
Schizophrenia in Hindi: जानकारी और जागरूकता की कमी के कारण लोग मानसिक समस्याओं और बीमारियों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। मानसिक बीमारियों को नजरंदाज करना जानलेवा हो सकता है। सिजोफ्रेनिया भी ऐसी ही एक गंभीर मानसिक बीमारी है। यह बीमारी ज्यादातर युवाओं को चपेट में लेती है। पूरी दुनिया में सिजोफ्रेनिया को लेकर जागरूकता फैलाने और इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया जागरूकता दिवस मनाया जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस के महत्व और जरूरत के बारे में।
सिजोफ्रेनिया क्या है?- What is Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जो ज्यादातर 16 साल से लेकर 45 साल की उम्र के लोगों में देखने को मिलती है। इस गंभीर मानसिक बीमारी के कारण युवाओं में आत्महत्या के मामले भी बढ़ते हैं। इस बीमारी में व्यक्ति काल्पनिक और वास्तविक वस्तुओं को समझने में भूल कर बैठता है। परिणामस्वरूप रोगी का वास्तविकता से संबंध टूट जाता है, जिसके कारण उसके सोचने समझने की क्षमता पर असर पड़ता है, और वह जीवन की जिम्मेदारियों को संभालने में असमर्थ रहता है। सही समय पर इलाज और सपोर्ट न मिल पाने की स्थिति में मरीज पागल हो सकता है और मौत भी हो सकती है।
क्यों मनाया जाता है विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस?
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है, इसे पागलपन के रूप में भी देखा जाता है। जानकारी की कमी के कारण लोग इसे अंधविश्वास से जोड़ देते हैं। इस गंभीर बीमारी मरीज भ्रम की स्थिति में रहता है। सिजोफ्रेनिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने और मरीजों को सही स्वास्थ्य सुविधा व इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से दुनियाभर में 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया जागरूकता दिवस मनाया जाता है। फ्रांस के डॉ फिलिप पिनेल को सम्मानित करने के लिए 24 मई को विश्व सिज़ोफ्रेनिया दिवस के रूप में घोषित किया गया था। वह मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों के लिए उपचार और मानवीय देखभाल देने का काम करते थे।
सिजोफ्रेनिया के लक्षण- Schizophrenia Symptoms in Hindi
- पीड़ित व्यक्ति में उदासीनता
- आम लोगों की तरह सुख दुख महसूस नहीं कर पाता
- किसी से बातचीत करना पसंद नहीं करता
- भूख प्यास का ख्याल नहीं रख पाता
- उसका व्यवहार असामान्य होता है
इस बीमारी का इलाज आमतौर पर लंबा होता है, यदि रोगी का शुरुआती चरण में ही उपचार दिया जाए तो समस्या पकड़ में आजाती है। मनोवैज्ञानिक थैरेपी के ज़रिये मरीज़ के व्यवहार पर काम करने की कोशिश की जाती है। साथ ही रोगी के परिवार वालों को भी काउंसिलिंग दी जाती है ताकि वे रोगी को संभाल सकें। सिजोफ्रेनिया से बचाव का कोई तरीका नहीं है।
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