भाई बहनों की जोड़ी बहुत ही खास होती है। इनके बीच के रिश्ते बहुत ही पवित्र और प्रेम के धागों से बंधे होते है। आपके आसपास कई ऐसे भाई, बहन होंगे या आप स्वयं जिनकी मिशालें दी जाती होंगी। अगर हम बॉलीवुड फिल्मों की बात करें तो समय-समय पर कई ऐसी सिबलिंग फिल्में आईं जैसे: अमर अकबर एन्थोनी, हैलो ब्रदर, जुड़वा और साहेब जैसी फिल्में जो इन रिश्तों को भावनात्मक रूप से और ज्यादा मजबूत बनाती हैं। लेकिन इन फिल्मों में कई ऐसे तथ्य हैं जो साइंटिफिकली गलत हैं, जिसे वैज्ञानिक सही मानते हैं। ये फिल्में भावनात्मक रूप से दर्शकों को जोड़ती तो हैं लेकिन सही मायने में ये दर्शकों को ऐसी घटनाओं को दिखाया है जो साइंटिफिक रूप से सटीक नहीं है। आइए जानते हैं उन फिल्मों के बारे में...
अमर अकबर एन्थोनी
1977 में आई एक्शन हास्य फिल्म अमर अकबर एन्थोनी फिल्म में विनोद खन्ना, ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में तीनों की मां का रोल निरूपा रॉय ने निभाया था। इस फिल्म में दिखाया गया है कि, निरूपा रॉय की तबियत बिगड़ जाती है, जिसके बाद उन्हें उनके तीनों बेटों का खून चढ़ाया जा रहा है। जबकि यह रीयल लाइफ में संभव नहीं है। क्योंकि हर व्यक्ति का ब्लड ग्रुप अलग-अलग होता है जिसे एक साथ किसी एक व्यक्ति को डोनेट नहीं किया जा सकता है। जब तक ब्लड ग्रुप समान नहीं होगा तब तक जरूरतमंद व्यक्ति को रक्त नहीं दिया जा सकता है।
जुड़वा
1997 में आई फिल्म जुड़वा में सलमान खान डबल रोल में दिखाई दिए थे। इस फिल्म की कहानी भी काफी हास्यास्पद है। फिल्म में सलमान दो अलग-अलग रोल में हैं और दोनों जुड़वा भाई हैं। जिसमें यह दिखाया गया है कि अगर एक को चोट लगती है तो दूसरे को भी असर होता है। जबकि साइंटिफिकली ये पूरी तरह से गलत है। वैज्ञानिक इस तथ्य को सही नहीं मानते हैं। ट्वीन्स की बात करें तो सामान्य केस में या तो जुड़वा लड़के पैदा होते हैं या लड़कियां पैदा होती हैं।
लेकिन कई बार लड़का और लड़की भी जुड़वा पैदा होते हैं। ऐसे केस में ये लड़का-लड़की केवल ट्विन्स होते हैं ना कि आइडेंटीकल ट्विन्स। ट्वीन्स फ्रेटरनल तरीके से बनते हैं जबकि, आईडेंडटिकल ट्वीन्स एक ही जेगोट से बनते है। आइडेंटिकल ट्विन्स व्यवहार, नाक-नक्श और शक्ल-सुरत में एक होते हैं जो कि फ्रेटनल ट्विन्स के साथ ऐसा नहीं है।
हैलो ब्रदर
1999 में आई हास्य फिल्म हैलो ब्रदर को लोगों ने काफी पसंद किया था। इस फिल्म में सलमान खान, रानी मुखर्जी और अरबाज खान मुख्य भूमिका में थे। जिसमें सलमान को गोली लग जाती है और वो मर जाता है। उधर विशाल यानी अरबाज खान विलेन को मार रहा होता है तभी अरबाज के दिल में गोली लग जाती है, जिसके बाद पुलिस विभाग ने विशाल के शरीर में सलमान के दिल को प्रत्यारोपित करने का फैसला किया। सलमान अब भूत के रूप में प्रकट होता है और उसे केवल विशाल द्वारा देखा जा सकता है, क्योंकि उसका दिल विशाल के शरीर में है।
हीरो यानी सलमान का कहना है कि खन्ना यानी विलेन की हत्या के बाद ही उसे शांति मिलेगी, इस प्रकार उसे बदला लेना है। विशाल ऐसा करने का फैसला करता है, ऐसे रानी और विशाल एक दूसरे के साथ प्यार में पड़ने लगते हैं। सलमान इसे नापसंद करता है और रानी के पास आने की विशाल की योजनाओं को असफल करने की कोशिश करता है। हालांकि इस कहानी का रीयल लाइफ से कोई लेना देना नहीं है।
साहेब
1985 में आई फिल्म साहेब में अनिल कपूर और उनकी बड़ी बहन के रोल में राखी थी, जिसमें दोनों के प्यार को बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया था। इस फिल्म में अनिल कपूर एक फुटबॉल प्लेयर होते हैं। फिल्म में बहन की शादी के दौरान ऐसी स्थिति बनती है, जिसके लिए 50 हजार की तुरंत जरूरत पड़ती है। जिसके लिए अनिल कपूर अपनी करियर को दांव पर लगाकर अपनी किडनी बेच देते हैं और वह मर जाते हैं।
अगर मेडिकल साइंस की मानें तो लोग केवल एक गुर्दे के साथ सामान्य जीवन जी सकते हैं। पहले डोनर का पूरी तरह से मूल्यांकन किया जाता है और दान के लिए मंजूरी दे दी जाती है, तब तक वह सर्जरी के बाद सामान्य जीवन जी सकता है। जब गुर्दे को हटा दिया जाता है, तो दान किए गए गुर्दे के नुकसान की भरपाई के लिए एकल सामान्य गुर्दे आकार में बढ़ जाता है। ऐसे में फिल्म में यह भी दिखाया जा सकता है कि वह अपनी एक किडनी दान कर दूसरी किडनी के सहारे अच्छी जिंदगी जी रहा है।
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