
अस्थमा एक लंबे समय तक चलने वाली इंफ्लेमेटरी बीमारी है जो फेफड़ों से जुड़ी हुई है और फेफड़ों में सांस नहीं आने देती है। अगर बच्चों में यह बीमारी आ जाती है तो वह सिगरेट, धुएं, ठंडी हवा आदि के कारण भी ट्रिगर हो सकती है। इससे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आ सकती है और उसे अस्थमा अटैक भी आ सकता है। मदरहुड हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन एंड नियोनेटालॉजिस्ट डॉक्टर अमित गुप्ता कहते हैं कि अस्थमा फेफड़ों तक हवा ले जाने वाली एयरवे ट्यूब्स में सूजन के कारण होता है। जिस कारण यह मार्ग संकीर्ण व संवेदनशील हो जाता है। किसी-किसी बच्चे में अस्थमा का दौरा भी आ सकता हैं जो कि ब्रोंकोस्पाज़्म के कारण होता है। इसका कारण एयर ट्यूब के आसपास की मांसपेशियों का सिकुड़ जाना हैं। निम्न चीजों से बच्चे में अस्थमा ट्रिगर हो सकता है।
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बच्चों में अस्थमा के लक्षणों को बढ़ाने वाले कारक (Risk Factors for Asthma In Kids)
- एक्सरसाइज करना
- धूम्रपान करना
- प्रदूषण होना
- ठंडी हवा
- फ्लू या कोल्ड जैसा इंफेक्शन हो जाना
- माता पिता का भी अस्थमा का मरीज होना
- मोटापा
- विटामिन सी, विटामिन ई और ओमेगा 3 आदि से भरपूर डाइट का सेवन न करना
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बच्चों में अस्थमा के लक्षण (Symptoms Of Asthma In Kids)
- खांसी होना
- जिन बच्चों को अस्थमा होता है उन्हें खांसी आती जाती रहती है और अधिकतर समय यह खांसी रात में ही देखने को मिलती है।
- सांस लेते समय सीटी की आवाज आना
- अधिकतर केस में ही बच्चे को रात में सोते समय सांस लेने में ऐसी आवाजें देखने को मिलती है।
- छाती में अकड़न होना
- बच्चे के लिए सांस ले पाना या फिर सांस छोड़ देना काफी मुश्किल हो सकता है। इस समय बच्चे को ऐसा महसूस हो सकता है कि उस की छाती पर कोई बैठा हुआ है।
- थकान होना और कमजोरी होना
- बच्चा अगर दिनभर बहुत थका हुआ और कमजोर महसूस करता है, तो इसका एक कारण अस्थमा भी हो सकता है। इसलिए ऐसे बच्चों को डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।
बच्चों में अस्थमा के कारण क्या क्या दिक्कतें आ सकती हैं? (Health Problems Due To Asthma)
- निमोनिया और स्लीप डिसऑर्डर आदि का हमेशा के लिए रिस्क रहना
- गंभीर रूप से अस्थमा का अटैक आना।
- अस्पताल में अधिक समय तक भर्ती रखना।
- बच्चे द्वारा स्कूल या अन्य गतिविधियों को याद करना।
बच्चों में अस्थमा की जांच के तरीके (How to Diagnose Asthma)
- स्पाइरोमेट्री: यह फेफड़ों का फंक्शन चेक करने के लिए प्रयोग होने वाला एक यंत्र है। यह आम तौर पर 6 साल से ऊपर की उम्र वाले बच्चों के लिए किया जाता है।
- छाती का एक्स रे करना: इस एक्स रे द्वारा फेफड़े में आए बदलावों जैसे वॉल का अधिक मोटा या पतला होना आदि को अच्छे से जांचा व परखा जाता है।
- एलर्जी टेस्ट: यह टेस्ट उन चीजों को पहचानने के लिए किया जाता है जिनसे अस्थमा और अधिक हो सकता है।
बच्चों में अस्थमा का इलाज (Treatment For Asthma In Kids)
अगर आप के बच्चे को रात में कुछ अधिक लक्षण देखने को मिल रहे है। वह ठीक सो नहीं सो पा रहा है तो आप डॉक्टर से सलाह लें। वे आपको कुछ दवाइयां देंगे। जिनसे बच्चे को तुरंत राहत मिलेगु। छाती में दर्द, खांसी और यह सब दिक्कतें सुलझ सकेंगी।
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अपनाएं यह तरीके (Lifestyle Changes)
- बच्चे के आस पास धूम्रपान न करें।
- बच्चे का वजन हेल्दी बना कर रखे ।
- उन्हें अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधि करने को बोलें।
- डॉक्टर के पास उसे लेकर जाते रहें।
- लाइफस्टाइल में किए जाने वाले बदलाव
- घर में एसी का प्रयोग करें। क्योंकि इससे बाहर का कूड़ा कचरा अंदर खींच कर नहीं आ सकता।
- अगर आप के घर के अंदर कोई पशु है तो उसे बच्चे के आस पास न ही आने दें तो बेहतर होगा।
- उसके गिरे हुए बाल आदि भी साफ कर दें।
- ठंडी हवा में बच्चे को न जाने दें।
अगर आप यह सब लाइफस्टाइल बदलाव करते रहेंगे तो आप का बच्चा बहुत जल्द ही ठीक हो सकेगा और साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि आप का घर बिल्कुल साफ सुथरा रहे और उसमें ट्रिगर कर देने वाली चीज अंदर न आ सकें।
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