गले में बनने वाली गांठ हो सकती है थाइरॉइड कैंसर का संकेत, इन लक्षणों की मदद से करें पहचान

गले में सूजन, खाना-पानी निगलने में परेशानी होने पर आमतौर पर आप इसे गले की सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। मगर यदि ये समस्या आपको अक्सर होती है या लंबे समय तक रहती है, तो ये थायरॉइड कैंसर का भी लक्षण हो सकता है। थायरॉइड ग्रंथि हमारे गले में होती है, जो हमारे शरीर के लिए कुछ जरूरी हार्मोन्स को रिलीज करती है। महिलाओं में थायरॉइड कैंसर के मामले पुरुषों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा पाए जाते हैं।
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गले में बनने वाली गांठ हो सकती है थाइरॉइड कैंसर का संकेत, इन लक्षणों की मदद से करें पहचान


आजकल बहुत ही तेजी से कैंसर की बीमारी फैलती जा रही है, ये तो सभी जानते हैं कि कैंसर की बीमारी खतरनाक और जानलेवा है जिसका समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है। कैंसर किसी के भी शरीर में काफी तेजी से फैलने का काम करता है। इसके लक्षणों को समझ पाने में थोड़ी मुश्किलें जरूर होती है लेकिन अगर सही समय पर इसे पहचान लिया जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है। एक शोध के मुताबिक, 57 प्रतिशत मामले कैंसर के एशिया में होते हैं और इसमें भी गले और कैंसर के करीब चार लाख मामले सिर्फ भारत में होते हैं। अक्सर लोगों को लगता है कि जो लोग ज्यादा मात्रा में धूम्रपान करते हैं उन्हीं लोगों को गले का कैंसर का शिकार होना पड़ता है जबकि ऐसा नहीं है। जिसके बारे में बहुत कम लोगों में जाकरुकता है। 

गले के कैंसर का पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है, ऐसे में गले में सूजन, खाना-पानी निगलने में परेशानी होने पर आमतौर पर आप इसे गले की सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह के लक्षण थायरॉइड कैंसर के संकेत भी हो सकते है। आइए हम आपको इस लेख के जरिए बताने की कोशिश करते हैें कि थायरॉइड कैंसर के क्या लक्षण होते हैं और इससे बचाव कैसे किया जाता है। 

गले के कैंसर का कारण क्या है?

गले का कैंसर किसी एक कारण से नहीं बल्कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। गले का कैंसर का मुख्य कारण लोगों की अनियमित जीवनशैली भी जिम्मेदार होती है। तंबाकू का सेवन करने वाले करीब 80 प्रतिशत लोगों में गर्दन से जुड़ा कैंसर हो जाता है। जिसके लिए तंबाकू में मौजूद टार जिम्मेदार होता है। वहीं, जो लोग शराब का सेवन भी काफी ज्यादा माज्ञा में करते हैं उनमें करीब 38 फीसदी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। शराब में मौजूद म्यूकोसल इंजरी का खतरा बढ़ता है। कुछ वायरस जैसे एचपीवी, एचआईवी, ईबीवी और हर्पीस भी गले के कैंसर का कारण बनते हैं। ज्यादा नमक वाली प्रोसेस्ड चीजें, ग्रिल्ड व भुना हुआ मीट ज्यादा खाना भी कैंसर का कारण बन सकता है।

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लक्षण 

गले के कैंसर के केवल 12 फीसदी मामले ही शुरूआती चरण में पता चल पाते हैं। अगर कैंसर की बीमारी का पहले ही स्तर में पता चल जाए तो उचित इलाज संभव है। इसलिए कैंसर के लक्षणों को अच्छी तरह पहचानना बहुत ही जरूरी है।

  • गले में दर्द। 
  • गले में लगातार सूजन रहना।
  • गले में गांठ का बनना।
  • पानी, खाना और थूक निगलने में परेशानी होना।
  • थायरॉइड कैंसर होने पर शरीर में दर्द का अनुभव होता है।
  • मांसपेशियों और जोड़ो में दर्द होना।

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जानलेवा नहीं है गले का कैंसर

वैसे तो कैंसर खतरनाक और जानलेवा होता है, लेकिन अगर सही समय पर इसका इलाज कराया जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है और मरीज जल्द स्वस्थ हो सकता है। गले के कैंसर के इलाज नई तकनीकों का सहारा लिया जाता है जिससे मरीज को आसानी से बचाया जा सकता है। नई तकनीक का इस्तेमाल कर इलाज किया जाता है।  लेकिन चेहरा बिगड़ने या आवाज चले जाने की संभावना रहती है। बहुत बार मरीज को भोजन निगलने में परेशानी होती है जिसके समाधान के लिए रिहेबिलिटेशन करना पड़ता है और मरीज की खाने, चबाने और बात करने में मदद की जाती है।

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