बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक खतरनाक है अकेलापन, जानें इसके नुकसान

अकेलेपन की समस्या पूरी दुनिया में बढ़ रही है, खासतौर पर बुजुर्गों में यह समस्या गंभीर रूप ले रही है। अकेलेपन से आपके जीवन को शराब और सिगरेट जितना नुकसान हो सकता है।
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बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक खतरनाक है अकेलापन, जानें इसके नुकसान

अकेलेपन की समस्या पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है, खासतौर पर बुजुर्गों में यह ज्यादा है। युवा भी समाज और दोस्तों से कटते जा रहे हैं। ऐसे में अगर आपके भी मां-बाप, दादा-दादी या कोई दोस्त अकेलेपन का शिकार हो रहा है तो सावधान हो जाएं। क्योंकि अकेलापन आपकी आयु और स्वास्थ्य दोनो के लिए खतरनाक होता है। आज अवसाद यानी कि डिप्रेशन जैसी बीमारी भी अकेलेपन की ही देन है। इंसान जितना अकेला रहता है, उतना ही चीजों के बारे में सोचता है। बुजुर्गों में तो यह परेशानी और बढ़ने लगती है। इसी को देखते हुए बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में किए गए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो जितना ज्यादा सामाजिक होता है, वो उतना ज्यादा जीता है। दरअसल शोध के अनुसार कि सामाजिक तौर पर सबसे मिलने जुलने और साथ रहने वाले लोग अकेलेपन के शिकार लोगों की अपेक्षा 50 फीसदी अधिक जीते हैं।

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क्या कहता है शोध-

इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता जूलियन होल्ट लंस्टेड ने बताया था कि अकेलापन शरीर को ठीक उतना नुकसान पहुंचाती हैं, जितना एक दिन में 15 सिगरेट पीने से शरीर को होता है। इस शोध में शोधकर्ताओं ने 308,849 लोगों पर 148 बार अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि समाज से जुड़ाव रखने वाले व्यक्ति अकेलेपन में रहने वालों की तुलना में औसतन चार साल अधिक जीवित रहे। दरअसल  हमारे जीवन में दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों की बहुत जरूरत होती है। इसी के कारण हम सामाजिक प्राणी कहे जाते हैं। अतः जो जितना सामाजिक होता है, उसके अधिक दिन तक जीवित रहने की अधिक संभावना बनती है। इससे हमारी न सिर्फ हमारी आयु में वृद्धि होती है बल्कि हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। अकेलापन आपको न सिर्फ मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी बीमार कर देता है। डॉक्टर पहले से ये जानते और मानते हैं कि अकेलेपन से अवसाद, तनाव, व्याकुलता और आत्मविश्वास में कमी जैसी मानसिक परेशानियां होती हैं। लेकिन कुछ नये शोधों से ऐसे तथ्य मिले हैं कि अकेलेपन से शारीरिक बीमारियां होने के खतरे भी काफी बढ़ जाते हैं।

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अकेलापन कैसे करता है बीमार

वर्ष 2006 में स्तन कैंसर की शिकार 2800 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन से पता चला कि ऐसी मरीज जो तुलनात्मक रूप से परिवार या दोस्तों से कम मिलती थीं, उनकी बीमारी से मौत की आशंका पांच गुना अधिक थी। शिकागो यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिकों ने देखा कि सामाजिक रूप से अलग-थलग लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव होता है। ये बदलाव उनमें स्थायी सूजन और जलन की अशंका को बढ़ाता है। गौरतलब है कि किसी घाव या संक्रमण को ठीक होने के लिए अल्पकालिक सूजन और जलन आवश्यक होती है, किंतु यदि ये लंबे समय तक रहे तो हृदयवाहिनी के रोग और कैंसर का कारण बन सकती है। यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों ने पाया कि अकेले लोग रोजमर्रा के कामों को मुश्किल से कर पाते हैं। उन्होंने बड़ी संख्या में स्वस्थ लोगों में सुबह और शाम के वक्त कोर्टिसोल की मात्रा की जांच की। (कोर्टिसोल तनाव के वक्त पैदा होने वाला एक हार्मोन है)।

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उपाय-

अगर आप अकेले हैं तो स्थायी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के बावजूद आपकी सूजन और जलन बढ़ सकती है। इसीलिये मरीज के सामाजिक बर्ताव को समझना बेहद जरूरी होता है। अकेले होने का अर्थ केवल शारीरिक रूप से अकेले होना ही नहीं बल्कि जुड़ाव महसूस न होना या परवाह न किया जाना भी होता है।

अकेलापन मानसिक अवसाद को उत्पन्न करने वाला कहा गया है, हम सभी को इस तथ्य को समझना चाहिए और अपने नजदीकी लोगों को अकेलेपन के एहसास से रक्षित रखने के लिए उनको समय -समय पर अपनी कंपनी देते रहना चाहिए।

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