Expert

बरसात के मौसम में घर पर रोज करें ये योगाभ्यास, इंफेक्शन से होगा बचाव और डाइजेशन रहेगा दुरुस्त

Monsoon yoga poses: बरसात के मौसम में अक्सर लोग पेट से जुड़ी समस्याओं के साथ इंफेक्शन से भी परेशान रहते हैं। ऐसे में इस मौसम में कुछ योग करना आपको कई बीमारियों से बचा सकता है। कैसे, जानते हैं इस बारे में। 
  • SHARE
  • FOLLOW
बरसात के मौसम में घर पर रोज करें ये योगाभ्यास, इंफेक्शन से होगा बचाव और डाइजेशन रहेगा दुरुस्त


Monsoon yoga poses: बारिश का मौसम अपने साथ कई बीमारियों को लाता है। इस मौसम में नमी और गर्मी की वजह से कई बैक्टीरिया पनपते हैं और उनकी ग्रोथ तेजी से बढ़ती है। इसके अलावा इस मौसम में वायपल बीमारियां भी ज्यादा बढ़ जाती हैं और इसलिए लोग बीमार पड़ने लगते हैं। इसके अलावा इस मौसम में लोगों को सबसे ज्यादा पेट की बीमारियां परेशान करती हैं और यह तेजी से लोगों को अपना शिकार बनाती हैं। ऐसे में इंफेक्शन से बचने और हेल्दी डाइजेशन के लिए जरूरी है कि आप रोज कुछ योग करें। योग करना आपको इन बीमारियों से बचाने के साथ डाइजेशन को बढ़ावा दे सकता है। तो कौन से योग करें, आइए जानते हैं इस बारे में Dr. Yogrishi Vishvketu- Author, Scholar, Global Yoga Educator and Founder, Akhanda Yoga Institute से।

Dr. Yogrishi Vishvketu बताते हैं कि बरसात के दिन भले ही हरियाली और ठंडी हवा लेकर आते हों, लेकिन ये एक आश्चर्यजनक शारीरिक बदलाव भी लाते हैं। आपकी आंतें धीमी हो जाती हैं। शोध बताते हैं कि बरसात के मौसम में कम बैरोमीटर का दबाव, ज्यादा आर्द्रता और कम धूप, पाचन को नियंत्रित करने वाली वेगस तंत्रिका को प्रभावित करते हैं। इससे आंतों की गतिशीलता धीमी हो सकती है, पेट फूल सकता है और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। आयुर्वेद भी इसी बात को दोहराता है, और मानसून के मौसम को एक ऐसा समय बताता है जब पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है और कफ जमा हो जाता है, जिससे शरीर में ठहराव आ जाता है।

सौभाग्य से, योगिक अभ्यास संतुलन और लचीलापन बहाल करने के लिए सरल, व्यावहारिक उपाय प्रदान करते हैं। भले ही आप लंबे समय तक काम कर रहे हों या घर के अंदर ही बंद हों।

1. षट्कर्म से शुरुआत करें-Begin with Shatkarma

योग की शुरुआत षट्कर्म यानी आंतरिक शुद्धि से करें। योगिक शुद्धि, अभ्यास शारीरिक और ऊर्जावान मार्गों को शुद्ध करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। बरसात के मौसम में दो विशेष रूप से प्रभावी हैं। जैसे कि
-जल नेति (Jal Neti): बलगम साफ करने, श्वसन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और नमी से संबंधित जकड़न को रोकने के लिए खारे पानी से नाक को धीरे से धोएं। इससे बेहतर महसूस करती हैं।
-अग्नि सार (Agni Sara): एक पेट की पंपिंग क्रिया है जो पाचन को उत्तेजित करती है, लसीका प्रवाह को बढ़ाती है और आंतरिक ऊष्मा को सक्रिय करती है।

इसे भी पढ़ें: पेट फूलने और एस‍िड‍िटी में क्‍या अंतर है? डॉक्‍टर से समझें

2. श्वास और पाचन को संतुलित करने के लिए प्राणायाम-Pranayama to Balance Breath and Digestion

श्वास संबंधी अभ्यास तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करने और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। नम और भारी मौसम के दौरान आप इन तकनीकों को लाइफस्टाइल में शामिल कर सकते हैं। जैसे

