खाने से पहले या फिर बाहर से आने के बाद आप अगर हाथ धोने के लिए एंटीबैक्टिरिया यानी रोगाणुरोधी साबुन का प्रयोग करते हैं तो सावधान हो जायें। क्योंकि अमेरिका की फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कई एंटीबैक्टीटरिया वाले साबुनों को प्रतिबंधित किया है। एफडीए का मानना है कि इनके अधिक प्रयोग से लीवर कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है। इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्यों एफडीए ने इन साबुनों को प्रतिबंधित किया।
शोध के अनुसार
एंटीबैक्टीरिया वाले साबुनों के प्रयोग को लेकर कई साल से शोध चल रहा है। 2014 में अमेरिका में हुए एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि बैक्टरीरिया रोधी साबुन में कुछ ऐसे रसायन होते हैं, जो गर्भ में पल रहे शिशुओं और नवजातों के शारीरिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ऐसा 'ट्राइक्लोसन' नामक एंटीबैक्टीरियल एजेंट के कारण होता है जिसका प्रयोग साबुन, कॉस्मेटिक्स, कुछ ब्रांड के टूथपेस्ट और कील मुहांसे खत्म करने वाले क्रीम समेत हजारों तरह के उपभोक्ता उत्पादों में पाया जाता है।
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क्यों है नुकसानदेह
दरअसल रोगाणुरोधी साबुन में ऐसे तत्व प्रयोग किये जाते हैं जिनका अधिक प्रयोग शरीर के लिए नुकसानदेह होता है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी तक हो सकती है। एंटीबैक्टीरिया युक्त साबुन में ट्रिक्लोजन (triclosan) और ट्रिक्लोकार्बन (triclocarban) का प्रयोग किया जाता है। ये तत्व सीधे हार्मोन को प्रभावित करते हैं और इनके कारण लीवर कैंसर तक हो सकता है।
2013 में एफडीए ने साबुन निर्माता कंपनियों को इस मामले में चेताया भी था, क्योंकि ट्रिक्लोसन और ट्रिक्लोकार्बन के अधिक प्रयोग हार्मोन असंतुलन होने की संभावना का पता शोधों के जरिये चला था।
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सामान्य साबुन या एंटीबैक्टीरिया युक्त साबुन
यह माना जाता है एंटीबैक्टीरिया वाले साबुन का प्रयोग करने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कीटाणु शरीर से निकल जाते हैं और इससे बीमारियों की होने की संभावना कम होती है। लेकिन वाशिंगटन में हुए एक शोध में इस बात की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि नहीं हो पायी कि ये सामान्य साबुन से बेहतर होते हैं। चूंकि इनमें प्रयोग किये जाने वाले केमिकल नुकसानदेह होते हैं, इसलिए एफडीए ने इनपर प्रतिबंध लगाने की बात की।
एफडीए से संबंधित दूसरी संस्था सेंटर फॉर ड्रग इवैलुएशन एंड रिसर्च (सीडीईआर) ने यह साबित किया कि एंटीबैक्टीरिया साबुन में प्रयोग किये जाने वाले तत्व सामान्य साबुन की तुलना में शरीर को फायदा नहीं बल्कि अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। अगर इनका अधिक समय तक प्रयोग किया जाये तो हार्मोन असंतुलन के साथ-साथ कैंसर भी हो सकता है।
इसलिए ऐसे साबुन का प्रयोग करना बेहतर होगा जिसमें ट्रिक्लोसन और ट्रिक्लोकार्बन जैसे हानिकारक केमिकल का प्रयोग न किया गया हो।