डायबिटीज एक जटिल समस्या है, जिससे दुनियाभर की अच्छी खासी आबादी पीड़ित है। डायबिटीज के मरीजों को नहीं चाहते हुए भी कई चीजों से परहेज करना पड़ता है। हर साल 14 नवंबर को विश्व डायबिटीज दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद लोगों में डायबिटीज के प्रति जागरुकता फैलाना और मरीजों का हौंसला बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
विश्व डायबिटीज दिवस का इतिहास
विश्व डायबिटीज दिवस को मनाने का चलन पहली बार साल 1992 में शुरू हुआ था। दरअसल, इस बीमारी की खोज साल 1991 में यूएन द्वारा की गई थी। दरअसल, इस दिन सर फ्रेडरिक बैंटिंग ने चार्ल्स बेस्ट के साथ मिलकर इंसुलिन की खोज की थी। इस दिन के बाद से हर साल विश्व डायबिटीज दिवस मनाया जाने लगा। इसे मनाकर लोगों में डायबिटीज के प्रति जागरूकता फैलाना है ताकि लोग इस बीमारी की चपेट में कम से कम आएं।
विश्व डायबिटीज दिवस की थीम
विश्व डायबिटीज दिवस की इस साल की थीम एक्सेस टू डायबिटीज केयर है। दरअसल, इसका मतलब है कि डायबिटीज के मरीजों की ओर जितना ध्यान हो सके उतना ध्यान देना चाहिए। ध्यान देने से डायबिटीज को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। ध्यान देकर आप इस बीमारी के लक्षणों को मैनेज और इसे बढ़ने से भी रोक सकते हैं।
इसे भी पढ़ें - डायबिटीज रोगी ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए अपनाएं ये टिप्स, रहेंगे स्वस्थ
विश्व डायबिटीज दिवस का महत्व
विश्व डायबिटीज दिवस का महत्व लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना होता है। जिससे इसे बढ़ने से रोका जा सके। इस दिन जगह-जगह पर कैंप और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, जिससे लोगों में इस समस्या से बचने के लिए प्रेरित किया जा सके। इसपर जारी हुए एक आंकड़े की मानें तो दुनियाभर में एक बिलियन यानि 10 करोड़ लोगों को जागरूक किया जाता है। इस दिन डायबिटीज के मरीजों का हौंसला भी बढ़ाया जाता है। इससे डायबिटीज की रोकथाम करने में आसानी होती है।