चिकनगुनिया एक वायरल डिजीज है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस बीमारी के बारे में-
चिकनगुनिया (chikungunya in hindi) एक वायरल डिजीज है, यह वायरस इंसानों में एडिस नामक मच्छर के काटने (Chikungunya Meaning in Hindi) फैलता है। चिकनगुनिया से प्रभावित मरीजों में अचानक तेज बुखार आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, थकान, मतली और स्किन पर चकत्ते पड़ने जैसे लक्षण (Chikungunya Symptoms in Hindi) दिखते हैं। चिकनगुनिया का पहला केस 1952 में दक्षिणी तंजानिया में सामने आया था। वहीं, 2013 में कैरिबियन में चिकनगुनिया वायरस का लोकल ट्रांसमिशन ( Chikungunya local transmission) के बारे में पता चला था। भारत के कई हिस्सों में भी चिकनगुनिया के मामले सामने आए हैं। चिकनगुनिया का कोई प्रभावी इलाज और टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों का इलाज करके मरीजों को ठीक करने की कोशिश की जाती है। आज हम इस लेख में चिकनगुनिया के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव (Chikungunya Details in Hindi) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
नोएडा स्थित सुमित्रा हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉक्टर अंकित गुप्ता का कहना है कि चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है, जो एडिस नामक मच्छर (aedes mosquito) के काटने से फैलता है। बरसात के मौसम में यह बीमारी फैलने का खतरा अधिक रहता है। दरअसल, मानसून में मच्छरों के पनपने का खतरा अधिक होता है। जिसमें एडिस इजिप्ती और एडिस एल्बोपिक्टस मच्छर (chikungunya virus name) भी काफी मात्रा में पनपते हैं, इन संक्रामक मच्छरों के काटने से चिकनगुनिया वायरस तेजी से फैलता है।
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एडिस मच्छर के काटने के करीब 4 से 6 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखते हैं। यह मच्छर आमतौर पर दोपहर या दिन के समय काटता (chikungunya mosquito bite time) है। चिकनगुनिया के मच्छर घर से ज्यादा बाहर काटते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि वे घर में पैदा नहीं होते हैं। घर के अंदर भी इस मच्छर के पैदा होने की संभावना होती है।
डॉक्टर का कहना है कि चिकनगुनिया का शुरुआती और पहला लक्षण आमतौर पर बुखार होगा, उसके बाद मरीज के शरीर पर दाने नजर आते हैं। संक्रमित मच्छर के काटने के बाद बीमारी की शुरुआत लक्षण आमतौर पर 4 से 8 दिनों के बाद होती है। हालांकि, इसके लक्षण 2 से 12 दिनों में भी दिख सकता है। इसके अलावा चिकनगुनिया के लक्षण निम्न हो सकते हैं।
चिकनगुनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर चिकनगुनिया का निदान करने के लिए सबसे पहले आपका शारीरिक परीक्षण करेंगें। जिस दौरान आपसे शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में पूछा जा सकता है। इसके बाद डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट जैसे- मलेरिया, डेंगू इत्यादि करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके बाद चिकनगुनिया का निदान करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। जैसे-
सेरोलॉजिकल परीक्षण जैसे एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट एसेज (Enzyme-linked immunosorbent assays) जैसे अन्य ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट में आईजीएम और आईजीजी एंटी-चिकनगुनिया एंटीबॉडी की उपस्थिति की पुष्टि की जा सकती है।
चिकनगुनिया वायरस एंटीबॉडी आमतौर पर बीमारी के पहले सप्ताह के अंत में विकसित होते हैं। आईजीएम एंटीबॉडी का स्तर बीमारी की शुरुआत के तीन से पांच सप्ताह बाद हाई होता है और लगभग दो महीने तक बना रहता है।
इसके अलावा डॉक्टर आरटी-पीसीआर ब्लड टेस्ट भी करा सकता है। हालांकि, इस टेस्ट को चिकनगुनिया से प्रभावित होने के सप्ताहभर के अंदर कराया जाता है।
सीसीडी के मुताबिक, चिकनगुनिया का बुखार आमतौर पर कई दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रह सकता है। कुछ स्थितियों में चिकनगुनिया का बुखार दो चरणों में आ सकता है। यानी एक बार ठीक होने के कुछ दिन बार मरीज को चिकनगुनिया का बुखार आ सकता है।
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चिकनगुनिया का कोई प्रभावी इलाज नहीं है यानी अभी तक इस बीमारी के लिए दवाई और टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों को कम करके चिकनगुनिया का इलाज करने की कोशिश की जाती है। जैसे -
चिकनगुनिया का कोई प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है। ऐसे में डॉक्टर लोगों को इस बीमारी से बचने की सलाह देते हैं। जिसके लिए आपको कुछ टिप्स फॉलो करने की आवश्यकता होती है। जैसे-
चिकनगुनिया से बचाव ही इसका बेहतर इलाज हो सकता है। इसलिए मानसून के समय पर अपने शरीर को ढककर रखें। मच्छरदानी लगाकर सोएं। बच्चों को बाहर जाने से रोकें। वहीं, अगर आपके शरीर में किसी तरह का बदलाव नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि चिकनगुनिया के गंभीर लक्षणों से बचा जा सके।
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