कानों से कम सुनाई देने का कारण क्या है? आज के समय में स्ट्रेस और ध्वनि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण लोगों में कान से न सुन पाने या कम सुनने की समस्या आम हो गई है। कानों को हेल्दी रखने के लिए आपको योगा अपनाना चाहिए। योगा करने से कानों का स्वास्थ्य बेहतर किया जा सकता है। जिन लोगों की उम्र 50 पार होती है उन्हें कानों से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ नसें कमजोर हो जाती है और सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। अगर आप योग करते रहेंगे तो आपके कान स्वस्थ रहेंगे। जिन लोगों को कम सुनाई देता है या कान से जुड़ी बीमारी जैसे टिनिटस है तो उन्हें रोजाना कम से कम आधा घंटा योगा करना चाहिए। कानों को स्वस्थ्य रखने के लिए आप शून्य मुद्रा, मत्स्यासन, भ्रामरी प्राणायाम आदि कर सकते हैं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के रवींद्र योगा क्लीनिक के योगा एक्सपर्ट डॉ रवींद्र कुमार श्रीवास्तव से बात की।
1. कानों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है शून्य मुद्रा (Shunya Mudra)
हाथों की मुद्रा से भी शरीर को हेल्दी रख सकते हैं। ऐसी ही एक मुद्रा है शून्य मुद्रा। शून्य का मतलब होता है ज़ीरो या शून्य। मुद्राओं के अनुसार हाथ की पांच उंगलियां, पांच चीजों के प्रतीक हैं- आग, हवा, स्पेस, धरती और पानी। शून्य मुद्रा वर्टिगो, सुनने की क्षमता बढ़ाने और कानों की बीमारी टिनिटस को ठीक करने में फायदेमंद मानी जाती है। इस योगा को आप दिन में आधा घंटा और किसी भी समय कर सकते हैं।
शून्य मुद्रा को करने का तरीका:
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- शून्य मुद्रा को काने के लिए आप मैट बिछाकर जमीन पर बैठ जाएं।
- बिल्कुल शांत वातावरण में बैठे और अपने आसपास शोर या गैजेट्स की आवाज न होने दें।
- आराम से बैठने के बाद स्पाइन को बिल्कुल सीधा रखें।
- बैठकर आपको अपनी आंखें बंद करनी है, इससे आप बेहतर तरीके से ध्यान कर पाएंगे।
- अपने हाथों को घुटनों की तरफ रखते हुए बीच वाली उंगली को ऐसे मोड़ें कि वो अंगूठे को दबाए।
- बाकि सभी उंगलियों को आपको सीधा रखना है।
- अब आप ध्यान करें और सांस को सामान्य गति से लेते रहें।
- आपको ये मुद्रा दोनों हाथों से दोहरानी है।
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2. मत्स्यासन करना कानों के लिए फायदेमंद है (Fish Pose or Matsyasana)
मत्स्यासन को करने से कानों के सुनने की शक्ति बेहतर होती है और गर्दन के हिस्से की मसल्स को आराम मिलता है। इस आसान को करने से सिर और कान के पास के हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। मत्स्यासन करने से लोअर बैक और अपर बैक की मसल्स को मजबूती मिलती है, इस आसान को करने से गला और गर्दन भी स्ट्रेच होता है। मत्स्यासन को हम फिश पोज भी कहते हैं।
मत्स्यासन को करने का तरीका:
- इस आसन को करने के लिए आप पीठ के बल लेट जाएं।
- लेटने के दौरान आपकी पीठ, जमीन पर जुड़ी हुई होगी।
- अपनी हथेलियों को आपको हिप्स के नीचे रखना है, यानी जमीन की तरफ।
- पैरों की पालथी मार लें और घुटनों व जांघ को फर्श पर सपाट रखें।
- सांस खीचें और सीने को ऊपर की ओर उठाएं।
- आपको सीने के साथ सिर भी ऊपर की ओर उठाना है, ऐसा करते समय आपका सिर जमीन को छुएगा।
- सीना उठाते समय आपको कंधों पर दबाव महसूस होगा।
- इस अवस्था में कुछ सेकेंड रहें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं।
3. भ्रामरी प्राणायाम करने से स्वस्थ्य रहते हैं कान (Bee Breath Pose or Bhramari Pranayama)
भ्रामरी प्राणायाम को करने से हमिंग बी या बी ब्रीथ पोज भी कहते हैं। भ्रामरी प्राणायाम को करने से सुनने की क्षमता बेहतर होती है। ये प्राणायाम कानों के साथ-साथ नाक और गले के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इस योग को करते हुए हम्मिंग साउंड निकालने से कानों में इको बनता है जिससे सैल्स और नसों को आराम मिलता है।
भ्रामरी प्राणायाम को करने का तरीका:
- भ्रामरी प्राणायाम को करने के लिए कोई शांत जगह का चुनाव करें, जहां हवा ताजी हो।
- जगह का चुनाव करने के बाद शांत मुद्रा में आंखों को बंद करके बैठ जाएं।
- अपनी तर्जनी उंगली को उठाएं और उसे कानों पर रख लें।
- कान और गाल की त्वचा के बीच दूसरी उंगली रखें।
- ऐसा करते हुए गहरी सांस लें और सांस छोड़ते समय उंगली को हल्का दबाएं।
- इस क्रिया को करते समय आपको गले से मधुमक्खी जैसी भिनभिनाने वाली अवाज निकालनी है।
- इस क्रिया को 7 से 8 बार धोहराएं।
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4. कानों को स्वस्थ्य रखने के लिए करें वृक्षासन (Tree Pose or Vrikshasana)
ट्री पोज या वृक्षासन करने से ब्लड सर्कुलेशन तो बढ़ता ही है साथ ही ये आसान कानों की सेहत के लिए फायदेमंद है। इस योग से बैलेंस बनता है और कान स्वस्थ्य रहते हैं। वृक्षासन करने से कानों में ब्लड सप्लाई बढ़ता है। नाक और शोल्डर का हिस्सा लचीला बनता है और स्पाइन को मजबूती मिलती है जिसका फायेदा कानों को होता है।
वृक्षासन को करने का तरीका:
- वृक्षासन को करना आसान है, आप सीधे खड़े हो जाएं।
- आपको जांघों के पास अपने दोनों हाथों को रखना है।
- अब आप बाएं पैर को जमीन पर मजबूती से रखें। बाएं पैर को बिल्कुल सीधा रखें।
- सांस सामान्य गति से लेते रहें।
- दाएं पैर के घुटने को मोड़ें और बाईं जांघ पर रख लें।
- गहरी सांस भरें और हाथों को ऊपर उठाएं।
- आपको अपने हाथों को ऊपर लेजाकर नमस्कार की मुद्रा बनानी है।
- आपको इस पोज में खड़े रहकर अपना संतुलन बनाना है, शुरूआत में दिक्कत हो सकती है फिर बैलेंस बन जाएगा।
- इस पोज को करने के दौरान आपको अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखनी है।
- आपको गहरी सांस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ना है।
- अपने हाथों को धीरे-धीरे नीचे ले आएं और पैर को जमीन पर रख दें।
- सामान्य अवस्था में आने के बाद दूसरे पैर से भी यही क्रिया दोहराएं।
अगर आपके कानों का इलाज चल रहा है तो आप इलाज के साथ इन आसान को कर सकते हैं पर अगर आप महसूस कर रहे हैं कि आपके कानों के सुनने की क्षमता कम हो रही है तो डॉक्टर को दिखाएं, योग के साथ इलाज भी जरूरी है तभी बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
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