अब आपने दूसरी तिमाही में प्रवेश किया है। गर्भावस्था के इस स्तर पर, अधिकतर परिवार आनंद मनाते हैं। इस स्टेज में गर्भपात का जोखिम बहुत कम हो गया है और हालात आपके पक्ष में है कि आप पूरी अवधि तक बच्चे को ले जाएंगी।
इसके अलावा पहली तिमाही में हुई सुबह कि बीमारी और थकान चली जाएगी और आप पहले से ज्यादा ऊर्जावान महसूस करना शुरु कर देंगी। अब आपकी मानसिक स्थिति में भी सुधार आएगा। इस चरण में आपका पेट भी बढ़ा हुआ दिखाई देना शुरु होगा। गर्भ के अंदर पल रहा बच्चा अभी आकार में छोटा है, जैसे जैसे बच्चा बढेगा गर्भाशय का आकार भी बढेगा। आपके आहार में भी इजाफा होगा।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि आप जिस आहार का सेवन कर रही हैं, उसमें से पोषक तत्वों का कुछ हिस्सा बच्चा भी लेता है। ऐसा न साचें कि आपको ज्यादा मात्रा में खाना है। भले ही कम आहार लें, लेकिन उसमें भरपूर पोषक तत्व होने चाहिए। इसलिए आपको विटामिन से भरपूर आहार लेना चाहिए। डॉक्टर से जांच कराएं और वजन में बढ़ोतरी के बारे में बात करें। डॉक्टर द्वारा बताएं गए आहार को खाएं, जो बच्चे के लिए अच्छा रहेगा। कैफीन और शराब के सेवन से परहेज करें।
बच्चे का विकास
इस समय भ्रूण तेजी से बढ़ रहा है, उसकी माप दो से तीन इंच होगी और वजन लगभग सात औंस होगा। इस सप्ताह के अंत में बच्चा एक पूरा गठित बच्चा होगा। सिर अभी बाकी शरीर की तुलना में बड़ा है, लेकिन यह जल्द ही बदल जाएगा। बच्चे की आंखे आनी शुरू हुई हैं, आंत व अन्य अंग अपनी जगह पा रहे हैं। बच्चे के अग्नाश्य ने इन्सुलिन बनाना शुरू कर दिया है। इस स्तर पर यह अहम है क्योंकि जन्म के बाद यह बच्चे के शर्करा के स्तर को विनियमित करने में मदद करेंगे।
बच्चे की हड्डियां अभी नरम और लचीली है, लेकिन आने वाले सप्ताह में वे मजबूत हो जाएंगी। इस स्तर पर डिलीवरी से पहले विटामिन और दूध का सेवन आवश्यक है। बच्चा गर्भाश्य में गोल घूमना और चढ़ना भी शुरू करेगा। हालांकि बच्चा हलचल कर रहा है, फिर भी आप अभी तक यह महसूस करने में सक्षम नहीं होंगी। नाल अब पूरी तरह से कार्य कर रही है और बच्चे को ऑक्सीजन, विटामिन, खनिज और प्रोटीन प्राप्ित हो रही है। नाल एक फिल्टर का भी काम करती है, जो बच्चे के क्षेत्र से कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट बाहर करती है।
नाल आकार में बड़ी है लेकिन यह मां द्वारा सेवन किए जाने वाले सभी पदार्थो को शिशु के खून में ले जाती है, इसी तरह बच्चे को जरूरी पोषक तत्वों की प्राप्ित होती है। यह ध्यान रखें कि सभी अच्छी चीजे जो बच्चे को मिल रही हैं, बुरी चीजे भी उसको मिल सकती हैं। इसलिए शराब, नशीली दवाओं और कैफीन जैसी चीजों से दूर रहे। इस सप्ताह में बच्चा पहला मल त्याग जिसको जातविष्ठा कहा जाता है करेगा।
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शरीर में परिवर्तन
तेरहवें हफ्ते में गर्भाश्य ऊपर की स्थिति में बढ़ना जारी रहेगा। श्रोणि कि हड्डियां अब मूत्राशय के दबाव को सहने में सक्षम होगी। कमर बड़ी होती दिखाई देगी, इस कारण पेट में हल्का दर्द रहेगा। आपको गोल स्नायुबंध दर्द का अहसास भी हो सकता है। पेट में तेज दर्द भी हो सकता है, जो निचली पसली में एक सुस्त मरोड के साथ आता है। यह आमतौर पर तब होता है, जब आप अचानक एक दम खडे होना या अपनी स्िथति में परिवर्तन जैसी गतिविधि करती हैं।
