हाल में अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में आइसोलेशन के दिनों और कोरोना से जंग की लड़ाई के बारे में बताया है।
कोरोनावायरस संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने के 15 दिन बाद बॉलीवुड का जाना माना नाम अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉक के माध्यम से अपने अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में बिताए दिनों का एक विस्तारपूर्वक उल्लेख किया है। जी हां, हाल में ही बॉलीवुड जगत की महान हस्ती अमिताभ बच्चन कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद वह मुंबई के नानवती अस्पताल में भर्ती हुए। अमिताभ बच्चन सामाजिक रूप से काफी सक्रिय रहे हैं और उन्होंने अपने पॉजिटिव पाए जाने की बात के खुलासा भी खुद किया और अब उन्होंने अपने आइसोलेशन वॉर्ड में बिताए दिनों के बारे में भी अपने ब्लॉग में बताया है। वह नियमित रूप से अपनी स्थिति के बारे में अपडेट करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं, लेकिन हाल में अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में एक आइसोलेशन वार्ड में जीवन की विस्तार में एक तस्वीर पेश की है। यह उन सभी लोगों के लिए है, जो इस प्रकार की समान स्थिति में हैं। क्योंकि आइसोलेशन व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।
अमिताभ बच्चन के ब्लॉग ने COVID-19 के भौतिक प्रभावों से परे बातचीत को बढ़ाया है। एक बीमारी की मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्तियों को उजागर करने के लिए, जो आपको एक कमरे में बंद करके आपको बाहरी दुनिया के साथ किसी भी तरह के शारीरिक लगाव से अलग करती है। जिसमें ट्रीटमेंट में - डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा 'रोबोटिक' विजिट किए जा रहे हों और सभी अपने सुरक्षात्मक ढाल के साथ ऊपर से लेकर नीचे तक कवर हों।
आइसोलेशन वार्ड में होने का एक बड़ा प्रभाव किसी भी इंसान को नहीं दिखाई दे रहा है और न ही किसी ऐसे इंसान से मिल रहा है,सिवाय मेडिकल स्टाफ के अलावा, जो पीपीई किट में आते हैं। जैसा कि सीनियर बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा है, "नर्स और डॉक्टर हैं, जो विजिटिंग और दवा की देखभाल करते हैं .. लेकिन वे हमेशा पीपीई किट में ही दिखाई देते हैं .. आपको कभी नहीं पता चलता कि वे कौन हैं, उनकी विशेषताएं, अभिव्यक्ति क्या हैं क्योंकि वे सुरक्षा के लिए हमेशा पीपीई किट पहने हैं। वे सभी सफेद किट पहने लोग लगभग रोबोट के समान है। वे चीजे निर्धारित करते हैं और छोड़ देते हैं .. छोड़ देते हैं क्योंकि लंबे समय तक रहने से संक्रमण फैलने का डर है।”
इसे भी पढ़ें: अमिताभ बच्चन को एक फैन की गलती के कारण हुआ था हेपेटाइटिस रोग, 75% हो चुका है खराब
इसके अलावा, सामान्य दिनों में, डॉक्टर मरीज के पास आते हैं, उससे बात करते हैं, ठीक होने के बारे में समझाते हैं और कुछ दिलाशा और आशा के शब्द बोलते हैं, जिससे तेजी से रिकवरी में मदद मिलती है। लेकिन आइसोलेशन के इन दिनों वह सब खो जाता है, जो एक मरीज की मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है।
यदि आप आइसोलेशन वॉर्ड में हैं या फिर होम आइसोलेशन में हैं, तो आपके लिए यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं। इनकी मदद से आप बेहतर महसूस कर सकते हैं और इससे आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
यदि आप अकेलापन महसूस कर रहे हों, तो आप सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों से कनेक्ट रह सकते हैं और नए अपडेट ले सकते हैं। वहीं आप देश-दुनिया के बारे में जानने के लिए समाचारों के जरिए जान सकते हैं कि बाहर क्या चल रहा है।
आप यदि आइसोलेशन में हैं, तो आप अपने दोस्तों और परिवारजनों के संपर्क में रहें। आप फोन या वीडियो कॉल के जरिए उनसे बातचीत कर सकते हैं। पारिवारिक प्रेम सबसे अच्छी थेरेपी है, जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करती है।
इसे भी पढ़ें: लंबे समय तक मन में गुस्सा रखना हो सकता है आपकी सेहत के लिए खतरनाक, तन-मन दोनों पर पड़ता है बुरा असर
जब आप आइसोलेशन में हों, तो आप रोजाना मेडिटेशन कर सकते हैं। यह आपके तन और मन को शांत करने में मदद करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद करता है।
यदि आप होम आइसोलेशन में हैं, तो यहां इस वीडियो के माध्यम से जानें कि किन बातों का रखें ख्याल:
Read More Article On Mind And Body In Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।