स्तन कैंसर वह कैंसर है जो स्तन कोशिकाओं में विकसित होता है। आमतौर पर, कैंसर लोब्यूल्स या स्तन के नलिकाओं में बनता है। लोब्यूल्स ग्रंथियां वह हैं जो दूध का उत्पादन करती हैं, और नलिकाएं वे मार्ग हैं जो दूध को ग्रंथियों से निप्पल तक लाते हैं। कैंसर स्तन के भीतर फैटी टिशू या रेशेदार संयोजी ऊतक में भी हो सकता है। अनियंत्रित कैंसर कोशिकाएं अक्सर अन्य स्वस्थ स्तन के ऊतकों पर आक्रमण करती हैं और कई बार अंडर आर्म्स के नीचे लिम्फ नोड्स तक फैल जाती हैं। लिम्फ नोड्स एक प्राथमिक मार्ग है जो कैंसर कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में जाने में मदद करता है।
स्तन कैंसर से जुड़ी कई ऐसी भ्रांतियां हैं जिसे महिलाएं सही मानती हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही मिथ के बारे में बता रहे हैं जिनपर भरोसा नहीं करना चाहिए।
मिथ : स्तनों में गांठ का मतलब स्तन कैंसर
स्तन में गांठ का नाम सुनने के बाद हमारे मन में यह सवाल आता है कि ये गांठ स्तन कैंसर तो नहीं। ब्रेस्ट में गांठ कैंसर का ही एक लक्षण है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि ऐसा होने पर आपको स्तन कैंसर ही है। ब्रिटिश शोध के मुताबिक स्तनों में होने वाली गांठ पड़ने के केवल दस फीसदी मामलों में ही ब्रेस्ट कैंसर की आशंका रहती है, अधिकतर मामलों में इसकी वजह स्तन में फैट और सिस्ट से मामले ज्यादा हाते हैं।
मिथ : अगर परिवार में किसी को स्तन कैंसर है तो आपको भी होगा
अगर आपके परिवार में किसी को स्तन कैंसर है तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि आप इसका शिकार होंगी। आंकड़ों की मानें तो सिर्फ दस प्रतिशत लोग ही ऐसे होते हैं जिनके परिवार में से किसी को स्तन कैंसर होने पर उनमें भी वो लक्षण दिखायी दिए हों।
मिथ : पुरुषों को स्तन कैंसर नहीं होता
पुरुष भी स्तन कैंसर के शिकार होते हैं और उनमें इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सॉस एम डी एंडर्सन कैंसर सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने करीब 2,500 से अधिक मामलों के अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। पुरुषों में स्तन के ट्यूमर का पता लगाना ज्यादा आसान है।
मिथ : मैमोग्राम से स्तन कैंसर
ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्तन कैंसर की पहचान के लिए प्रयोग किए जाने वाले एक्स रे और मैमोग्राम से स्तन कैंसर फैलता है। जो कि पूरी तरह से गलत है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक मैमोग्राफी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले रेडिएशन की मात्रा बहुत कम होती है। इससे स्तन कैंसर का खतरा बिल्कुल ना के बराबार होता है।
मिथ : डियोड्रेंट से स्तन कैंसर का खतरा
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि डियोड्रेंट से स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है। इसके अलावा नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक स्तन कैंसर और एंटीपरस्परिएंट्स ( यह पसीने को रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है)के बीच कोई संबंध नहीं है। जो महिलाएं इसका प्रयोग करती हैं उनमें स्तन कैंसर के लक्षण नहीं देखे गए हैं।
मिथ : बड़े स्तनों का मतलब स्तन कैंसर का खतरा अधिक
अगर इस बात जरा भी सच्चाइ होती तो पुरुषों में स्तन कैंसर की समस्या कभी नहीं होती। स्तन कैंसर का स्तनों के आकार से कोई लेना-देना नहीं है। ब्रेस्ट साइज से ऊतकों की संख्या निश्चित होती है और यह स्तन कैंसर से खतरे से कैसे संबंधित हो सकता है।
मिथ : स्तन कैंसर संक्रामक बीमारी है
स्तन कैंसर संक्रामक रोग नहीं है। यह एक इनसान से दूसरे को नहीं होता है। ब्रेस्ट कैंसर की समस्या तब होती है जब स्तनों में कैंसर की कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होने लगती है। इसके खतरे को कम करने के लिए आपको हेल्दी लाइफस्टाइल जीना चाहिए साथ ही स्तन कैंसर के जोखिमों के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए।
मिथ : परिवार में स्तन कैंसर नहीं मतलब 'मैं सुरक्षित हूं'
लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं जो स्तन कैंसर की चपेट में आ चुकी हैं उनका स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास नहीं था। अगर आपके घर में किसी को भी स्तन कैंसर नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं होता कि आप इससे बची रहेंगी। स्तन कैंसर लिंग, आयु और जीवनशैली पर निर्भर करता है।
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मिथ : स्तन कैंसर से बचने के लिए कुछ भी कर सकती हूं
यह गलत है..स्तन कैंसर से बचने के लिए आपको स्वस्थ जीवनशैली जीना चाहिए। अपने वजन पर नियंत्रण रखे, स्वस्थ आहार लें और व्यायाम करें, धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन ना करें। ऐसा करने से आप स्तन कैंसर से खतरे से बची रहेंगी।
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मिथ : अंडरवायर ब्रा से स्तन कैंसर का खतरा
आमतौर पर लोगों का मानना है कि अंडरवायर ब्रा पहनने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के अंडरगारमेंट्स लिंफेटिक फ्लों को रोकते हैं जिसकी वजह से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इस तरह की बातों में कोई सच्चाई नहीं है। अंडरवायर ब्रा पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
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