लीवर शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, इससे जुड़ी बीमारी का पता लगाने के लिए लार की जांच ही जरूरी है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक शोध में यह खोज किया है। लार में पाए जाने वाले जीवाणुओं के अनुपात के आधार पर चिकित्सकों को इस बात का संकेत मिलता है कि लीवर सिरोसिस के किस मरीज के लीवर में सूजन या दूसरी समस्या है।
अमेरिका की वर्जीनिया कॉमनवेल्थ युनिवर्सिटी (वीसीयू) के स्कूल ऑफ मेडिसिन में हिपैटोलॉजी ने इसपर शोध किया। इसके शोधकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर जसमोहन बजाज ने कहा कि, 'ऐसा माना जाता है कि सिरोसिस के लिए जिम्मेदार अधिकांश बैक्टीरिया का विकास आहारनाल में ही होता है और इसी के आधार पर यह रिसर्च संभव हो पाया।'
बजाज ने यह भी बताया कि, तथ्य तो यही हैं कि आहारनाल में तरल पदार्थों के साथ लार सूजन का संकेत हो सकता है, जिसके लिए हमें मुख गुहा की जांच तथा लीवर की बीमारियों के साथ इसका संबंध खोजने की जरूरत है।
इस रिसर्च में सिरोसिस के 100 मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें से 38 को 90 दिनों के भीतर हालत बिगड़ने के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी, उनके लार व मल में फायदेमंद व हानिप्रद सूक्ष्म जीवियों का अनुपात समान बराबर था।
शोध के दूसरे चरण के तहत सिरोसिस तथा बिना सिरोसिस वाले 80 लोगों पर उपरोक्त अध्ययन को दोहराया गया। सिरोसिस से पीड़ित लोगों के लार में फायदेमंद जीवाणुओं में कमी पाई गई, जो पेट में प्रतिरक्षा में कमी को दर्शाता है। यह शोध पत्रिका ‘हिपेटोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ।
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