आपको कभी महसूस नहीं होंगे ब्रेस्ट कैंसर के ये 5 लक्षण, आज जानें इन्हें करीब से

स्तन कैंसर वह कैंसर है जो स्तनों की कोशिकाओं में बनता है। स्किन कैंसर के बाद, स्तन कैंसर ही संयुक्त राज्य में महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। स्तन कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकता है, लेकिन इसके महिलाओं में होने के चांस ज्यादा होते हैं। स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता और अनुसंधान के लिए पर्याप्त सहायता ने स्तन कैंसर के निदान और उपचार में प्रगति करने में मदद की है। स्तन कैंसर के जीवित रहने की दर में वृद्धि हुई है, और इस बीमारी से जुड़ी मौतों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण पहले पता लगाने, उपचार के लिए एक नया व्यक्तिगत दृष्टिकोण और बीमारी की बेहतर समझ जैसे कारक हैं। अच्छी बात यह है कि हमारे देश में ब्रेस्ट कैंसर का अब अच्छा इलाज मौजूद है। 
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आपको कभी महसूस नहीं होंगे ब्रेस्ट कैंसर के ये 5 लक्षण, आज जानें इन्हें करीब से


स्तन कैंसर वह कैंसर है जो स्तनों की कोशिकाओं में बनता है। स्किन कैंसर के बाद, स्तन कैंसर ही संयुक्त राज्य में महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। स्तन कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकता है, लेकिन इसके महिलाओं में होने के चांस ज्यादा होते हैं। स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता और अनुसंधान के लिए पर्याप्त सहायता ने स्तन कैंसर के निदान और उपचार में प्रगति करने में मदद की है। स्तन कैंसर के जीवित रहने की दर में वृद्धि हुई है, और इस बीमारी से जुड़ी मौतों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण पहले पता लगाने, उपचार के लिए एक नया व्यक्तिगत दृष्टिकोण और बीमारी की बेहतर समझ जैसे कारक हैं। अच्छी बात यह है कि हमारे देश में ब्रेस्ट कैंसर का अब अच्छा इलाज मौजूद है। 

ब्रेस्ट कैंसर के आम लक्षण तो हर किसी को पता होते हैं। लेकिन कुछ संकेत ऐसे भी होते हैं जो लोगों को समझ नहीं आते हैं या वह इन्हें मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार हर आठ में से एक स्त्री को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है। उम्र बढ़ने के साथ यह खतरा बढ़ता जाता है। यानि कि लगभग 30 की उम्र के बाद महिलाओं को अपना नियमित चेकअप कराते रहना चाहिए।

अपने शरीर को जानें

यूएस के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन द्वारा कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक विश्व की 22 फीसद और भारत की लगभग 18.5 प्रतिशत आधी आबादी ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही है। पिछले एक दशक में इसमें इजाफा हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त दो स्त्रियों में से एक की मौत हो जाती है। इसकी बड़ी वजह समय पर रोग का पता न चलना और इलाज में देरी है। पश्चिमी देशों में ऐसी स्त्रियों की तादाद भारत से 75 प्रतिशत ज्य़ादा है, मगर जागरूकता व इलाज की बेहतर सुविधाओं के कारण वहां सर्वाइवल रेट भी भारत से ज्य़ादा है। भारत में लगभग 40 प्रतिशत मामलों में मरीज को रोग का पता चौथे चरण में ही चलता है।

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क्या है ब्रेस्ट कैंसर का चौथ चरण

चौथे चरण का अर्थ है कि कैंसर शरीर के अन्य अंगों जैसे हड्डियों और फेफड़ों तक पहुंच चुका है। यूं तो इस स्टेज पर कारगर इलाज अभी नहीं है, मगर लाइफस्टाइल में बदलाव के ज़्ारिये कैंसर पर लंबे समय तक नियंत्रण रखा जा सकता है। इलाज से बेहतर है बचाव। हर स्त्री के लिए जरूरी है 30-35 साल की उम्र के बाद नियमित मेडिकल जांच कराएं और शरीर के प्रति सतर्क रहें।

