हम सभी के शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं। एक लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन(LDL), दूसरा हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन(HDL)। अक्सर एलडीएल यानी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को बुरा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। ये कोलेस्ट्रॉल को लिवर से कोशिकाओं में ले जाता है। अगर इसकी मात्रा शरीर में ज्यादा होती है तो ये हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक होता है।
कुछ समय बाद एलडीएल(LDL) धमनियों को संकरा कर देता है। जिससे खून का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता। आपको बता दें कि एलडीएल की मात्रा शरीर में करीब 70 प्रतिशत होती है। यह कोरोनरी हार्ट डिसीजेज और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। वहीं, दूसरी ओर एचडीएल यानी हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन(HDL) को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो यह कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक को रोकने में हमारी मदद करता है। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं से वापस लिवर में ले जाता है। लिवर में या तो यह टूट जाता है या शरीर के बाहर निकल जाते हैं।
लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL)
अब आपको ये लग रहा होगा कि हमारे शरीर में एलडीएल के होने से सिर्फ हमे नुकसान ही मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं होता। आपको बता दें कि आपके शरीर में एलडीएल हमेशा होना चाहिए। आपको इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि एलडीएल की मात्रा ज्यादा होने पर शरीर में समस्याएं भी पैदा होने लगती है।
हमेशा खतरनाक ही नहीं होता कोलेस्ट्रॉल
हमारे शरीर में हमेशा नुकसान पहुंचाने का काम नहीं करता कोलेस्ट्रॉल। हमारे शरीर में मौजूद खून में कोलेस्ट्रॉल का एक महत्वपूर्ण काम है, क्योंकि ये कई हार्मोन्स के स्राव में हमारी मदद करता है। जिन लोगों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है, उन्हें इम्यून सिस्टम से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं। इसके साथ ही उनमें कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए भी कोलेस्ट्रॉल हमारे लिए बहुत जरूरी होता है।
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कोलेस्ट्रॉल के क्या काम होता है?
- हमारे शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रॉल कोशिकाओं की बाहरी परत को बनाने में हमारी मदद करता है और उन्हें सुरक्षित रखता है।
- आपको शायद यही लगता होगा कि सूरज की किरणों से हमे अपने आप ही विटामिन-डी मिल जाता होगा। जबकि ऐसा नहीं है, कोलेस्ट्रॉल ही सूरज की किरणों को विटामिन-डी में बदलने का काम करता है।
- इसके साथ ही फैट में विटामिनों के मेटाबॉलिज्म के लिए भी यह कोलेस्ट्रॉल जरूरी होता है।
कोलेस्ट्रॉल का स्तर
शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर करीब 3.6 से लेकर 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होना चाहिए। जिसमें से 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च माना जाता है। इस स्थिति में शरीर की धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को काफी ज्यादा उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर माना जाता है।
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कोलेस्ट्रॉल को कैसे करें कंट्रोल
- अगर आप अपने शरीर में सही मात्रा में कोलेस्ट्रॉल चाहते हैं तो आप चाय का सहारा ले सकते हैं। चाय में पाए जाने वाला कैटेचिन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में हमारी मदद करता है। इसके साथ ही काली चाय की तुलना में ग्रीन टी में भी इसकी मात्रा काफी अधिक होती है।
- ओट्स भी आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को सही बनाए रखने में आपकी मदद करता है। छह सप्ताह तक नाश्ते में रोजाना ओट्स खाने से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 5.3 फीसदी तक कम हो जाता है।
- कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए नाशपाती काफी बेहतर मानी जाती है। नाशपाती में पेक्टिन की मात्रा काफी ज्यादा मात्रा में पाई जाती है। अगर आप नाशपाती का सेवन करते हैं तो यह कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और उसे शरीर से बाहर निकालने में मददगार होता है। इसके अलावा आप केला, संतरा और सेब का भी सेवन कर सकते हैं। इन सभी में पेक्टिन की काफई मात्रा पाई जाती है।
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