
'डेल्ही बैली' से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई गोली विकसित की है। पेट दर्द, उल्टी और डायरिया को 'डेल्ही बैली' के नाम से जाना जाता है, यह पेट में गड़बड़ी की एक ऐसी स्थिति है, जो भारत तथा अन्य उष्णकटिबंधीय देशों की यात्रा पर जाने वाले लोगों के सामने पेश आती है।
यूनिवर्सिटी आफ कैम्ब्रिज के शोधकर्ताओं ने एक नई दवा इजाद की है, जिसे यात्री पानी के साथ निगल सकते हैं । यह दवा उन्हें उस विषाणु से लड़ने में मदद करेगी जो पेट में मरोड़, मचली और अतिसार जैसी बीमारियों का कारण बनता है।
‘डेल्ही बैली’ या यात्रियों को पेट संबंधी शिकायत प्रति वर्ष अनुमानत: एक करोड़ लोगों को प्रभावित करती है और सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में से आधे को इसका सामना करना पड़ता है। यह बीमारी भारत तथा अन्य उष्णकटिबंधीय देशों में आम बात है।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निगेल स्लेटर ने बताया कि इस दवा से यात्रियों को टाइफायड से भी अपनी रक्षा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि उनकी टीम इस वर्ष इस दवा के क्लिनिकल परीक्षण शुरू करने पर विचार कर रही है ।
उन्होंने बताया, ‘इस दवा के जरिए अभी दो विषाणुओं, डेल्ही बैली के कारक ई कोली तथा टाइफायड के कारक सालमोनेला को निशाना बनाया जा रहा है। यह दवा एक चूरण की शक्ल में है और इसीलिए इसे कोल्ड स्टोर में रखने की भी जरूरत नहीं है।’
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