तन-मन को हल्का रखे अर्धबद्ध पद्मोत्तानासन, दूर होगी पेट और याददाश्त की समस्या

अगर आप पाचन की समस्याएं जैसे पेट फूलना, अपच, कब्ज और पेट में गैस की समस्या से परेशान हैं तो ये आसन आपके लिए विशेष लाभकारी है। इस आसन से आंतों को शक्ति मिलती है और रक्त का संचार बेहतर होता है।
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तन-मन को हल्का रखे अर्धबद्ध पद्मोत्तानासन, दूर होगी पेट और याददाश्त की समस्या


शरीर को फिट रखने और दिमाग को शांत रखने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय है योग। योग के द्वारा आप कम समय में और बिना जिम जाए घर पर ही अच्छी सेहत पा सकते हैं। जिम में की गई ज्यादातर एक्सरसाइज का लाभ आपको अंग विशेष के लिए मिलता है लेकिन योग के द्वारा आपका पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। अगर आप पाचन की समस्याएं जैसे पेट फूलना, अपच, कब्ज और पेट में गैस की समस्या से परेशान हैं तो ये आसन आपके लिए विशेष लाभकारी है। इस आसन से आंतों को शक्ति मिलती है और रक्त का संचार बेहतर होता है।

कैसे करेंगे ये आसन

इस आसन की विधि जटिल नहीं है। खड़े होकर दोनों पंजों को मिलाएं। गर्दन सीधी रखते हुए सामने की ओर देखें। अब बाएं पैर पर शरीर का भार डालते हुए सांस भरें और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर ऊपर की ओर रखें। दाहिने हाथ को पीठ की तरफ से ले जाते हुए दाएं पंजे की उंगलियों को पकड़ लें। इस स्थिति में दो बार सहज रूप से सांस लें और छोड़ें। फिर, सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे,कूल्हे से आगे की ओर झुकें और बाएं हाथ को जमीन पर टिका दें। नाक को घुटने से सट जाने दें।

इस अवस्था में लगभग एक मिनट तक सहज सांस लेते रहें। इसके बाद, पहले दाएं हाथ को सामान्य स्थिति में लाएं। फिर सांस भरते हुए,धड़ को ऊपर उठाएं। एकदम सीधे खड़े हो जाने पर दाहिने पैर पंजे को छोड़ दें। दायां पैर भी नीचे कर लें और दोनों हाथों को सहज रखते हुए दोनों पैरों पर समान वजन देकर खड़े हो जाएं। कुछ पल बाद,यही प्रक्रिया दाएं पैर पर शरीर का भार डालते हुए दोहराएं जिसमें बाएं पैर का पंजा दायीं जांघ पर हो। दोनों पैरों से यह प्रक्रिया दो-दो बार करें।

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क्या है इस आसन के लाभ

  • नाभि के संकुचन के कारण कब्ज समाप्त होता है और हाजमा मजबूत होता है।
  • शरीर और मन की बोझिलता समाप्त होती है।
  • गैस बनने सहित अन्य वायुजनित रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • पैर शक्तिशाली होते हैं और उनकी कंपकंपी दूर होती है।
  • शरीर समग्र रूप से संतुलित होता है।
  • घुटनों और कंधों की जकड़न समाप्त होती है और वे लचीले बनते हैं।
  • सीने और कंधे की मांसपेशियां खुलने से सांस संबंधी रोगों में राहत मिलती है।
  • एकाग्रता बढ़ती है।

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बरतें ये सावधानियां

  • आप चाहें, तो हाथ को मोड़कर पीठ पर रखने के बजाए, दोनों हाथों को ऊपर कर उंगलियों को इंटरलॉक भी कर सकते हैं, बशर्ते आपको हाई ब्लड प्रेशर न हो।
  • यदि पैर इतना ऊपर न जा पाए कि हाथ को पीछे की तरफ से ले जाकर पंजे को पकड़ा जा सके, तो पंजे को जबरन ऊपर न लाएं और हाथ को पीठ पर ही रख लें और इसी स्थिति में झुकें।
  • कूल्हों के जोड़ों से ही झुकें और फिर सीधे खड़े हों।
  • अगर कान संबंधी रोग हों, चक्कर आते हों या संतुलन संबंधी कोई अन्य परेशानी हो तो किसी दीवार के पास ही इसका अभ्यास करें।
  • पीठदर्द, गर्दनदर्द, सियाटिका, हैमस्ट्रिंग (मांसपेशियों में खिंचाव), स्लिप डिस्क,रीढ़ से जुड़ी परेशानियों में और गर्भावस्था के दौरान यह आसन वर्जित है।

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