भारत में लगातार बढ़ते कोरोनावायरस के मामलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने चिंता व्यक्त की है और कहा है कि देश में कोरोना के करीब 80 प्रतिशत मामले या तो बिना लक्षणों के हैं या फिर इस संक्रमण के शिकार लोगों में बहुत हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ इंटरव्यू में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बताया कि आज भी भारत में सामने आ रहे कोरोना के लगभग 80 प्रतिशत मामलों में मरीज को या तो शून्य या फिर हल्के लक्षणों का पता चल पा रहा है।
कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आने पर बढ़े मामले
केंद्रीय मंत्री का कहना है कि भारत में कोरोना के ज्यादातर मामले कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आने पर बढ़े हैं। ये मरीज ज्यादातर पॉजिटिव मामलों के संपर्क में आने पर ही सामने आए हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह जानकारी हमारे ट्रेसिंग प्रयासों से सामने नहीं आई हैं क्योंकि अगर इन्हें खुद से आइसोलेट किया जाता तो इन रोगियों को ये याद भी नहीं होता कि उन्हें कोरोना संक्रमण है या फिर वे शायद की अस्पताल में जाकर खुद इसकी जांच कराते।
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डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड का चेयरमैन चुने गए हर्षवर्धन
हाल ही में डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड का चेयरमैन चुने गए हर्षवर्धन बिना लक्षण वाले मरीज, जो कि संभावित रूप से इस घातक वायरस को भारत के ग्रामीण इलाकों में पहुंचा सकते हैं सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बने हुए हैं, इस पर जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि मैं डब्ल्यूएचओ द्वारा कुछ लैबोरेटरी कंफर्म्ड केसों से भलीभांति वाकिफ हूं, जो वास्तव में बिना लक्षणों के हैं। यह उतना ही सत्य है जितना कि आज तक, कोई भी बिना लक्षणों वाला वायरस नहीं दर्ज किया गया है।
क्या है कोरोना के लक्षण
उन्होंने कहा हालांकि हाल ही में, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गुलाबी आंख, गंध , या स्वाद महसूस होने में कमी, तेज ठंड लगना, अकड़न और गले में खराश जैसे अधिक लक्षणों को अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) द्वारा COVID-19 लक्षणों की सूची में शामिल किया है। उन्होंने कहा, "इन अध्ययनों को भारत में हमारी सूची में शामिल करने से पहले अधिक अध्ययन की आवश्यकता होगी।
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1.3 अरब लोगों की टेस्टिंग मुश्किल
उन्होंने कहा कि नए लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह के और बहुत ही अस्पष्ट हैं , जिसपर किसी का भी ध्यान नहीं जा सकता है और न ही रोगी को इस बारे में कुछ याद रहता है। इसलिए मामले देर से सामने आ रहे हैं क्योंकि वे रिपोर्ट ही नहीं हो पा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा "इसके अलावा, अगर एक पल के लिए हम ऐसे बिना लक्षणों वाले रोगियों के परीक्षण की बात करें तो इन सभी बिना लक्षणों वाले मामलों की पहचान के लिए 1.3 अरब जनसंख्या के परीक्षण की आवश्यकता होगी, जो किसी भी देश के लिए संसाधनों के लिहाज से एक महंगा काम साबित हो सकता है और न तो ये संभव है और न ही इस बात की सिफारिश की गई है।
कोरोना को हराएंगे
हर्षवर्धन ने प्राथमिकता के आधार और टार्गेट टेस्टिंग पर जोर दिया और कहा कि यह COVID-19 के अधिक मामलों का पता लगाने और बीमारी पर अंकुश लगाने में मददगार होगा। उन्होंने कहा, "परीक्षण सुविधाओं की निरंतरता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों से, मुझे यकीन है, हम अधिकतम मामले का पता लगाने के लिए बेहतर होंगे। उन्होंने कहा कि भारत में COVID मामलों में सबसे अधिक 80% बिना लक्षणों के है।
(इनपुटः IANS)
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