महाराष्ट्र के गोवंडी निवासी एक 26 वर्षीय महिला की संदिग्ध एच1एन1 वायरस की चपेट में आने से शनिवार को मौत हो गई और इस मानसून सीजन में इस वायरल बीमारी से होने वाली यह पहली मौत है। एच1एन1 वायरस को औपचारिक रूप से स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाता है, जिससे इस साल मुंबई में चार और महाराष्ट्र में 191 जानें जा चुकी हैं।
इस साल स्वाइन फ्लू की चपेट में 30 राज्य आ चुके हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा खराब हालत राजस्थान की है। राजस्थान के बाद दिल्ली में सबसे ज्यादा स्वाइन फ्लू के मामले दर्ज हुए हैं। इस साल 22 फरवरी तक देश भर में 377 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हुई है। वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय,का कहना है कि पूरे देश में स्वाइन फ्लू के 22 फरवरी तक करीब 12 हजार 200 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें से कुल 377 लोगों की मौत हुई थी।
शहरों के डॉक्टरों का कहना है कि वह बुखार और सांस संबंधी संक्रमण के कई मामलों का उपचार कर रहे हैं। दक्षिण मुंबई के एक चिकित्सक ने कहा, '' डेंगू और मलेरिया के मामले में भी यहां हैं लेकिन उनकी संख्या अभी खतरे से बाहर नहीं है।''
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बात करें स्वाइन फ्लू की तो यह बीमारी एच1एन1 वायरस के कारण बड़ी तेजी से फैलती है। यह वायरस बच्चों, वृद्ध, गर्भवती महिलाओं, डायबीटिज (मधुमेह) के रोगी और नशे के आदी लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। दरअसल बदलते मौसम के कारण यह संक्रमण सक्रिय होता है। मानसून के दिनों में स्वाइन फ्लू के मामलों में तेजी देखी जाती है। स्वाइन फ्लू हालांकि घातक रोग है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे लक्षणों की पहचान कर और बचाव के तरीके अपनाकर आप इस बीमारी से बच सकते हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण (Swine Flu Symptoms)
- मांसपेशियों में दर्द के साथ बुखार
- गले में खराश के साथ दर्द और सूखी खांसी
- अत्यधिक थकान
- ठण्ड लगना या नाक निरंतर बहना
- गले में खराश
- कफ
- सांस लेने में तकलीफ
- भूख कम लगना
- मांसपेशियों में बेहद दर्द
- उल्टी या दस्त होना
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स्वाइन फ्लू से बचाव (Swine Flu Prevention)
- खाना खाने से पहले साबुन से अपने हाथों को जरूर धोएं।
- छींकते या खांसते समय रूमाल का इस्तेमाल जरूर करें।
- स्वाइन फ्लू के मरीज के पास जाने से पहले मास्क पहनें।
- साफ रूमाल का ही प्रयोग करें।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।
- पोषण युक्त खाना खाएं।
- स्वाइन फ्लू के मरीज से मिलते वक्त उचित दूरी बनाकर रखें।
- भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।
स्वाइन फ्लू का उपचार (Swine Flu Cure)
- स्वाइन फ्लू का उपचार सामान्य फ्लू के जैसे ही किया जाता और ठंड, कफ, बुखार से बचने के लिए पैरासिटामाल या एंटीरेट्रोवायरल जैसी विषाणुरोधक दवाएं भी दी जाती हैं।
- युवाओं को बुखार और ठंड लगने पर पैरासिटामॉल दिया जाता है।
- बच्चों को कभी कभी अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता होती है ।
- 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन जैसी दवाएं नहीं देनी चाहिए।
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए जहां संक्रमण होने की सम्भावना है वहां मास्क लगाना ना भूलें। ऐसे क्षेत्रो का दौरा करने से बचें जहां स्वाइन फ्लू फैला हो।
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