गर्भावस्था के नौ महीने जटिलताओं से भरे होते हैं। इस दौरान कई समस्यायें जैसे - मॉर्निंग सिकनेस, कमर दर्द, आंखों की समस्या, माइग्रेन आदि होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन्स में बदलाव होता है जिसके कारण माइग्रेन होता है। इसके अलावा दवाओं का उपयोग भी माइग्रेन का कारण बनता है।महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन और माइग्रेन में गहरा संबंध है। पीरियड्स के समय भी माइग्रेन की आशंका बढ़ती है, क्योंकि इस समय एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। प्रेग्नेंसी और मीनोपॉज के दौरान हार्मोन्स में बदलाव होता है, इसलिए इन दोनों स्थितियों में माइग्रेन की आशंका बढ़ जाती है।
कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के पहले ट्राइमेस्टर में माइग्रेन की समस्या बढ़ जाती है। लेकिन यह धीरे-धीरे कम भी हो जाती है। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन माइग्रेन के खतरे को बढ़ा देता है। आइए हम आपको बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान माइग्रेन की समस्या क्यों होती है।
क्या है माइग्रेन
माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जो केवल सिर के एक ही तरफ होता है और यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है। यह मस्तिष्क की धमनियों में फैलाव (रक्तवाहनियों में फैलाव), चिंता, तनाव, उत्तेजना, धूम्रपान, अनियमित दिनचर्या आदि के कारण होता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ दिनों तक या रजोनिवृत्ति से गुजरती महिलाओं को माइग्रेन की समस्या हो सकती है। दवाओं का लगातार सेवन करने से भी माइग्रेन की समस्या हो सकती है। कई प्रकार के खाद्य-पदार्थों (जैसे - दूध, दही, अचार, खट्टे रसीले फल, चॉकलेट, प्याज, ब्रेड, केला, सेब आदि) का एक साथ सेवन करने से भी माइग्रेन हो सकता है। कुछ पेय पदार्थ जैसे - कॉफी, चाय, कोल्डड्रिंक आदि भी माइग्रेन को बढ़ाते हैं। इन खाद्य- पदार्थों में मोनो सोडियम ग्लूकोमेट होता है जो माइग्रेन को बढ़ाता है। माइग्रेन पूरी तरह से हमेशा के लिए ठीक नही होता। यदि नियमित दिनचर्या और खान-पान पर ध्यान दिया जाये तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
सिरदर्द के कारण
गर्भावस्था के दौरान हार्मोन्स में बदलाव के कारण माइग्रेन की समस्या होती है, लेकिन केवल हार्मोन्स अकेले ही माइग्रेन के लिए उत्तरदायी नही हैं। प्रेग्नेंसी में सिरदर्द के अन्य कारण भी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था में तंत्रिका के रास्ते में बदलाव के कारण मस्तिष्क के रसायनों में असंतुलन (दिमाग में पाया जाने वाला सेरोटोनिन रसायन जो तंत्रिका तंत्र के दर्द को विनियमित करने में मदद करता है) होता है, जिससे दिमाग में रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है और इसके कारण भी माइग्रेन की समस्या होती है।
माइग्रेन के अन्य कारण
जिन महिलाओं को पहले भी माइग्रेन की समस्या हो चुकी हो उन्हें गर्भधारण के बाद यह समस्या हो सकती है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से माइग्रेन होने का खतरा बढ़ता है।
गर्भावस्था में माइग्रेन होने के अन्य कारण भी हैं, जैसे - थकान, तनाव, स्मोकिंग, शराब का सेवन, चॉकलेट का सेवन, जंक फूड, ज्यादा शोर, तापमान में बदलाव और खान-पान आदि।
माइग्रेन से बचने के तरीके
- ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखिये, इससे मस्तिष्क की रक्त धमनियां पूर्व स्थिति में आ जाती हैं और माइग्रेन से राहत मिलती है।
- आप सिर पर मेहंदी का लेप भी लगा सकती हैं, इससे सिर को ठंडक मिलेगी और आपको आराम मिलेगा।
- माइग्रेन में आराम करने की सख्त जरूरत है, आंख बंद करके सोने की कोशिश कीजिए। इसके अलावा रोशनी और शोर से दूर रहिए।
- कभी पेट खाली न रखें, कुछ न कुछ खाते रहें, एक बार में अधिक खाने से बचिए।
- हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कीजिए। गाजर, पालक, खीरे को खाने में शामिल कीजिए। मौसमी फल खाने की आदत भी डालिए।
- योगा और व्यायाम करते रहिए, इससे आप फिट भी रहेंगी और माइग्रेन की संभावना भी कम होगी।
इन सबके अलावा यदि आपका माइग्रेन ठीक नहीं हो रहा है तो अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लीजिए।
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