
चिंता, मानव विकास के दौरान संरक्षित की गयी एक सामान्य तनाव प्रतिक्रिया हैं। हालांकि, जब चिंता सामान्य रोजमर्रा की घटनाओं में आती हैं, तब यह एक गंभीर चिंता विकार का रूप ले सकती है। चिंता विकारों के कारण एक व्यक्ति, उनकी शारीरीक या मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर संभावित आने वाले खतरे को लेकर अशांति और चिंता की स्थिती में चला जाता हैं। चिंता विकारों के लक्षण अक्सर दीर्घकालीन होते हैं, और उसमे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, ज्यादा चिड़चिड़ापन, मांसपेशियों में तनाव, अशांत नींद और चिंताओं पर काबू पाने में परेशानी, आदि शामिल हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में परंपरागत रुप से विभिन्न रोगों के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किये जाने वाली अश्वगंधा एक जड़ी बूटी है। आयुर्वेदिक उपचार में इस पौधे की जड़ें, पत्तियां और फल इस्तेमाल किये जाते हैं। रोमन इसे अपने वाइन में डालते थे ऐसी कहावत हैं। इसका लैटिन नाम 'विथानिआ सोमनिफेरा' है। यह चिंता विकार, अवसाद और अन्य मानसिक विकारों के उपचार में लाभकारी होती हैं, ऐसा माना गया हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में वर्षों से इस पौधे की जड़ों, पत्तियों और फलों को इस्तेमाल किया जा रहा हैं। अब वैज्ञानिक अध्ययन ने यह पुष्टि की है कि इसमें कई औषधीय गुण हैं। यह
कई औषधीय गुणों से भरपूर अश्वगंधा
- चिंता विकार को कम करती हैं।
- एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करती हैं।
- मस्तिष्क कार्य में सुधार करती हैं।
- एंटी-बैक्टीरियल गुण हैं।
- कोर्टिसोल के स्तर को कम करती है।
तनाव कम करें अश्वगंधा
आधुनिक जीवन नें उच्च स्तरीय नौकरियों में बहुत ज्यादा तनाव का निर्माण होता हैं और 80 प्रतिशत लोगों का मानना हैं कि तनाव के कारण उन्हें जीवन में बहुत सारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें तनाव को कम और उसका प्रबंधन करने और कोर्टिसोल के स्तर को कम करने के लिए एक स्वस्थ तरीकों की जरूरत हैं। तनाव के हार्मोन के रूप में कोर्टिसोल को जाना जाता हैं। अश्वगंधा किसी भी हानिकारक दुष्प्रभावों के बिना चिंता और तनाव को कम करने का एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका हैं।
शोध के अनुसार
एक अध्ययन में अश्वगंधा के अवसाद विरोधी परिणाम की तुलना, पर्चेवाली अवसाद की दवाओं से की। और दिलचस्प बात यह सामने आयी कि चिंता और अवसाद पर उसके प्रभाव आधुनिक दवाओं के लिए तुलना में बहुत ही अच्छे थे। यह आयुर्वेदिक दावा आधुनिक हर्बल अनुसंधान द्वारा किया गया है। अश्वगंधा पर जॉर्ज वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन एड हेल्थ साइंस और कुछ अन्य अमेरिकी परीक्षण केंद्रो में नैदानिक परीक्षणों का उपयोग करके उसकी प्रभावशीलता की जांच की गयी हैं। और उन्होने यह प्रमाणित किया है कि अश्वगंधा में किसी भी विषाक्तता या दुष्प्रभावों के बिना चिंता दूर करने वाले और अवसाद विरोधी गुण होते हैं।
एक परीक्षण में, तंत्रिका रोग से पीड़ित 30 रोगियों को एक महीने के लिए प्रति दिन 40 मिलीग्राम अश्वगंधा की खुराक दी गयी। परीक्षण से पता चला कि ज्यादातर चिंता विकार के लक्षण जैसे घबड़ाहट या डर में बहुत कमी आयी। क्योंकि कई लोग अवसाद विरोधी दवा का इस्तेमाल करते हैं, दुष्प्रभावों के बिना प्राकृतिक उपचार का इस्तेमाल सकारात्मक रुप से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता हैं। अश्वगंधा आधुनिक दुनिया के तनावों के लिए प्रतिविष हो सकती हैं।
Image Source : Getty
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