अमेरिका में हाल ही में कराए गए एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है कि किताबें पढ़ने या पत्र लिखने जैसी मानसिक गतिविधियां वृद्वावस्था में मस्तिष्क को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।
बीबीसी के मुताबिक, 'न्यूरोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, मानसिक चुनौतियों का सामना करने से ज्ञान का ह्रास धीमा हो जाता है। इसके साथ ही यह जीवनशैली को मतिभ्रम (डिमेंशिया) की स्थिति से बचाने के लिए कारगर होता है।
शिकागो स्थित रश युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ने 55 साल से अधिक उम्र के 294 लोगों की मृत्यु तक हर छह साल में उनकी याददाश्त और सोच की जांच कराई।
इस दौरान उनसे यह भी पूछा गया कि क्या उन्होंने बचपन, जवानी, प्रौढ़ावस्था या उसके बाद किताबें पढ़ने, पत्र लिखने या दिमागी रूप से सक्रिय रहने वाले किसी अन्य तरह के कार्य में हिस्सा लिया है?
मृत्यु के बाद उनके मस्तिष्क से मतिभ्रम के लक्षणों की जांच की गई जिसमें पाया गया कि जिन लोगों ने अपने दिमाग को व्यस्त रखा उनमें मतिभ्रम के लक्षण 15 फीसदी कम थे।
मुख्य अध्ययनकर्ता और रश युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के रॉबर्ट विल्सन ने बताया कि इस अध्ययन से यह पता चला है कि ताउम्र मस्तिष्क को सक्रिय रखना वृद्धावस्था में इसकी सेहत के लिए महत्वपूर्ण होता है।
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