हर गांठ कैंसर नहीं होती

लगभग 40 प्रतिशत स्त्रियों को कभी न कभी स्तन में गांठ का अनुभव होता है। सूजन, लालिमा, निपल के आकार में परिवर्तन जैसे लक्षण जरूरी नहीं कि कैंसर के हों, मगर ये लक्षण दिखते ही तुरंत जांच जरूरी है। शरीर में किसी असामान्य-असहज परिवर्तन के प्रति चौकस रहें। ब्रेस्ट कैंसर के कुछ लक्षण हैं- जैसे ब्रेस्ट के आसपास सूजन, लालिमा, लाल-काले निशान, स्तन के आकार में बदलाव, त्वचा में गड्ढे या सिकुडऩ, खुजली, पपड़ी, जख़्म या दाने। ब्रेस्ट कैंसर में किसी ख़्ाास स्थान पर उभरने वाला नया दर्द खत्म नहीं होता। त्वचा के रंग में बदलाव या शरीर के अलग-अलग हिस्सों की बनावट में बदलाव हो सकता है। इसके अलावा ब्रेस्ट या आर्म पिट्स में सख़्त गांठ का एहसास भी होता है।

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ऐसे बढ़ता है खतरा

ब्रेस्ट में कोशिकाओं का कोई छोटा सा समूह अनियंत्रित तरीके से बढऩे लगता है और उसमें गांठें बनने लगती हैं। खतरा तब होता है, जब कैंसर एक टिश्यू से शुरू होकर अन्य टिश्यूज़्ा में फैलने लगता है। इस प्रक्रिया को मेटास्टसिस कहते हैं। कैंसर ब्रेस्ट सेल्स से होते हुए हड्डियों, लिवर और फेफड़ों तक फैल सकता है। जहां-जहां भी ये गांठें फैलती हैं, उन अंगों की गतिविधियों को बाधित करने लगती हैं। फेफड़ों में इनके घुसते ही सांस संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। सर्दी-जुकाम, कफ व निमोनिया जैसी शिकायत होने लगती है। इसके बाद पेट दर्द और पीलिया की आशंका रहती है। गांठें लिवर तक फैलने लगें तो रक्त का थक्का बनने लगता है। रोगी को थकान व कमजोरी होती है। उल्टी होती है, भूख नहीं लगती और तेजी से वजन कम होने लगता है।

कैसे बचें इससे

कैंसर के चार चरण होते हैं। पहले दो को शुरुआती चरण, तीसरे को इंटरमीडिएट और चौथे को एडवांस स्टेज कहा जाता है। पहले दो चरणों में ठीक होने की उम्मीद होती है।यदि शुरुआती चरण में ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाए तो इलाज संभव है। कैंसर आनुवंशिक होने के अलावा लाइफस्टाइल से जुड़ा रोग भी है। वजन, शारीरिक गतिविधियों और खानपान का इससे सीधा संबंध है। ओवरवेट स्त्रियों को इसका खतरा अधिक होता है। हॉर्मोनल थेरेपी कराने वाली स्त्रियों में भी इसके लक्षण देखे गए हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि कैंसर से बचाव में सेल्फ एग्जैमिन प्रक्रिया जरूरी है। इसमें केवल तीन मिनट लगते हैं। चालीस की उम्र के बाद स्त्रियों को वर्ष में एक बार मेमोग्राफी करानी चाहिए। कैंसर पहले चरण में ही पता चल जाए तो मस्टेक्टमी यानी सर्जरी से ब्रेस्ट निकालने या कीमोथेरेपी की जरूरत भी नहीं होती।

क्या है नई जांच और इलाज

दुनिया भर में कैंसर के इलाज को लेकर शोध जारी हैं। एक ताजा रिसर्च में कहा गया है कि ट्रेल प्रोटीन से ट्यूमर का इलाज संभव है। ट्रेल प्रोटीन के संपर्क में आने से ट्यूमर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इस पर अभी एडवांस रिसर्च जारी है। एक्सजोम डीएनए के अनेलिसिस से भी कैंसर का पता लगाया जा सकता है। अब तक ख़्ाून के सैंपल से ऐसा नहीं होता था। मगर इस जांच में कहा गया है कि खून के नमूने से लिए गए एक्सजोम डीएनए का अनेलिसिस कर कैंसर ट्यूमर के बारे में पता लगाया जा सकता है।

इन दिनों स्टेम सेल थेरेपी को लेकर का$फी काम हो रहा है। ऐसे मरीज जिनकी कीमो और रेडियोथेरेपी हो चुकी है और बोन मैरो नष्ट हो चुका है या रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो, उन्हें स्टेम सेल थेरेपी दी जा सकती है। अब तक सबसे भरोसेमंद पद्धति कीमोथेरेपी ही मानी जाती है। तीसरे या चौथे चरण में इलाज की तीन तकनीकों में से दो की मदद ली जाती है। इसमें कैंसर की कोशिकाएं मारने के लिए शरीर में इंंटेंसिव टॉक्सिंस प्रवेश कराए जाते हैं। हालांकि ये टॉक्सिंस कैंसर की कोशिकाओं के साथ-साथ कई स्वस्थ कोशिकाओं को भी मार देते हैं।

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