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दिवाली पर पटाखों का धुंआ और वायु प्रदूषण भविष्य में बढ़ा सकता है COPD का खतरा, पढ़ें डॉक्टर की सलाह

Air Pollution Can Raise The Risk Of COPD: बढ़ता प्रदूषण भविष्य में भी आपके फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, जानें डॉक्टर क्या कहते हैं...
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दिवाली पर पटाखों का धुंआ और वायु प्रदूषण भविष्य में बढ़ा सकता है COPD का खतरा, पढ़ें डॉक्टर की सलाह


Air Pollution Can Raise The Risk Of COPD: देशभर में प्रदूषण का बढ़ता स्तर पहले से हमारी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन अब दीपावली पर लोग खूब पटाखे जलाएंगे, जिससे प्रदूषण का स्तर कई गुणा अधिक बढ़ जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में पटाखे बैन कर दिए हैं, लेकिन फिर भी लोग गैर कानूनी तरीके से खूब पटाखे बेच रहे हैं और लोग खूब पटाखे भी फोड़ रहे हैं। अगर दीपावली पर हर साल की तरह पटाखे फूटते हैं, तो इसकी वजह से वातावरण में पहले मौजूद प्रदूषण और भी जहरीला हो सकता है। यह हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। इसके कारण लोग कई गंभीर रोगों की चपेट में आ सकते हैं। प्रदूषण के कारण हमारे शरीर का जो अंग सबसे अधिक प्रभावित होता है वह है हमारे फेफड़े।

आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि लगातार बढ़ता प्रदूषण लोगों में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का कारण बन सकता है। यह फेफड़ों के स्वास्थ्य से जुड़ी एक गंभीर स्थित है, जिसके कारण लोगों को सांस संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, पटाखों से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण सिर्फ वर्तमान में ही नहीं, बल्कि जीवन के बाद के समय में भी आपको क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसे गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है। फेफड़ों पर प्रदूषण और दिवाली पर जलने वाले पटाखों से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानने के लिए हमने अलग-अलग अस्पताल के डॉक्टर और पल्मोनोलॉजिस्ट से बात की। इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं...

Air Pollution Can Raise The Risk Of COPD

प्रदूषण भविष्य में कैसे COPD के खतरे को बढ़ाता है?

अपोलो स्पेक्ट्रा पुणे, आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ सम्राट और न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स, के लैब प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्र शाह के अनुसार, "दिवाली के दौरान पटाखों का व्यापक उपयोग वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि में योगदान देता है, जिससे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे कई अध्ययन हैं जिनमें यह बात सामने आई है कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण और सीओपीडी के बढ़ते मामलों के बीच सीधा संबंध है। सीओपीडी की स्थिति में व्यक्ति के फेफड़ों का फंक्शन गंभीर रूप से प्रभावित होता है।"

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क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, लगातार खांसी, घरघराहट, सांस लेने तकलीफ और अधिक थूक का उत्पादन इससे जुड़े कुछ आम लक्षण हैं, जो आतिशबाजी के धुएं और वायु प्रदूषण अधिक गंभीर हो सकते हैं। इसके अलावा, समय के साथ प्रदूषकों के जमा होने से जीवन में बाद में सीओपीडी या अन्य क्रोनिक सांस संबंधी बीमारियों के विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।

All Image Source: Freepik

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