-कपालभाति करें (Kapalabhati): धीरे से करने पर, यह साइनस मार्ग को साफ करता है और आंत के कार्य को उत्तेजित करता है। इससे इस मौसम में सांस से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है।
-धीमी अनुलोम विलोम (Slow Anuloma Viloma): बारी-बारी से नासिका से श्वास लेने से तंत्रिका तंत्र शांत होता है और ऑक्सीजनेशन में सुधार होता है।
-चंद्र भेदी (Chandra Bhedi): बाएं नासिका से श्वास लेने से ठंडी इड़ा नाड़ी सक्रिय होती है और आंतरिक सूजन कम होती है।
रोजाना 10-15 मिनट भी ऊर्जा और आंत की मजबूती बहाल कर सकते हैं।

bhujangasan

3. सर्कुलशन बढ़ाने वाले योग करें-Asana to Restore Flow

घंटों बैठे रहने से पेट पर दबाव पड़ सकता है और पाचन धीमा हो सकता है, खासकर गीले मौसम में। ये आसन आंतरिक सर्कुलेशन को धीरे-धीरे पुनर्जीवित करते हैं। ऐसे में आप

  • -मार्जरी आसन (Cat-Cow): रीढ़ की गतिशीलता को उत्तेजित करता है और आंतरिक अंगों की मालिश करता है।
  • -मंडूकासन (Frog Pose): अग्न्याशय और पाचन अंगों को सक्रिय करता है।
  • -ट्विस्ट (Twists): ट्विस्ट करना शरीर को अंदर से डिटॉक्स होने में मदद करता है और आंत की गतिशीलता बढ़ाता है।
  • -सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) करें: धीमी गति से सूर्य नमस्कार करने से सांस और गति का संयोजन होता है जिससे गर्मी पैदा होती है और लसीका प्रवाहित होता है। छोटे, जानबूझकर किए गए गति सत्र शरीर और मन दोनों को रीसेट कर सकते हैं।

इन टिप्स को भी फॉलो करें

जब मौसम नम हो जाता है, तो खाने का चुनाव बहुत मायने रखता है। ऐसे में आपको अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल करना चाहिए। जैसे कि

  • -दाल, अनाज, अदरक, जीरा, अजवाइन और हल्दी जैसे गरम मसालों से युक्त पका हुआ, मौसमी भोजन करें।
  • -ठंडे डेयरी उत्पाद, कच्चे सलाद और ठंडे पेय पदार्थों से बचें, जो पाचन अग्नि को दबाते हैं।
  • -पना सबसे बड़ा भोजन दोपहर के समय करें, जब पाचन क्रिया सबसे मजबूत होती है।

डेस्क जॉब वाले इन बातों का रखें ध्यान

जो लोग लंबे समय तक डेस्क पर बैठे रहते हैं, भारीपन या सुस्ती महसूस करते हैं, उनके लिए ये योग बेहद जरूरी हैं। ये आंतरिक संतुलन को फिर से स्थापित करने में मदद कर सकता है। चाहे घर पर हों ऑफिस, अपने शरीर को स्वस्थ एक्टिव रखना और संरचना देना उत्पादकता और प्रतिरक्षा दोनों को बढ़ावा दे सकता है।

यह नमी वाला मौसम पाचन और प्रतिरक्षा दोनों को प्रभावित करता है। लेकिन आपको बड़े बदलावों की जरूरत नहीं है, बस छोटे-छोटे, लगातार योगाभ्यास करें। शुद्धिकरण करें, सांस लें और ध्यानपूर्वक भोजन करें। बरसात के मौसम को अपने लिए धीमा होने, अपने पेट को पोषण देने और आंतरिक लय के साथ फिर से जुड़ने का संकेत बनने दें। ताकि इस मौसम में आप एक्टिव रहें, खुश रहें और तमाम बीमारियों से बचे रहें।

FAQ

  • बारिश के मौसम में कौन से खाने से बचना चाहिए?

    बारिश के मौसम में आपको ज्यादा अधपकी चीजों को खाने से बचना चाहिए। साथ ही इस मौसम में आपको ज्यादा मीट मछली आदि खाने से भी बचना चाहिए। इससे पाचन क्रिया कमजोर होता है इसलिए सात्विक भोजन करें। 
  • बरसात में क्या खाएं क्या ना खाएं?

    बरसात में तला-भुना मसालेदार स्ट्रीट फूड खाने से बचना चाहिए। साथ ही इस मौसम में आपको पत्तेदार साग-सब्जियों से भी बचना चाहिए। इसकी जगह आप दलहन वाली चीजों को खा सकते हैं। 
  • बरसात में कौन-कौन सी सब्जी नहीं खानी चाहिए?

    बरसात के मौसम में आपको बीज वाली चीजों के सेवन से बचना चाहिए जैसे कि टमाटर, पालक, पत्तागोभी, मेथी और बैंगन का सेवन न करें। इससे इंफेक्शन का खतरा होता है।

 

 

 

Read Next

रोजाना काम से फ्री होने के बाद करें ये 5 योगासन, शारीरिक और मानसिक थकान होगी कम

Disclaimer

TAGS