दिल्ली में 60% लोग है अर्थराइटिस के शिकार, जानें हैरान करने वाले कारण

दिल्ली में बोन डेनसिटोमीटर की जांच के आंकड़ों पता चला है कि 60 प्रतिशत से अधिक लोग गठिया चपेट में आने के करीब हैं, और 20 प्रतिशत लोग गठिया के किसी न किसी प्रकार से पीड़ित हैं। 
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दिल्ली में 60% लोग है अर्थराइटिस के शिकार, जानें हैरान करने वाले कारण


दिल्ली में बोन डेनसिटोमीटर की जांच के आंकड़ों पता चला है कि 60 प्रतिशत से अधिक लोग गठिया चपेट में आने के करीब हैं, और 20 प्रतिशत लोग गठिया के किसी न किसी प्रकार से पीड़ित हैं। उनमें से कइयों के लिए आने वाले दिनों में घुटने बदलवाने की नौबत आने वाली है। सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल बीएलके ने राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हड्डी एवं जोड़ के स्वास्थ्य का आकलन किया, जो आंख खोलने वाला है। अस्पताल की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि बोन डेंसिटोमीटर की जांच से यह पता चला कि लोगों की हड्डियां कम अस्थि घनत्व (लो बोन डेनसिटी) की वजह से बेजान हो रही हैं। सिर्फ उम्रदराज ही नहीं, अनेक युवाओं में भी गठिया के लक्षण हैं। बयान के अनुसार, इन शिविरों से यह नतीजा निकला कि दिल्ली के लोगों में निम्न अस्थि घनत्व (लो बोन डेंसिटी) का पाया जाना गंभीर चिंता का विषय है। चिंता तब और बढ़ जाती है, जब यह पता चले कि लोग अपनी हड्डी और जोड़ों के बिगड़ते स्वास्थ्य के प्रति बेफिक्र हैं।

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बयान के अनुसार, शिविर में करीब 200 लोगों ने स्वास्थ्य जांच के लिए मुफ्त ओपीडी, बोन डेंसिटोमीटर से मुफ्त जांच, योग व फिजियोथेरेपी सत्रों का लाभ उठाया। अस्पताल के जाने-माने सीनियर कंसल्टेंट रुमेटोलाजिस्ट डॉ. विशाल कौरा अग्रवाल ने उन्हें हड्डी के स्वास्थ्य की स्थिति सुधारने के उपाय बताए। बयान में कहा गया है कि बैठे ठाले एवं निष्क्रिय पड़े रहना, विटामिन डी की कमी, उच्च कैलोरी वाले भोजन का सेवन, मोटापा, कुपोषण आदि गठिया रोग के कुछ कारण हैं।

अर्थराइटिस को चेताने वाले लक्षण

अगर आपको हड्डियों के जोड़ों में या उनके आसपास निम्‍न लक्षण दो हफ्तों से अधिक दिखाई दे तो तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लीजिए :

  • हड्डियों में दर्द
  • अकड़न
  • हड्डियों में सूजन
  • जोड़ों को हिलाने में परेशानी होना।

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अर्थराइटिस का निदान

बीमारी का जल्द निदान कीजिए और उसका इलाज भी करवाइए। बीमारी का जल्द से जल्द निदान करने के साथ उसका इलाज भी तुरंत करना बहुत ज़रूरी है। ऐसा करने से आपके जोड़ों की समस्‍या को गंभीर होने से पहले बचाव हो सकेगा। यह बीमारी जितने समय तक शरीर में रहेगी, उतनी अधिक मात्रा में जोड़ों की हानि भी होती है। इसलिए इस रोग का निदान होने के बाद जल्द से जल्द इलाज कराना बहुत ज़रूरी है। 

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