गर्भावस्था के नौ महीने कष्टदायक होते हैं और इस दौरान अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। लेकिन प्रेग्नेंसी की जटिलताओं को कम करने के लिए गर्भावस्था के दिनों में योग और व्यायाम बहुत जरूरी है। प्रसव पूर्व योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है साथ ही प्रसव की पीड़ा भी कम होती है। यदि आप गर्भावस्था की प्लानिंग कर रही हैं तो उस दौरान ही योग करना शुरू कर दीजिए। गर्भधारण करने के बाद महिला के शरीर में बदलाव आता है जिसके कारण प्रत्येक तिमाही में योग के अलग-अलग आसन करने होते हैं।
इसलिए जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान योग शुरू करने से पहले किसी प्रशिक्षक से सलाह लीजिए और उसकी देखरेख में ही योग कीजिए। इस दौरान ऐसे आसन न करें जो आप और बच्चे दोनों के लिए घातक हो। आइए हम प्रसव पूर्व योग करने के सही समय के बारे में आपकी कुछ मदद करते हैं।
गर्भावस्था और योग
प्रेग्नेंसी से पूर्व
यदि आपने बच्चे के बारे में सोचना शुरू कर दिया है तो सबसे पहले अपनी फिटनेस के बारे में सोचिये। आप यदि स्वस्थ रहेंगी तो आपका बच्चा भी स्वस्थ होगा और प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा मुश्किलों का सामना नही करना पड़ेगा। इसलिए प्रेग्नेंसी की प्लानिंग के साथ ही प्राणायाम और योग शुरू कर देना चाहिए।
गर्भधारण करने से तीन-चार महीने पहले ही कपालभाति, उर्ध्वहस्तोतान आसन, उत्तानपाद आसन, सेतुबंध आसन, नौकासन, पवनमुक्त आसन, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, मंडूकासन और प्राणायाम जैसे आसनों को आजमाइए। इससे गर्भधारण करने में आसानी होगी और शरीर की मांसपेशियां भी मजबूत होंगी। इसके साथ ही हार्मोन में असंतुलन नही होगा।
गर्भावस्था की पहली तिमाही
प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने के साथ ही अतिरिक्त देखभाल के साथ-साथ शरीर की फिटनेस के लिए वर्कआउट और योग शुरू कर देना चाहिए। गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीने में आप आराम से योग कर सकती हैं। यदि गर्भावस्था की पहली तिमाही में तितली आसन शुरू कर दिया जाए तो प्रसव की पीड़ा भी कम हो जाएगी। तितली आसान से पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इससे घुटनों का लचीलापन बढ़ता है।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही
गर्भधारण करने की दूसरी तिमाही में बच्चे का वजन बढ़ जाता है जिसके कारण महिला ज्यादा शारीरिक गतिविधि नही कर सकती है। ऐसे में खुद को फिट रखने के लिए योग सबसे अच्छा तरीका है। सेकेंड ट्राइमेस्टर में कटिचक्र आसन, पादोत्तान आसन, सेतुबंध आसन, वज्रासन और पैरों की सूक्ष्म क्रियाएं भी कर सकते हैं। इसके अलावा लेटकर तितली आसन और साइकलिंग के साथ भ्रामरी प्राणायाम भी किया जा सकता है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही
डिलीवरी पास आने के साथ ही महिला के लिए हरकत करना मुश्किल हो जाता है। तीसरी तिमाही में आप गहरी सांस के साथ योग का अभ्यास कर सकती हैं। थर्ड ट्राइमेस्टर में अनुलोम-विलोम जैसी क्रियाएं ही करें। अनुलोम-विलोम क्रिया को 3-5 मिनट तक कीजिए, इस क्रिया को दोहराइएं। इसके साथ ही घर के छोटे-मोटे काम भी करते रहें। लगातार सक्रिय रहने से नॉर्मल डिलिवरी होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन इस दौरान आराम भी ज्यादा ध्यान दीजिए।
गर्भावस्था के दौरान यदि महिला किसी बीमारी से ग्रस्त है तो उसे चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही योग का अभ्यास करना चाहिए। यदि किसी को डायबीटीज, बीपी, कमरदर्द, मोटापा जैसी दिक्कत है तो उसके मुताबिक अभ्यास में बदलाव कर लेना चाहिए। जिन महिलाओं का पहले अबॉर्शन हो चुका है या जुड़वा बच्चे हैं उनको व्यायाम से परहेज करना चाहिए।
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