाव भी आने लगते हैं। ऐसे में परिवार और दोस्तों की भूमिका अहम् हो जाती है, सभी को मिलकर मरीज़ में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करना चाहिए। स्वस्थ जीवनशैली के साथ साथ उसकी लगतार काउंसलिंग की जानी चाहिए।
वहीं एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ अजय शर्मा के अनुसार, ''एनीमिया की यदि बात करें तो दुनिया में 400 से अधिक तरह के एनीमिया पाए जाते हैं, साथ ही दुनिया की लगभग 24.8 फ़ीसदी जनता इससे प्रभावित होती है। इन्हीं में से सबसे खतरनाक सिक्कल सेल एनीमिया है। एक साधारण रक्त कोशिका का आकार डिस्क जैसा होता है, लेकिन सिक्कल सेल एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें हीमोग्लोबिन में गड़बड़ी के कारण इन कोशिकाओं का आकार चांद जैसा हो जाता है और ये आपस में चिपककर खून के रास्ते को जाम कर देती हैं जिसकी वजह से शरीर में सूजन, बहत तेज़ दर्द आदि का सामना करना पड़ता है।''
उन्होंने कहा, ''यही स्थिति आगे चलकर ऑर्गन ख़राब होने तक भी पहुँच जाती है। सिक्कल सेल एनीमिया एक खतरनाक अनुवांशिक रोग है। बोन मेरो ट्रांसप्लांट को इसके एकमात्र इलाज के तौर पर देखा जाता है लेकिन इसे 16 साल से कम उम्र के लोगों के लिए रिज़र्व रखा जाता है क्योंकि उससे ज्यादा आयु के लोगों के लिए यह जोखिम भरा होता है। गौर करना होगा कि एक सिक्कल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बहुत कठिनाइयों भरा होता है।''
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