Asperger Syndrome in Hindi: एस्पर्जर सिंड्रोम दिखने में भले ही ऑटिज्म की तरह दिखता है। लेकिन यह ऑटिज्म से काफी अलग होता है। आपको बता दें कि एस्पर्जर सिंड्रोम के मामले बच्चों में देखने को मिलते हैं। इस स्थिति में बच्चे लोगों के साथ घुलना-मिलना, बातचीत करना पसंद नहीं करते हैं। ब्चों को लोगों से बात कनरे में दिक्कत महसूस होती है। एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण दिखने में बेहद सामान्य लगते हैं, लेकिन यह एक मेंटल डिसऑर्डर हो सकता है। इसलिए इसका समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है। तो चलिए, जानते हैं एस्पर्जरी के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय-
एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण
- हाइपरफोकस एस्पर्जर सिंड्रोम का सबसे आम लक्षण हो सकता है। इसमें व्यक्ति किसी भी विषय पर अत्यधिक ध्यान दे सकता है।
- सामाजिक संकेतों को पहचानने में परेशानी होना।
- चेहरे के हाव-भाव को पढ़ने में कठिनाई होना। एस्पर्जर सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को दूसरे लोगों की भावनाओं को पहचानने में कठिनाई हो सकती है।
- इन लोगों को कोऑर्डिनेशन करने में भी तकलीफ हो सकती है।
- एस्पर्जर सिंड्रोम के लोगों के लिए दौड़ना, चलना और मोटर साइकिल चलाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

एस्पर्जर सिंड्रोम के कारण
एस्पर्जर सिंड्रोम के कारणों के बारे में अभी तक स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। वैज्ञानि एस्पर्जर सिंड्रोम के कारणों का पता लगाने में लगे हुए हैं। लेकिन डॉक्टर्स का यह भी मानना है कि एस्पर्जर सिंड्रोम आनुवांशिक हो सकता है। यानी पैदा होने के दौरान ही बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण नजर आ सकते हैं। आपको बता दें कि गर्भावस्था के समय में ही बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम विकसित हो सकता है।
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एस्पर्जर सिंड्रोम के बचाव टिप्स
- एस्पर्जर सिंड्रोम को ठीक करने के लिए बच्चों के लिए ऐसा माहौल बनाए, जहां शांति हो।
- एस्पर्जर सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के साथ बच्चों को अधिक समय बिताना चाहिए।
- इस स्थिति में पैरेंट्स को बच्चों को बात करने का तरीका, भाषा सीखाना साथ ही लोगों की बॉडी लैंग्वेज को पहचानना भी शामिल हो सकता है। अगर पैरेंट्स एस्पर्जर सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे को ये चीजें सीखाते हैं, तो बच्चों को नॉर्मल करने में काफी मदद मिल सकती है।
- इसके साथ ही कुछ थेरेपी की मदद से भी बच्चों को एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।