अंग दान यानि महादान कर आप किसी की जान तक बचा सकते हैं। अभी भी अंग दान के प्रति बहुत से लोग जागरुक नहीं हैं। आज की आधुनिक दुनिया में अंग दान करना काफी आसान प्रक्रिया हो चुकी है। हर साल बहुत से लोगों की अंग नहीं मिलने के अभाव से मौत तक हो जाती है। हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है।
विश्व अंगदान क्यों मनाया जाता है?
अंग दान दिवस पहली बार साल 2005 में मनाया गया था, जिसके बाद इस दिवस को विश्वभर में मनाया जाने लगा। दरअसल, पहली बार साल 1954 में रोनाल्ड ली हेरिक ने अपने जुड़वा भाई को किडनी दान की थी। उनकी अंग दान की यह सर्जरी सफल रही, जिसके बाद उनका जुड़वा भाई अगले 8 वर्षों तक जीवित रहा। तब से हालांकि, यह प्रक्रिया अब पहले से काफी आसान हो चुकी है।
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विश्व अंगदान दिवस का महत्व
अंग दान दिवस को मनाने के पीछे का मकसत इसके प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना और इसके डर और मिथ्स को खत्म करना है ताकि लोग अंग दान के महत्व को समझें और इस प्रक्रिया में शामिल होने से घबराएं नहीं। इस दिवस का मकसद अंग दान के प्रति फैली गलत जानकारियों को मिटाना है। ऐसे में अंगदान के बारे में गलत जानकारी रहने से अंगदान के लिए इच्छुक लोग भी प्रक्रिया में शामिल होने से डरते हैं।
अंग दान करने वालों की कमी है बड़ी चुनौती
डॉ. पुनीत सिंगला, लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन-एमएस, डीएनबी (सर्जरी), क्यूआरजी मोरिंगो एशिया हॉस्पिटल के मुताबिक अंग दान करने वाले लोगों की कमी होना एक बड़ी चुनौती है। ट्रांस्प्लांट के लिए अंगों की कमी पूरी दुनिया में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक शारीरिक अंगों की मांग बढ़ने के पीछे क्रॉनिक डिजीज, खराब लाइफस्टाइल और बढ़ती आबादी जैसे कई कारण हैं। कुछ लोगों को अंग जल्दी मिल जाते हैं तो कुछ को इससे लंबे समय तक जूझना पड़ता है। इस इंतजार में कई लोग दम तोड़ देते हैं।
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