कैंसर एक गंभीर और जटिल बीमारी है। आज के जमाने में खानपान, जीवनशैली, पर्यावरण में मौजूद प्रदूषण, प्लास्टिक और सिंथेटिक्स का इस्तेमाल करने से कैंसर के मामलों में साल दर साल बढ़ोतरी ही देखी जा रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के आंकड़ों को देखें तो देश में 2021 में कैंसर के 1426447 मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में कैंसर के मरीजों की संख्या 1461427 हो गई और 2023 में कैंसर के 1496972 मामले दर्ज किए गए। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को सिर्फ शारीरिक तौर नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी तोड़कर रख देती है।
आज के दौर में जब कैंसर के विभिन्न प्रकार के इलाज मौजूद हैं, तब भी किसी व्यक्ति को कैंसर का पता चलता है, तो उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आता है। कैंसर से जूझने वाले मरीज के लिए सिर्फ आर्थिक रूप से दोस्तों, परिवार के सदस्यों और करीबी लोगों का समर्थन जरूर नहीं होता, बल्कि उनका मानसिक समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। मानसिक रूप से मिलने वाला समर्थन न केवल कैंसर के मरीज की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाता है बल्कि उसके इलाज की प्रक्रिया को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
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मानसिक साथ कैसे करता है कैंसर के मरीजों की मदद- How mental support helps cancer patients
वर्ल्ड कैंसर (World Cancer Days) डे के मौके पर हरियाणा के सोनीपत स्थित एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल के ऑन्कोलॉजिस्ट और हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. रमन नारंग (Dr. Raman Narang, Oncologist and Health Expert at Andromeda Cancer Hospital, Sonipat) ने ओनलीमायहेल्थ के साथ खास बातचीत में बताया कि कैंसर का पता चलना किसी भी व्यक्ति के लिए एक बड़ा मानसिक झटका होता है। इस दौरान उसे भविष्य को लेकर अनिश्चितता और डर का सामना करना पड़ता है। कैंसरसे लड़ने के लिए शारीरिक के साथ-साथ मानसिक शक्ति बहुत जरूरी होती है। इस स्थिति में जब मरीज को परिवार के सदस्य और दोस्त मरीज का हाथ पकड़कर एक बार कह दें कि कुछ नहीं होगा, सब पहले की तरह नॉर्मल हो जाएगा, तो इससे मरीज को मानसिक तौर पर मजबूती मिलती है। जब व्यक्ति मानसिक तौर पर मजबूत होता है, तो वह अपनी बीमारी को जीवन में आने वाले चैलेंज की तरह लेता है और इससे जल्दी उभरने की भी उम्मीद होती है।
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मानसिक साथ अकेलेपन से बचाता है- Mental Support protects against loneliness
डॉ. रमन नारंग का कहना है कि कैंसर का पता चलने के बाद ज्यादातर लोग खुद को अकेला और दुनिया से अलग-थलग महसूस करने लगते हैं। परिवार और दोस्तों का भावनात्मक साथ उन्हें यह एहसास दिलाता है कि वे अकेले नहीं हैं। इस मानसिक समर्थन से मरीज को खुशी और शांति मिलती है, जिससे उसका समग्र स्वास्थ्य बेहतर होता है। कई रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि परिवार और अपनों का शारीरिक और मानसिक साथ कैंसर के मरीजों की रिकवरी में तेजी लाते हैं।
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कैंसर मरीजों की मदद कैसे करें?- How to help cancer patients?
- कैंसर के मरीजों को कई बार असहनीय दर्द होता है। इस स्थिति में वो चिल्लाते हैं, रोते हैं, तो ऐसे में अपनों का फर्ज बनता है कि वह भावनात्मक रूप से उनके साथ रहें।
- परिवार और दोस्त कैंसर के मरीजों की भावनाओं को समझें और उन्हें खुलकर व्यक्त करने का मौका दें।
- आपको एहसास हो कि कैंसर के मरीज अंदर से किसी बात से परेशान हैं, तो उन्हें गले लगाएं, हाथ पकड़ें या उनसे प्यारभरी बातें करें।
- उन्हें यह महसूस कराएं कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं। पूरा परिवार मिलकर उनके साथ खड़ा है और आने वाले वक्त में सबकुछ सही हो जाएगा।
- कैंसर से जूझने वाले व्यक्ति को छोटी-छोटी उपलब्धियों के लिए सराहें और उनका हौसला बढ़ाएं।
- यदि कैंसर का मरीज बहुत अधिक तनाव, चिंता या डिप्रेशन से गुजर रहा है, तो उसे किसी काउंसलर की मदद लेने के लिए कहें।
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निष्कर्ष
कैंसर एक चुनौतीपूर्ण बीमारी है, लेकिन परिवार और दोस्तों का साथ इस गंभीर बीमारी से लड़ने में मरीजों की मदद कर सकता है। दोस्तों, परिवारवालों की छोटी-छोटी कोशिशें, जैसे उनके साथ समय बिताना, बातचीत करना और उनकी जरूरतों का ध्यान रखना, उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। इसलिए, हर कैंसर मरीज को यह एहसास दिलाएं कि वे अकेले नहीं हैं और उनके अपने हमेशा उनके साथ हैं। आपका एक छोटा सा प्रयास किसी की जिंदगी बचाने में मदद कर सकता है।