एयर पॉल्यूशन की बात आते ही हमारे सामने सड़क पर वाहनों और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं की याद आने लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर के अंदर की एयर उससे कहीं अधिक प्रदूषित होती है। इस मामले में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का हाल तो सबसे बुरा है। दिल्ली विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में है। ऐसे में घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण के प्रति भी जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार घरों के अंदर होने वाला प्रदूषण वैश्विक पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या है।
दुनिया भर में घरों में होने वाले प्रदूषण से प्रति वर्ष 43 लाख लोगों की मौत होती है। यह दुनिया भर में एक साल में प्राकृतिक हादसों से होने वाली मौतों से 45 गुना ज्यादा है। जबकि एड्स से हर साल दम तोड़ने वाले मरीजों की संख्या से दोगुनी है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की 2014 में आई रिपोर्ट के अनुसार भारत में सर्वाधिक मौतों के लिए घरेलू वायु प्रदूषण दूसरा सबसे बड़ा कारण है। हर साल घरों में होने वाले प्रदूषण से 5 लाख 27 हजार 700 लोगों की मौत होती है। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारतीय शहरों में घरों में होने वाला प्रदूषण घरों से बाहर होने वाले प्रदूषण की तुलना में 10 गुना ज्यादा होता है।
घर में मौजूद एयर पॉल्यूशन के कारण
हम घर से बाहर वायु की गुणवत्ता की निगरानी नहीं कर सकते लेकिन घर के भीतर होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण रख सकते हैं। रसोई से निकलने वाला धुआं अगरबत्ती डिर्टजेट पेंट के केमिकल से निकलने वाली गंध फर्श साफ करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फिनाइल रूम फ्रेशनर धूल वायरस बैक्टीरिया और सिगरेट से निकलने वाला धुआं ज्यादातर घरों में मौजूद रहता है। जिसमें सामान्यत लोग सांस लेने को मजबूर रहते हैं।
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