दर्द के साथ जब तक आपको उल्टी का अहसास नहीं होता, यह दर्द सामान्य है। लेकिन अगर उल्टी होती है, तो यह चिंताजनक हो सकता है। आपको तुरंत चिकित्सक से मिलना चाहिए। इस दर्द को आराम करके और उठते समय सावधानी बरत कर कम किया जा सकता है। जब गर्भाश्य ग्रीवा में घाव बन जाता है और यह गर्भावस्था के दौरान लगभग ढाई सेंटी मीटर खुलती है तब कुछ औरतों का एक अक्षम गर्भाश्य ग्रीवा के साथ का निदान किया जाता है। डॉक्टर से अपने में इसकी संभावना को लेकर बात करें और इसके बारे में स्पष्टीकरण के लिए कहे।
केवल 25 फीसदी महिलाओं में यह हालत दिखई देती है, अल्ट्रासाउंड से इसका पता चल जाता है। दूसरी तिमाही में यह गर्भपात का कारण बन सकता है। किसी महिला में इस हालात के लिए जन्म जात विकार या गर्भाश्य ग्रीवा आघात हो सकता है। इसके लिए सरक्लेज नामक एक उपाय है। इसमें गर्भाशय को सिलकर और बंद करके, उसको पूरी अवधि का बच्चा देने में सक्षम किया जा सकता है।
क्या उम्मीद कि जाती है
इस समय, आपको पेट और स्तनों पर खिंचाव के निशान दिखाई देना शुरू हो सकते हैं। लेकिन आप गर्भावस्था में धीरे-धीरे वजन बढ़ने पर इस परिवर्तन को कम कर सकती हैं। आपको पहली तिमाही में बहुत वजन नहीं बढाना है, यदि आपको अपने वजन से समस्या हो रही है, तो चिकित्सक से बात करें।
गर्भावस्था के इस स्तर पर भी आपको दिल में जलन महसूस हो सकती है। ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ पीने और संतुलित आहर लेने से इसमें राहत मिलेगी। तैराकी या टहलने के रूप में दिनचर्या में शामिल हल्का व्यायाम आकपे दिल की जलन को कम कर सकता है। भारी और चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहे, इससे आपके दिल की जलन बढ़ा सकती है। स्तनों के आकार में भी परिवर्तन शुरू हो गया है, क्योंकि आपके स्तनों में शिशु के लिए दूध बनना शुरू हो गया है।
गर्भावस्था के दौरान स्तनों के आकार में वृद्धि जारी रहेगी, और प्रसव के एक सप्ताह बाद आकार में कमी आएगी। प्रेग्नेंसी के 13वें सप्ताह में बच्चा लचीला होता है। बहुत सी महिलाएं और पुरुष गर्भावस्था के दौरान यौन संबंध रखने का सवाल पूछते हैं। वैसे शारीरिक संबंध बनाने से शिशु को चोट नहीं पहुंचती क्योंकि बच्चा अमनिओटिक द्रव से सुरक्षित होता है। यदि अगर आपका गर्भपात, समयपूर्व प्रसव या संक्रमण का इतिहास है, तो इसके लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर लें।
सुझाव
गर्भावस्था के दौरान यह महत्वपूर्ण है कि आप चिकित्सक द्वारा बताई गई बातों का पालन करें। पर्याप्त आराम करे और हाइड्रेटेड रहे। शायद अब आपके पास बच्चे को किताब की एक प्रति है। यह हमेशा याद रखें कि सभी गर्भधारण अलग होते हैं, और यह पुस्तक सामान्य मार्गदर्शक होती है। इसलिए अगर आप किताब में कुछ पढ़ती हैं, और वह आपके गर्भावस्था के स्तर से लागू नहीं होता तो परेशान ना हो।
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