फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करती है पीसीओडी की समस्या? एक्सपर्ट से जानें किन बातों का रखें ध्यान

जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और युवा महिलाओं में बांझपन की समस्या के बीच एक गहरा संबंध है। आज के समय में यह बीमारी बहुत आम हो गई है। 

Written by: Monika Agarwal Updated at: 2020-07-21 16:49

किशोरियों में बढ़ते बांझपन के सबसे आम कारणो में एडिनोमायोसिस, एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओडी यानी कि पॉलीसिस्टिक अंडाशय रोग शामिल हैं।एडिनोमायोसिस एक ऐसी स्थिति है, जहां गर्भाशय की आंतरिक परत यानी कि एंडोमेट्रियम गर्भाशय की मांसपेशियों में चली जाती है। ऐसे में एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी कम हो जाती है जिससे बांझपन की संभावना बढ़ती है। आज, किशोरियों में पॉलीसिस्टिक अंडाशय (पीसीओडी) की बीमारी बहुत आम हो गई है, जिससे अंडाशय का आकार बढ़ता है। दरअसल, इन रोगों के लक्षण लगभग समान होते हैं और आमतौर पर मासिक धर्म में गड़बड़ी पैदा करते हैं। इसमें पीरियड्स के दौरान गंभीर दर्द, देर से पीरियड्स होना, बहुत ज्यादा ब्लीडिंग, लंबे अंतराल के बाद पीरियड्स होना, बहुत कम या बहुत ज्यादा दिनों के लिए पीरियड्स होना आदि लक्षण शामिल हैं। 

पीसीओडी के मामलों में बालों का अत्यधिक बढ़ना, मुँहासे होना और अचानक वजन बढ़ना शामिल है। भविष्य की समस्याओं जैसे टी2डीएम और अन्य हृदय संबंधी बीमारियों से बचने के लिए पीसीओडी का तुरंत इलाज कराना आवश्यक होता है।

हालांकि, ऐसी समस्याएं पहले 35 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को ज्यादा होती थीं।लेकिन आज के दौर में ये समस्याएं युवतियों को भी तेजी से प्रभावित कर रही हैं। यदि आपको पीरियड्स देर से आते हैं या ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत इसकी जांच कराएं और जरूरत पड़ने पर इसका इलाज भी समय रहते कराएं।

बांझपन का इलाज

मेडिकल के क्षेत्र में किए गए संशोधनों की मदद से इलाज के विकल्पों में प्रगति हुई है ।जिन्हें अपनाकर महिलाएं बांझपन (इनफर्टिलिटी) की समस्या का आसानी से इलाज करा सकती हैं। 

3डी अल्ट्रासोनोग्राफी और एमआरआई जैसी नई इमेंजिंग तकनीकों की मदद से एडिनोमायोसिस का नॉन इनवेसिव शुरुआती निदान संभव हो गया है। एक बार जांच होने के बाद, बीमारी को विभिन्न दवाओं और इलाज व मेडिको-सर्जिकल के साथ ठीक किया जा सकता है। 

जीएनआरएचए या इसके साथ सर्जरी की मदद से एडिनोमायोसिस संबंधी इनफर्टिलिटी के सफल इलाजों की कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं।

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बांझपन(इनफर्टिलिटी) हमारी जीवनशैली की आदतों पर निर्भर करती है। भविष्य की समस्याओं से बचने और सुखी परिवार के लिए दंपत्तियों इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

संतुलित आहार का सेवन

हमारे जीवन में संतुलित आहार और व्यायाम का बहुत महत्व है संतुलित आहार और व्यायाम से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और  साथ साथ आपके मन को भी चुस्त और दुरुस्त रखता है। पीसीओडी की समस्या को दूर करने में संतुलित आहार और नित व्यायाम की अहम भूमिका हैं।    

वजन कम करना 

मोटापा (बीएमआई 30 से अधिक) एक महिला की प्रजनन क्षमता को कम करता है और गर्भपात एवं प्रीमेच्योर बर्थ की संभावना को बढ़ाता है। 5% से 10% तक वजन घटने से ओव्यूलेशन और गर्भावस्था की दर में सुधार हो सकता है।व उनके मां बनने की संभावना बढ़ सकती है।

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दवा का सेवन 

डॉक्टर की सलाह का पालन करें और पीसीओडी के लक्षणों को कम तथा दूर करने के लिए द्वारा दी गई दवाइयों का नियमित सेवन करें ।

अल्कोहल का सेवन ना करें

शराब और धूम्रपान गर्भधारण करने की क्षमता को कम करता है और अत्यधिक सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। पुरुष इसका अत्याधिक सेवन करते हैं तो उनके शुक्राणुओं की संख्या घटने लगती है ।

इंदिरा आईवीएफ हास्पिटल,आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ.सागरिका अग्रवाल से बातचीत पर आधारित।।

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