सप्ताह में दो या उससे ज्यादा एस्पिरिन गोली लेने से प्राथमिक लिवर कैंसर का जोखिम घटाने में मदद मिल सकती है। प्राथमिक लिवर कैंसर को हेपैटोसेल्युलर कार्सिनोमा (एचसीसी) नाम से भी जाना जाता है। यह जानकारी एक शोध में सामने आई है। एचसीसी का पता आमतौर पर अंतिम चरण में लग पाता है, और तब मरीज के बचने का औसत समय एक साल से भी कम रहता है और इसे विश्व में कैंसर से होने वाली मौतों में दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के शोधकर्ताओं ने पाया कि निरंतर एस्पिरिन का इस्तेमाल एचसीसी के जोखिम को काफी हद तक कम करने में सक्षम है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पांच साल या उससे अधिक समय में एक सप्ताह के भीतर 325 एमजी की दो या उससे अधिक गोली लेने से कैंसर का जोखिम कम होता है।
विश्वविद्यालय की शोधकर्ता ट्रेसी सिमोन ने कहा, "कभी-कभी या एस्पिरिन का सेवन नहीं करने की तुलना में एस्पिरिन का निरंतर सेवन करने से एचसीसी के जोखिम में काफी हद तक कमी हो सकती है। हमने यह भी पाया कि एस्पिरिन की खुराक और सेवन की अवधि बढ़ाने से जोखिम में तेजी से कमी आती है।"
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एचसीसी का मौलिक जोखिम कारक है सिरोसिस, जो हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण, शराब सेवन से होने वाली गड़बड़ी या गैर अल्कोहल वसा लिवर रोग से हो सकता है।
अध्ययन के लिए, टीम ने 1,70,000 से ज्यादा लोगों पर 30 वर्षो से अधिक समय तक आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन में शामिल भागीदारों से पूछा गया कि क्या वे नियमित आधार पर एस्पिरिन लेते हैं - एक सप्ताह में वे टैबलेट्स की कितनी मानक खुराक (325 एमजी) लेते हैं और कितनी अवधि तक।
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एक सप्ताह में दो या उससे अधिक गोली लेने से एचसीसी के जोखिम में 49 फीसदी की कमी हो सकती है। इसके अलावा, पांच या उसके अधिक वर्षो से एस्पिरिन ले रहे लोगों में संबंधित जोखिम 59 फीसदी तक कम हो सकता है।
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