ये लेख पढ़ने से पहले याद कर लीजिए की आपने आज आखिरी बार पानी कब पिया था?
ब्रेकफास्ट के बाद? लंच के बाद? डिनर के बाद? या जब प्यास लगी थी तब?
अगर इन चारों में से भी किसी भी विकल्प को चुनते हैं तो मतलब है कि आप पानी के लिए प्यास लगने का इंतजार करते हैं और प्यास लगने पर ही पानी पीते हैं। अगर ये सच है तो आप अपने शरीर और दिमाग को लॉन्ग टर्म के लिए नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कैसे?
तो ये पूरी रिपोर्ट पढ़िये जो न्यूजीलैंड की मैसी यूनिवर्सिटी में खेल और व्यायाम विभाग के लेक्चरर टॉबी मुंडेल पर बनी है और जो द कनवर्जेशन पर प्रकाशित हो चुकी है।
ये होता है पानी की कमी से
हर कोई जानता है कि पानी शरीर के लिए बहुत जरूरी है। पानी और हवा, जीवन के लिए दो सबसे जरूरी चीजें हैं। शरीर के कुल वजन का लगभग 70 फीसदी वजन पानी का होता है। शरीर सुचारू रुप से काम करते रहे इसके लिए जरूरी है कि शरीर में पानी का जरूरी स्तर बना रहे। लेकिन जब हम कभी बीमार पड़ते हैं, या व्यायाम करते हैं या फिर लू की चपेट में आते हैं तो शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिसके बाद हमें प्यास लगती है। इस प्यास के बाद शरीर में थकावट महसूस होने लगती है। जिसके बाद हल्का-फुल्का सिरदर्द होना शुरू होता है। और फिर शुरू होती है चिड़चिड़ाहट जो लंबे समय के बाद मानसिक व शारीरिक कमजोरी में बदलने लगती है।
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ऐसे निकलता है शरीर से पानी बाहर
पानी शरीर के अंदर केवल पीने से जाता है लेकिन शरीर से बाहर कई तरीके से निकलता है जैसे पसीना, सांस छोड़ने, मल-मूत्र त्याग करना आदि। शरीर से पानी के बाहर निकलने के तरीकों को देखते हुए एक स्वस्थ व्यक्ति प्यास का अहसास होते ही, कुछ न कुछ खा-पीकर शरीर में लगातार पानी का संतुलन बनाए रखता है।
प्यास लगने से पहले ही शुरू हो जाता है शरीर का डैमेज होना
आपको जानकर हैरानी होगी की प्यास लगने से पहले ही शरीर में पानी की कमी से शरीर और दिमाग में डैमेज होना शुरू हो जाता है। शरीर का बायोलॉजिकल सिस्टम ऐसा है कि उसे प्यास बाद में लगती है उससे पहले ही शरीर के भीतर पानी की कमी होने लगती है।
सरल शब्दों में कहें तो गला बाद में सूखता है उससे पहले शरीर में पानी का स्तर कम हो जाता है।
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पानी की एक फीसदी कमी भी खतरनाक
दुनिया में तमाम तरह के शोध हुए हैं और हर शोध में यही बात साबित हुई है कि शरीर में एक फीसदी पानी की कमी होने से ही काफी सारे नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगते हैं। जैसे कि-
- शरीर के विभिन्न अंगों के साथ दिमाग का तालमेल बिगड़ने लगता है।
- एकाग्रता भंग होती है।
- याददाश्त कमजोर हो जाती है।
- चिड़चिड़ाहट हो जाती है।
इन लक्षणों से संबंधित सभी शोध में कुछ विरोधाभाष हो सकते हैं। मानव शरीर से संबंधित कई तरह के आंकड़े और जानकारियां भी कम हो सकती हैं। लेकिन ये बात शत प्रतिशत सही है कि शरीर में पानी कम होने पर सबसे पहला असर मस्तिष्क पर पड़ता है और मस्तिष्क के ऊतकों (टिश्यू) से निकलने वाले केमिकल की मात्रा कम होने लगती है। जिससे दिमाग सिकुड़ने लगता है, और कोशिकाओं का कामकाज अस्थायी तौर पर ही सही, लेकिन प्रभावित जरूरत होता है जो लॉन्ग टर्म के लिए शरीर को..
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