रक्तदान के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। एक अनुमान के अनुसार हर दो सेकेंड में एक व्यक्ति को रक्त की ज़रूरत होती है। रक्त दान की बात करें तो देश में मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतराल है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि रक्त को बनाया नहीं जा सकता। इसलिए इसकी ज़रूरत को सिर्फ रक्तदान के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए रक्तदान जीवनदान है, किंतु रक्तदान से पहले कुछ चीज़ों के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है। इस संबंध में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर मोहित चौधरी (कन्सलटेन्ट, ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन, मॉलीक्यूलर बायोलोजी एण्ड ट्रांसप्लान्ट इम्युनोलोजी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल)
रक्त यानि ब्लड एक कॉम्प्लेक्स टिश्यू है जो कई अवयवों से बना होता है। रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं (रैड ब्लड सैल), श्वेत रक्त कोशिकाएं (व्हाईट ब्लड सैल), प्लेटलेट और प्लाज़्मा होते हैं। अब आप रक्तदान करते हैं, रक्त के सभी अवयवों जैसे रैड सैल, प्लेटलेट, प्लाज़्मा और क्रायोप्रेसीपिटेट को अलग किया जाता है। इस तरह एक बार दान किए जाने वाले रक्त से कई अवयव बनाए जा सकते हैं। तो कहा जा सकता है कि एक युनिट ब्लड तीन लोगों का जीवन बचा सकता है। रक्तदान करने वाला व्यक्ति पूरा रक्त दान कर सकता है या रक्त के किसी विशेष अवयव का दान कर सकता है। रक्त के विशेष अवयव के लिए विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है, यह प्रक्रिया एफेरेसिस कहलाती है।
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रक्तदान से जुड़ी 5 जरूरी बातें:
- आमतौर पर एक बार रक्तदान के दौरान एक युनिट रक्त निकाला जाता है (तकरीबन 450 एमएल) यह व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति से एक बार में एक निर्धारित मात्रा में ही रक्त निकाला जा सकता है क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर में सीमित मात्रा में रक्त होता है, जो व्यक्ति के वज़न, उम्र और उंचाई पर निर्भर करता है। जब एक व्यक्ति 1 युनिट रक्तदान करता है, तो कुछ घण्टों से लेकर कुछ सप्ताहों के अंदर रक्त की इतनी मात्रा शरीर में दोबारा बन जाती है और इसका दानदाता के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता।
- हर व्यक्ति रक्तदान के लिए योग्य नहीं होता, नियम के अनुसार भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को ही रक्तदान की इजाज़त दी जाती है। रक्तदान के लिए व्यक्ति का वज़न 45 किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए और उसका समग्र स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए यानि व्यक्ति को किसी प्रकार का बैक्टीरियर, फंगल या वायरल संक्रमण या कोई और बीमारी नहीं होनी चाहिए। गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
- रक्तदान से कम से कम 2-3 घण्टे पहले व्यक्ति को सम्पूर्ण भोजन लेना चाहिए ताकि रक्त में शुगर का स्तर स्थिर रहे। शरीर में तरल की मात्रा उचित बनी रहे, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी और ज्यूस का सेवन करना चाहिए ताकि व्यक्ति लो ब्लड प्रेशर (कम रक्तचाप) से सुरक्षित रह सके। रक्तदान के बाद कैफ़ीन से युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए तथा आयरन एव विटामिन सी से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- आपके द्वारा दान में दिए गए रक्त का इस्तेमाल दुर्घटना पीड़ितों, रक्त विकार जैसे सिकल सैल एनीमिया या हीमोफीलिया के मरीज़ों और यहां तक कि कैंसर के मरीज़ों के लिए भी किया जा सकता है। इसलिए दान में दिए गए रक्त में कई बीमारियों जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस, सायफिलिस एवं अन्य संक्रमण की जांच की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रक्त चढ़ाने से किसी भी तरह का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में न जाए।
- रक्तदान एक नेक काम है जो कई लोगों का जीवन बचा सकता है। औसतन एक व्यक्ति हर तीन महीने बाद रक्तदान कर सकता है। हालांकि यह सीमा रक्त के विभिन्न अवयवों के लिए अलग होती है, प्लेटलेट्स की बात करें एक व्यक्ति हर 3 दिनों में लेकिन एक साल में 24 बार इनका दान कर सकता है। नियमित रूप से रक्तदान की आदत बनाएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें। हमारे देश में रक्तदान की बहुत कमी है, हर रक्तदान मायने रखता है।
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