
संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 10 बच्चों में से एक से ज्यादा और विश्व भर में करीब दो करोड़ बच्चों को वर्ष 2018 में संभावित रूप से जीवनरक्षक टीके नहीं लगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और यूएन चिल्ड्रन फंड (यूनिसेफ) की एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चार बीमारियों डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी (pertussis) और खसरा के खिलाफ वैश्विक सुरक्षा 2010 के बाद से लगभग 86 प्रतिशत पर रुकी हुई है। ये चार बीमारियां काफी घातक होती हैं, जिनके लिए जीवनरक्षक टीका लगाया जाता है।
रिपोर्ट में दर्शाए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में टीके की सबसे अच्छी क्षेत्रीय पहुंच यूरोप में रही, जहां अफरीका के मुकाबले टीकाकरण दर 18 फीसदी ज्यादा थी। यूरोप में 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को जीवनरक्षक टीके लगाए गए। वहीं अफरीका सबसे खराब टीकाकरण क्षेत्र में रूप में उभर कर सामने आया है।
रिपोर्ट से जो सबसे ज्यादा चिंताजनक बात सामने आई वह ये थी कि विश्वभर में 1.94 करोड़ बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी से सुरक्षा प्रदान करने वाले टीके की तीन डोज तक नहीं लगे। रिपोर्ट में बताया गया कि इन बच्चों में से दो-तिहाई को शुरुआती डोज तक नहीं मिले। रिपोर्ट में बुनियादी टीकाकरण सेवाओं की कमी की ओर इशारे को रेखांकित किया गया।
इसे भी पढ़ेंः मानूसन में स्वाइन फ्लू से पहली मौत, जानें इस घातक बीमारी के लक्षण और बचाव का तरीका
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा बच्चें, जिन्हें टीका नहीं लगा वह अत्यंत गरीब देशों से ताल्लुक रखते थे। इतना ही नहीं अधिकतर बच्चे संकटग्रस्त देशों में रहने वाले पाए गए।
इन 16 देशों में रहने वाले लगभग आधे युवा इस खतरे की चपेट में हैं। इन देशों में शामिल हैं अफगानिस्तान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (DRC), इथियोपिया, हैती, इराक, माली, नाइजर, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया और यमन।
डब्लूएचओ और यूनिसेफ ने एक संयुक्त बयान में कहा, '' अगर ये बच्चे बीमार पड़ते हैं तो इनमें कई गंभीर बीमारियों के पनपने का खतरा है और इनके पास जीवनरक्षक उपचार व देखभाल तक पहुंच भी बेहद कम है।''
इसे भी पढ़ेंः फ्रूट जूस पीने से 18 फीसदी बढ़ जाता है कैंसर का खतराः शोध
यूक्रेन से लेकर मेडागास्कर तक सभी आय स्तर वाले देशों में खसरे के टीके की कवरेज में बड़े अंतरा का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया कि अत्यधिक संक्रामक बीमारी के मामलों की संख्या 2017 से 2018 तक दोगुनी होकर 340,000 से अधिक पहुंच गई ।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 में यूक्रेन में खसरे की दर सबसे अधिक पाई गई। रिपोर्ट में बताया गया हालांकि यूक्रेन ने अपने 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया। जबकि 2010 में यह कवरेज सिर्फ 56 प्रतिशत थी, जिसका मतलब था कि बड़ी संख्या में बड़े बच्चे और वयस्क खतरे में थे।
लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer)से बचाने वाले टीके ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन की कवरेज पर पहली बार प्राप्त आंकड़ों को भी उपलब्ध कराया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, वहीं 2018 में विश्व भर की तीन लड़कियों में से एक के घर इन 90 देशों में एचपीवी वैक्सीन लगाए गए। लेकिन इनमें से केवल 13 देश रही कम आय वाले देश थे। इसका मतलब यह है कि सर्वाइकल कैंसर का खतरा अभी भी लड़कियों पर मंडरा रहा है क्योंकि इनकी पहुंच टीके तक अभी भी नहीं है।
Read more articles on Health News in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version